भोपाल। प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं जो पेंशन के दायरे से बाहर हैं। इनमें चतुर्थ श्रेणी, राज्य परिवहन निगम, केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम एवं छूट गए कर्मचारी भी शामिल हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पर इन सभी ने अपनी मांग को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। बढ़ी हुई पेंशन के लिए आंदोलन की तैयारी भी की जा रही है।
प्रदेश में ऐसे कर्मचारियों की संख्या डेढ़ से दो लाख बताई जा रही है जो पेंशन के दायरे से बाहर हैं। केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम में भेल, एनटीपीसी एवं स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के ही करीब 30 हजार कर्मचारी शामिल हैं। ईपीएफओ ने फिलहाल अनएग्जम्पटेड (छूट नहीं प्राप्त) संवर्ग को बढ़ी हुई पेंशन का लाभ देने की तैयारी की है। इन सदस्यों के पीएफ पेंशन का पैसा ईपीएफओ में जमा होता है। जबकि एग्जम्पटेड (छूट प्राप्त) संवर्ग भेल, ओएनजीसी जैसे केन्द्र सरकार के उपक्रमों में सदस्य का पैसा संस्था में ही जमा होता है।
रापनि व एचईजी कर्मचारी भी : प्रदेश की एचईजी और डबरा शुगर मिल, राज्य परिवहन निगम, सहकारिता एवं बढ़ी हुई पेंशन के दायरे से छूटे कर्मचारियों की संख्या भी हजारों में है। कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो बंद हो चुकी हैं। उनका रिकॉर्ड भी ईपीएफओ को उपलब्ध नहीं हो रहा। इन सभी कर्मचारियों ने पेंशन के लिए भविष्य निधि संगठन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। निवृत्त कर्मचारी 1995 समन्वय समिति के उप महासचिव चंद्रशेखर परसाई का कहना है कि कोशियारी कमेटी की रिपोर्ट संसद में सितंबर 2013 से लंबित है। इसे लागू करने का आदेश हो जाए तो पेंशनर्स को न्यूनतम तीन हजार रुपए पेंशन और मौजूदा दर पर महंगाई भत्ता मिला दें तो कुल साढ़े छह हजार रुपए मिलने लगेंगे। इससे हजारों निवृत कर्मचारियों को आजीविका का सहारा मिलेगा।
प्रदर्शन की तैयारी : इस मुद्दे पर पेंशनर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 8 एवं इलाहाबाद में 9 अक्टूबर को सम्मेलन बुलाने का ऐलान किया है।
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