Thursday, 22nd May 2025

स्वाइन फ्लू : पांच साल में 214 मौतों के बाद भी नहीं जाग रही सरकार

Sat, Oct 7, 2017 6:14 PM

इंदौर,  लोगों की जिंदगी भले ही अनमोल हो लेकिन सरकार को ऐसा नहीं लगता। जिस स्वाइन फ्लू से बीते पांच सालों में 214 लोग जान गंवा चुके हों उसके बाद भी इंदौर में लैब बनाने के लिए सरकार महज सवा करोड़ रुपए भी नहीं दे पा रही है। जनता तो छोड़िए, सरकार मालवा-निमाड के आठ सांसद (जिनमें लोकसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं) और 66 विधायकों की भी सरकार नहीं सुन रही है।

अलग-अलग माध्यमों से ये जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री से लेकर अफसरों से स्वाइन फ्लू लैब को लेकर चर्चा कर चुके हैं लेकिन अब तक सरकार तय नहीं कर सकी है कि लैब कब बनकर तैयार हो गई और रिपोर्ट देरी से मिलने से इलाज के आभाव में हो रही मौतों का सिलसिला कब रुकेगा।

जिस वॉयरोलॉजी लैब को इंदौर के लिए मंजूर किया है, उसमें स्वाइन फ्लू की जांच का विकल्प ही नहीं है। लैब बनाने के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज को केंद्र से 1.74 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। सिर्फ सवा करोड़ रुपए के लिए लैब का प्रस्ताव अटका है। शहर में वायरोलॉजी लैब नहीं होने के कारण स्वाइन फ्लू व अन्य बीमारियों की जांच रिपोर्ट आने में देरी हो रही है, जबकि प्रदेश में सबसे ज्यादा स्वाइन फ्लू से मौतें इंदौर में हो रही है।

पढ़ें : लोकसभा अध्यक्ष, 7 सांसद, 66 विधायकों की भी नहीं सुन रहा शासन

छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर भोपाल तक दौड़ लगाने वाले जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। किसी ने प्रभारी मंत्री से कहकर कर्त्तव्य पूरा कर लिया तो किसी ने त्योहार के बाद मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया।

इंदौर में इसलिए जरूरी है लैब : बीमारी के लक्षण नजर आने पर स्वाब सैंपल जबलपुर और भोपाल भेजना होता है। वहां से रिपोर्ट आने में तीन-चार दिन लग जाते हैं। तब तक मरीज की जान पर बनी रहती है। लक्षणों के आधार पर डॉक्टर ने टेमी फ्लू देकर इलाज शुरू कर दिया और मरीज को फ्लू नहीं निकला तो चार साल तक उसकी जिंदगी स्वाइन फ्लू को लेकर खतरे में ही रहती है। यानी बाद में टेमी फ्लू उस पर असर नहीं करती।

सालों पुरानी है वॉयरोलॉजी लैब की मांग : इंदौर में वायरोलॉजी लैब की मांग सालों पुरानी है। लैब इंदौर में स्थापित हो जाए तो चंद घंटों में जांच रिपोर्ट मिलने लगेगी। ऐसा होने पर बीमारी से पीड़ित मरीजों को तो तुरंत इलाज मिलेगा ही, उन मरीजों को भी राहत मिलेगी जिन्हें बीमारी की आशंका में टेमी फ्लू दे दी जाती है। इन मरीजों में इस दवा की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने से बचा जा सकेगा। इंदौर में आसपास के जिलों से कई मरीज इलाज के लिए इंदौर आते हैं। निजी अस्पताल में इलाज करा रहे

मरीजों का रिकॉर्ड नहीं : स्वाइन फ्लू की आशंका में निजी अस्पताल में भर्ती कई मरीजों की जानकारी विभाग के पास पहुंच ही नहीं पाती है। कई अस्पताल न तो इनके स्वाब सैंपल जांच के लिए भेजते हैं, न विभाग को सूचित करते हैं। ऐसा कोई सिस्टम भी नहीं कि जानकारी छिपाने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई हो। निजी अस्पतालों की इस लापरवाही से मरीजों का वास्तविक आंकड़ा नहीं मिल पाता है।

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