भारत सहित किसी भी देश को हाइपरसोनिक मिसाइल न बेचें US, रूस और चीन: रैंड
Fri, Sep 29, 2017 7:05 PM
इंटरनेशनल डेस्क. रक्षा मामलों पर अमेरिकी संस्था रैंड कार्पोरेशन ने कहा है कि भारत सहित अन्य किसी भी देश को हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम या इसके उपकरण नहीं देना चाहिए। इस संबंध में अमेरिका, रूस और चीन को आपसी सहमति बनाना चाहिए। रैंड कॉर्पोरेशन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि हाइपरसोनिक मिसाइल को अमेरिका, रूस और चीन ने विकसित किया है। इन तीन देशों के अलावा अन्य किसी भी देश में इनके प्रसार का नतीजा यह होगा कि दूसरे देशों से इन तीनों पर हमले का खतरा और बढ़ेगा।भारत सहित कई देश विकसित कर रहे डिफ्यूजन तकनीकी...
- रैंड कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत सहित अन्य देश हाइपरसोनिक टेक्नालॉजी का प्रसार करने में लगे हैं।
- यदि यह टेक्नोलॉजी अन्य देशों को दी गई, तो इसका अन्य देशों में तेजी से प्रसार हो सकता है। इसलिए अमेरिका, रूस और चीन को इसके प्रसार को रोकने के लिए आम सहमति बनानी चाहिए। - इसमें कहा गया है कि भारत और फ्रांस ने हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी में रिसर्च और डेवलपमेंट में काफी प्रगति की है।
क्या है सुपरसोनिक मिसाइल
- सुपरसोनिक मिसाइल एंटी शिप क्रूज मिसाइल है और अपनी तरह के वेराइटी में यह काफी घातक मानी जाती है।
- ये मिसाइल 5000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हमला कर सकती है और इनमें बड़े क्षेत्र में तबाही मचाने की क्षमता होती है।
- भारतीय सेना में 2007 से ब्रह्मोस का जमीन पर मार करने वाला संस्करण संचालित है। ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर और गति 2.8 मैच है। इसे जमीन, समुद्र और उपसमुद्र से समुद्री और जमीनी निशानों पर मार किया जा सकता है।
- भारत और रूस ने इसे संयुक्त रूप से तैयार किया है और इसे दुनिया की एकमात्र ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है। इस मिसाइल को भारतीय नौसेना में 2005 में पहली बार शामिल किया गया था।
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