नई दिल्ली. बाजार नियामक सेबी ने लोन डिफॉल्ट करने वाली लिस्टेड कंपनियों को कुछ राहत दे दी है। सेबी ने अपने उस दिशानिर्देश को 'अगले नोटिस तक' के लिए टाल दिया है जिसमें कंपनियों के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लोन पेमेंट में डिफॉल्ट की सूचना शेयर बाजारों को देना जरूरी किया गया था।
सेबी ने दिशानिर्देश पर अनुपालन टालने की कोई वजह स्पष्ट नहीं की है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक सर्कुलर में कहा कि उसने अपने पिछले दिशानिर्देश के कार्यान्वयन को 'अगले नोटिस तक' के लिए टालने का फैसला किया है।
पिछले महीने नियामक ने लिस्टेड कंपनियों को एक अक्टूबर से बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए किसी भी तरह के लोन डिफॉल्ट की सूचना एक कार्य दिवस के भीतर देने के निर्देश दिए थे। यह कदम बैंकों के आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक के फंसे कर्जों (एनपीए) की चुनौती से निपटने के सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के प्रयासों के मद्देनजर उठाया गया था।
डायरेक्टिव में सेबी ने कहा था, 'भारत में कॉरपोरेट सेक्टर लोन के लिए प्रमुख रूप से बैंकिंग सेक्टर पर ही निर्भर है। फिलहाल कई बैंक कॉरपोरेट को दिए गए बड़े कर्जों के संकट में फंसने की समस्या से जूझ रहे हैं जो स्ट्रेस्ड एसेट्स और एनपीए में बदलते जा रहे हैं। कुछ कंपनियों के खिलाफ इंसॉल्वेंसी और बैंक्रप्सी की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।'
निवेशकों तक सूचना पहुंचने में देरी की समस्या को दूर करने के क्रम में सेबी ने लिस्टेड कंपनियों को ब्याज भुगतान, डेट सिक्योरिटीज के एवज में किस्त और बैंक व वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज और एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग्स (ईसीबी) के एवज में किसी भी तरह के डिफॉल्ट की सूचना शेयर बाजारों को देने के लिए कहा था।
सेबी ने कहा था कि कंपनियों को डिफॉल्ट के मामले में डिफॉल्ट की तारीख से एक कार्यदिवस के भीतर एक निश्चित फॉर्मेट में डिसक्लोजर देना होगा। फिलहाल सेबी की लिस्टिंग गाइडलाइन्स में लिस्टेड नॉन कंवर्टिबल डिबेंचर्स, लिस्टेड नॉन कंवर्टिबल रीडीमेबल प्रेफरेंस शेयरों और फॉरेन करेंसी कन्वर्टिबल बांड सहित डेट सिक्योरिटीज पर ब्याज या मूल के भुगतान में देरी या डिफॉल्ट पर डिसक्लोजर की जरूरत होती है।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज के संबंध में इस तरह का कोई डिसक्लोजर नहीं देना होता है।
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