- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अड़े रहने के बाद केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के निर्देश पर डीएमआरसी बोर्ड की बैठक तो हुई लेकिन वहां सिर्फ दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की तरफ से 28 सितंबर को मुख्य सचिव को दिए गए आदेश पर चर्चा मात्र हुई।
- निर्माण भवन में रात 8 बजे बुलाई गई डीएमआरसी बोर्ड की आपात बैठक में अधिनियम के सेक्शन 37 का हवाला देकर कहा गया कि किराया निर्धारण समिति की सिफारिश को डीएमआरसी मानने के लिए बाध्य है।
- केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने मुख्य सचिव डॉ. एमएम. कुट्टी को एक पत्र लिखकर बता दिया था कि मेट्रो किराया वृद्धि हम नहीं रोक सकते। क्योंकि मेट्राे अधिनियम का सेक्शन 37 ऐसा करने की छूट नहीं देता।
- भास्कर के पास मौजूद चिट्ठी के अनुसार यहां तक कहा कि डीएमआरसी बोर्ड को इस मामले में चर्चा या बदलाव का अधिकार नहीं है।
- आपको खुद पता है कि 8 मई की बैठक में भी बोर्ड के समक्ष सिर्फ आपत्ति दर्ज कराई थी। उसी दिन तय था की अक्टूबर में किराया बढ़ेगा। तो फिर अब बैठक बुलाने का कोई मतलब नहीं। इसलिए आप मेरी स्थिति को पूरी समझें और डीएमआरसी को नियम कानून के हिसाब से चलने दें।
- मेट्रो की प्रस्तावित किराया वृद्धि रोकने के लिए दिल्ली विधानसभा में पेश बिल सोमवार को काफी हंगामे और शोरगुल के बीच पास कर दिया गया। हालांकि, इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मौजूद नहीं रहे।
- प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखकर तत्काल किराया वृद्धि के प्रस्ताव को रोकने की मांग की। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार नोकझोंक भी हुई। प्रतिपक्ष के दो विधायकों मनजिंदर सिंह सिरसा और ओम प्रकाश शर्मा को मार्शल के जरिए सदन से बाहर कर दिया गया।
- प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सवाल किया कि जब पिछले साल ही किराया वृद्धि की बात की गई थी तो आठ महीने तक किराया क्यों नहीं बढ़ाया गया?
- कैलाश गहलोत के इस सवाल के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम का चुनाव होने की वजह से किराया नहीं बढ़ाया गया।
- कैलाश गहलोत के जवाब के दौरान नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कई बार खड़े होकर परिवहन मंत्री के बयानों को गलत बताया, जिससे दोनों नेताओं में तीखी बहस हुई।
- 4 अक्टूबर को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष को कहा था, ‘यदि मर्द के बच्चे हो तो पीठ पीछे राजनीति मत करो, सामने से करो।’
- इस बयान पर सोमवार को भाजपा विधायकों ने सत्र शुरू होते ही मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग की। लेकिन विस अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि यदि विपक्ष को इस शब्द से एतराज था तो उसे उसी दिन हमें लिखित में संज्ञान में लाना चाहिए था या इस शब्द को सदन से निकलवाने की मांग
छात्रों ने मेट्रो रोक किया विरोध
- मेट्रो किराया वृद्धि के विरोध में सोमवार सुबह विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन पर छात्रों ने जमकर विरोध किया। एनएसयूआई के तीन छात्र नेता बाकायदा मेट्रो स्टेशन की लाइन पर ही लेट गए।
- इससे सुबह 11 बजे से 11.32 बजे तक मेट्रो परिचालन बाधित रहा। सीआईएसएफ कर्मियों ने उनको बाहर निकाला।
- उनकी मांग है कि मेट्रो किराए की वृद्धि को रोका जाए, साथ ही छात्रों को स्पेशल रियायती पास दिए जाएं।
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-मेट्रो किराया वृद्धि को लेकर सभी जानना चाहते थे कि आखिर केंद्र इस पर क्या रुख अपनाएगा। किराया बढ़ाने को लेकर भी कहीं राजनीति का खेल तो नहीं शुरू हो गया।
- इस पर पूर्व राजदूत तथा आईएफएस अधिकारी और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से भास्कर ने दिल्ली में आयोजित दो कार्यक्रमों के दौरान सवाल जवाब किए।
Q. केजरीवाल सरकार ने किराया नहीं बढ़ाने की बात की है। क्या केंद्र इस पर विचार कर रहा है?
A.यह वैधानिक रूप से संभव नहीं है। किराया निर्धारण समिति द्वारा इसे तय किया जाता है। इसमें हम कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते। यह बात दिल्ली सरकार भी समझती है। वे खुद भी इसमें कोई दखल नहीं दे सकते।
Q. एक साथ किराए में इतनी बढ़ोतरी करना क्या उचित है?
A. पिछले आठ साल में कोई किराया नहीं बढ़ा है। इस बार भी बहुत किराया बढ़ रहा हो, ऐसा नहीं है। एक सिस्टम चलाने के लिए कुछ लागत आती है। जनता भी जानती है कि विश्व स्तरीय मेट्रो चलाने के लिए पैसे चाहिए।
Q. किराया ज्यादा होगा तो कई कारोबार प्रभावित हो सकते हैं? दिल्ली के विकास पर भी इसका असर पड़ेगा?
A. दिल्ली के विकास में मेट्रो का योगदान निश्चित रूप से है। लेकिन जनता जानती है कि एक विश्व स्तरीय परिवहन व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उसका परिचालन खर्च तेा चाहिए ही। मेट्रो से सफर करने वाले जानते हैं कि अगर उन्हें इस तरह की द्रुत और विश्व की बेहतरीन परिवहन नहीं मिली तो उनका आवागमन प्रभावित होगा। इससे उनका कारोबार भी प्रभावित होगा। ऐसे में वह भी नहीं चाहेंगे कि मेट्रो पर कोई प्रतिकूल प्रभाव हो। यही वजह है कि यात्री भी इस विकास प्रक्रिया को जारी रखना चाहते हैं।
Q. सवाल अब भी वही है कि क्या किराया घटेगा? केजरीवाल सरकार कह रही है कि आप चाहें तो मेट्रो का परिचालन उन्हें दे दें? इसमें क्या समस्या है?
A. सबसे पहले मेट्रो का संविधान पढ़ना होगा। यह कहती है कि एक विशेष कंपनी या एसपीवी बनानी होगी। दिल्ली में अभी एक व्यवस्था है जिसमें केंद्र और दिल्ली सरकार की सहभागिता वाली आधी—आधी साझेदारी वाली विशेष कंपनी है। जबकि किराया निर्धारण के लिए एक कमेटी बनी हुई है। यह सभी तरह के अध्ययन के आधार पर निर्णय करती है कि किराया कितना बढ़ाना चाहिए। इसमें संवैधानिक रूप से केंद्र या दिल्ली सरकार दखल नहीं दे सकती है। ऐसे में दिल्ली सरकार क्यों किराया नहीं बढ़ाने के लिए, किन प्रावधानों के तहत ऐसा कह रही है यह जनता भी समझती है। जहां तक मेट्रो को दिल्ली सरकार को देने की बात है तो मौजूदा परिचालन में यह त्वरित आधार पर किसी भी तरह से अनुपालन में नहीं लाया जा सकता है। हां, अगर दिल्ली सरकार चाहती है कि वह मेट्रो चलाए तो एक विशेष कंपनी बनाए। हम चौथे चरण के परिचालन का जिम्मा उसे सौंपने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए पहल उसे करनी होगी। हां, दिल्ली सरकार की इस मांग को उठाने से पहले आपको यह भी देखना होगा कि कभी दिल्ली की लाइफ लाइन रही डीटीसी का क्या हाल है।
Q. मेट्रो का किराया बढ़ने पर सड़क पर बोझ पड़ने की आशंका है। क्या हमारा सार्वजनिक परिवहन सिस्टम इतना मजबूत है कि हम सड़क पर आने वाले बोझ को सह लेंगे?
A. वरीयता मेट्रो ही रहेगी क्योंकि इससे बेहतर, द्रुत और अच्छी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग अधिक किराए को लेकर ज्यादा उलझन में नहीं हैं। हां, यह भी सच है कि हमें सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था और मजबूत करनी है। अंतिम स्तर की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने हैं। यह तभी संभव है जब जरूरी किराए को लेकर अनावश्यक विरोध न हो।
Q. दिल्ली सरकार की मांग पर आप क्या कहेंगे?
A. इस मामले पर कृपया राजनीति न करें। इससे किसी को लाभ नहीं होगा। हम एक बेहतर और सुव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था बनाना चाहते हैं तो ऐसी राजनीति से बचना होगा।
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मेट्रो ऑपरेशन का टेकओवर करना है तो फेज-4 खुद देखें
Q. किराया वृद्धि कुछ दिन टालने पर?
A. दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियाें ने अध्ययन होने तक किराया वृद्धि रोकने की बात की थी, पर अभी तक स्टडी नहीं हुई।
नुकसान की भरपाई पर?
A.हम नीति का उल्लंघन नहीं कर सकते। दिशा-निर्देशों के अनुसार परिचालन हानि का पूरा जिम्मा राज्य सरकार का है।
Q. टेकओवर के सवाल पर?
A.दिल्ली मेट्रो परियोजना में 50:50 हिस्सेदारी की नीति है लेकिन केन्द्र व राज्य सरकार की तरफ से परिचालन की कोई परिकल्पना नहीं है।
Q. किराया पर दिशा निर्देश को लेकर
A.कमेटी की सिफारिश मेट्रो के लिए बाध्यकारी है। मैं इस बात से आश्चर्यचकित हूं कि आप बार-बार यही कोट कर रहे हैं।
Q. बोर्ड बैठक बुलाने पर?
A. बोर्ड के पास कमेटी की सिफारिश में बदलाव की पावर नहीं है। आपके बार-बार कहने पर मैंने शहरी विकास सचिव को बोर्ड बैठक बुलाने को कहा है।
Q. मेट्रो फेज-4 पर?
A. नई नीति राज्य को मेट्रो के नए प्रोजेक्ट के निर्माण, वित्त प्रबंधन से परिचालन तक की स्वतंत्रता देती है। मेरा सुझाव है कि आप फेज-4 का काम टेस्ट केस के तौर पर लें। डीटीसी का अनुभव आपका मार्गदर्शन करेगा। यदि आप ऐसा करने को तैयार हैं तो शुभकामनाएं।
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