Thursday, 22nd May 2025

खराब स्प्रिंग के सहारे 3 माह तक दिल्ली से भोपाल दौड़ती रही शताब्दी एक्सप्रेस

Wed, Sep 27, 2017 7:19 PM

भोपाल.दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस दिसंबर 2016 से फरवरी 2017 तक खराब निर्माण सामग्री से बनी स्प्रिंग के सहारे ही ट्रैक पर दौड़ती रही। इन तीन महीनों में कोच की स्प्रिंग पांच बार टूटी। जांच में सामने आया कि इनके निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। इसके बार रेलवे ने स्प्रिंग बनाने और सप्लाई करने वाली जर्मन कंपनी एलपीडीएम को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। साथ ही यात्रियों के सफर को सुरक्षित बनाने बीना से भोपाल के बीच ट्रेन की रफ्तार 70 किलोमीटर प्रति घंटे 31 अगस्त तक के लिए सीमित कर दी। रफ्तार पर लगे इस ब्रेक के हटते ही बीते 25 दिन में दोबारा ट्रेन की स्प्रिंग टूटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

शताब्दी के कोच की स्प्रिंग बार-बार टूटने को लेकर भास्कर ने पड़ताल की। दिल्ली रेल मंडल के अफसरों ने बताया कि देशभर की शताब्दी अौर राजधानी एक्सप्रेस श्रेणी की गाड़ियों के लिए नवंबर 2016 में जर्मन कंपनी एलपीडीएम ने कपूरथला कोच फैक्टरी को स्प्रिंग सप्लाई की थी।
 
रफ्तार पर लगे ब्रेक के हटते ही दोबारा टूटी शताब्दी के कोच की स्प्रिंग
ट्रैक पर स्प्रिंग ​
2016 के दिसंबर में शताब्दी एक्सप्रेस में लगाई गई थी यह स्प्रिंग
80 की रफ्तार होते ही ये स्प्रिंग अलग-अलग समय पर पांच बार टूटी
इसके बाद..70 किमी/ घंटे तक सीमित कर दी बीना से हबीबगंज के बीच रफ्तार
 
तर्क यह भी...
रेल मंडल के प्रवक्ता आईए सिद्दीकी का कहना है कि यह स्प्रिंग व्हील बेस में अंदर की तरफ सपोर्ट के लिए लगाई जाती है। इसका कार्य मेन स्प्रिंग को सपोर्ट करना होता है। जब भी यह स्प्रिंग टूटती है, तो अलग नहीं होती और वहीं टिकी रहती है। स्प्रिंग टूटने के बाद भी ट्रेन को 80 किमी/घंटे की स्पीड से अगले स्टेशन तक ले जा सकते हैं।
 
भोपाल रेल मंडल के डीआरएम शोभन चौधुरी ने बताया कि शताब्दी के कोच की स्प्रिंग बार-बार टूटने की घटनाओें के बाद इसकी जांच करने के लिए फरवरी से अगस्त तक ट्रेन की रफ्तार सीमित की थी। रफ्तार की बाध्यता बीना से हबीबगंज के बीच लागू की गई थी। इस दौरान एक मर्तबा भी स्प्रिंग टूटने की घटना नहीं हुई। अगस्त के आखिरी में शताब्दी की रफ्तार पर लगे ब्रेक को हटाया गया। इसके एक सप्ताह बाद ही ट्रेन के काेच की स्प्रिंग टूटने की घटनाएं दोबारा होने लगी। इस वजह से कोच में लगी स्प्रिंग की गुणवत्ता पर सवाल बरकरार है।
 
लैब में जांच के बाद सामने आया था सच
स्प्रिंग की निर्माण सामग्री की जांच कराई गई थी। इसकी रिपोर्ट में लैब के विशेषज्ञों ने स्प्रिंग के निर्माण में उपयोग किए गए मटेरियल को खराब बताया था। इसके बाद स्प्रिंग सप्लाई करने वाली कंपनी एलपीडीएम को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।
नीरज शर्मा, चीफ पीआरओ, नॉदर्न रेलवे
 
10 माह में कब-कब टूटी स्प्रिंग
- 17 दिसंबर 2016 को कोच नंबर सी-12 की स्प्रिंट टूट गई थी।
- 19 दिसंबर को कोच सी-7 की स्प्रिंग टूट गई।
- 26 दिसंबर को सी-3 कोच की फिर स्प्रिंग टूट गई।
- 2 जनवरी और दो फरवरी को क्रमश: सी-10 व सी-5 कोच की स्प्रिंग टूटी थी।
- 7 सितंबर 2017 को एक बार फिर सी-3 कोच की स्प्रिंग में दरार आई
- 10 सितंबर 2017 रविवार को सी-7 कोच की स्प्रिंग टूटी।
 
सातवीं बार 24 सितंबर को भी स्प्रिंग टूटने की घटना हुई। हालांकि रेल अधिकारियों का दावा था कि इस बार स्प्रिंग नहीं बोल्ट टूटा था।

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