नई दिल्ली। यूपीए सरकार यदि चाहती, तो बोफोर्स घोटाले के भगोड़े ओटावियो क्वात्रोची के बैंक खातों से पैसे की निकासी पर लगी रोक को जारी रख सकती थी। मगर, सरकार ने ऐसा नहीं करने का विकल्प चुना। यह जानकारी हाल ही में सीबीआई ने संसद की लोक लेखा समिति को दी है।
सीबीआई ने इस जानकारी में समिति को बताया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार चाहती थी कि क्वॉत्रोकी अपने बैंक खातों से 1 मिलियन डॉलर (करीब 6.5 करोड़ रुपए) और 3 यूरो मिलियन (करीब 23 करोड़ रुपए) राशि निकाल ले। माना जा रहा है कि यह पैसा बोफोर्स सौदे में अवैध दलाली का था।
साल 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद यूके की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने क्वात्रोकी के फंड पर रोक को जारी रखने के रास्ते सुझाए थे। सीपीएस ने सुझाव दिया था कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत ओत्तावियो क्वात्रोकी को घोषित अपराधी घोषित करते हुए इसी धारा के तहत उसके जब्त किए गए फंड्स पर रोक जारी रखी जा सकती है।
मगर, तत्कालीन अडिशनल सॉलिसिटर जनरल भगवान दत्ता ने सीपीएस के सुझाव को खारिज कर दिया था। दत्ता ने कहा था कि सीपीएस के वकील स्टीफन हेलमन की ओर से बताई गई सीआरपीसी की जो धारा का सहारा लेने का कोई ठोस आधार नहीं है। 13 जनवरी, 2006 को बैंकों को डिस्चार्ज ऑर्डर जारी किया गया और 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने क्वात्रोकी के फंड पर लगी रोक को जारी रखने के पक्ष में फैसला दिया था।
मगर, उस समय तक सारा पैसा निकल चुका था। साल 2013 में इटली के इस व्यवसायी की मौत हो गई। उसने यूके स्थित बैंक पर फंड जारी करने के लिए दबाव बनाया था। क्वात्रोकी ने 2004 और 2005 में पूर्व अधिकारियों और यूके स्थित उद्योगपति हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ कार्रवाई को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने का हवाला दिया था।
उस समय सीपीएस ने सीबीआई से पुष्टि करने के लिए कहा था कि क्या लंदन में बीएसआई एजी में क्वात्रोची के जो खाते हैं, उन पर रोक जारी रखने का कोई आधार है। जवाब में दत्ता ने कहा था कि सीबीआई इस बारे में कोई साक्ष्य नहीं जुटा सकी है कि यूके में जो क्वात्रोची का पैसा है, उसका संबंध स्वीडिश हथियार निर्माता एबी बोफोर्स से क्वात्रोची को मिले भुगतान से है।
सीबीआई ने उस समय भारतीय अदालतों में अपना रुख बदलते हुए कहा था कि वह इतालवी कारोबारी के खिलाफ मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है। इतना ही नहीं, दत्ता ने सीपीएस से यह भी कहा था कि साल 1997 में क्वात्रोची के खिलाफ जारी किया रेड कॉर्नर नोटिस प्रभावी नहीं है। प्रत्यार्पण के असफल प्रयासों को देखते हुए आपराधिक मामले का सामना करने के लिए इटली के नागरिक को भारत लाना संभव नहीं है।
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