Thursday, 22nd May 2025

एक अक्षर से हो गया रावण का सर्वनाश, जानिए पूरी रोचक कथा

Thu, Sep 28, 2017 6:08 PM

लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण-वध के लिए चंडीदेवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा। उनके बताए अनुसार, चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था की गई।

इधर, हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प पूरा होने में संशय दिखने लगा। तत्काल दुर्लभ नीलकमल को लाना असंभव था। तब भगवान राम ने सोचा कि क्यों न मैं अपना नेत्र ही समर्पित कर दूं क्योंकि लोग तो मुझे कमलनयन कहते ही हैं।

राम ने जैसे ही अपनी तरकश से तीर निकाला, तब देवी ने प्रकट हो श्रीराम से कहा- राम मैं प्रसन्न हूं और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं, दूसरी ओर रावण ने भी विजय की कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया।

रावण के यज्ञ का सर्वनाश

एक बार रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धरकर हनुमानजी भी सेवा में जुट गए। नि:स्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर मांगने को कहा। इस पर हनुमानजी ने कहा कि यदि आप प्रसन्न हैं, तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर बदल दीजिए।

ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी... भूर्तिहरिणी में 'ह' की जगह पर 'क' उच्चारित करें। 'भूर्तिहरिणी' यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और 'भूर्तिकरिणी' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली।

मंत्र के ऐसे गलत उच्चारण से देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। एक अक्षर के बदल जाने से अर्थ का अनर्थ हो गया और रावण का सर्वनाश हो गया।

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