नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली समेत सात छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उर्वरक सब्सिडी के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) व्यवस्था एक अक्टूबर से लागू कर दी है। अगले चरण में पंजाब, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश समेत 12 बड़े राज्यों में यह व्यवस्था लागू होगी। जनवरी 2018 तक यह व्यवस्था पूरी देश में लागू हो जाएगी।
उर्वरक मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। किसानों को रियायती कीमत पर खेतों के लिए पोषक तत्व सुलभ कराने के लिए सरकार को उर्वरक सब्सिडी पर हर साल करीब 70 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होते हैं। रसोई गैस पर डायरेक्ट सब्सिडी के विपरीत उर्वरकों पर यह व्यवस्था अलग तरह से लागू होगी।
अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि उर्वरकों के लिए डीबीटी स्कीम इस तरह तैयार की गई है जिससे किसानों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा और सरकार कंपनियों को सब्सिडी का भुगतान करेगी। रसोई गैस के मामले में उपभोक्ता बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदते हैं और सरकार बाद में उनके खाते में सब्सिडी की राशि ट्रांसफर करती है।
अधिकारी ने बताया कि डीलर द्वारा रियायती उर्वरकों की बिक्री करने के बाद इसके आंकड़े वेबसाइट पर लोड करने के बाद ही कंपनियों को सब्सिडी दी जाएगी। किसानों, डीलर और बिक्री का विवरण दर्ज करने के लिए करीब 60 फीसद पीओएस मशीनें विभिन्न राज्यों में लगा दी गई हैं। मशीनों की कोई कमी नहीं है। जल्दी ही यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
इन राज्यों में लागू उर्वरक सब्सिडी के लिए डीबीटी व्यवस्था एक अक्टूबर से दिल्ली, मिजोरम, नगालैंड, पुडुचेरी, गोवा, दमन व ड्यू और, दादरा व नगर हवेली में लागू की गई है। अगले महीने से एक दर्जन अन्य राज्यों में यह व्यवस्था लागू करने के लिए चयन किया जा चुका है। चरणबद्ध तरीके से अन्य राज्यों में यह व्यवस्था लागू होगी। जनवरी तक पूरे देश में इसे लागू कर दिया जाएगा।
डीबीटी का फायदा
डीबीटी के फायदों पर अधिकारी ने कहा कि इससे पारदर्शी तरीके से सब्सिडी का भुगतान वास्तविक बिक्री से जुड़ जाएगा। पात्र लाभार्थियों को इसका लाभ मिलेगा और उद्योगों को अवैध रूप से रियायती उर्वरकों की सप्लाई रुकेगी। चूंकि बिक्री के आंकड़े डिजिटल फॉर्मेट में रिकॉर्ड होंगे। ऐसे में कंपनियों को बिना देरी से सब्सिडी का भुगतान हो सकेगा। सरकार 19 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह स्कीम पहले ही लागू कर चुकी है।
कैसे मिलेगी किसानों को सब्सिडी
उर्वरकों के मामले में किसानों के पहले भुगतान करके महंगे उर्वरक खरीदना मुश्किल होता है। ऐसे में किसानों को डीलर के यहां से रियायती दर पर उर्वरक पहले की तरह मिलते रहेंगे। नई व्यवस्था के तहत किसानों की खरीद का ब्यौरा प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन के जरिये दर्ज किया जाएगा। इसके बाद सरकारी कंपनियों को सब्सिडी का भुगतान करेगी।
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