इकोनॉमी खराब दौर में थी, नोटबंदी ने आग में घी का काम किया: यशवंत
Wed, Sep 27, 2017 7:15 PM
नई दिल्ली. पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर यशवंत सिन्हा ने कहा है कि इकोनॉमी की हालत खराब है। पिछले दो दशक में प्राइवेट क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट सबसे कम रहा है। जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया, इससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए। इकोनॉमी में तो पहले से ही गिरावट आ रही थी, नोटबंदी ने तो सिर्फ आग में घी का काम किया। दो दिन में ये दूसरा मौका है जब बीजेपी नेताओं ने सरकार की नीतियों की आलोचना की है। मंगलवार को वरुण गांधी ने रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने की बात कही थी। एग्रीकल्चर-कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की हालत भी ठीक नहीं...
- 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, "निजी क्षेत्र में निवेश लगातार कम हो रहा है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन करीब-करीब खत्म हो चुका है। एग्रीकल्चर-कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की हालत भी ठीक नहीं कही जा सकती। सर्विस सेक्टर में धीमा ग्रोथ रेट है। एक्सपोर्ट कम होने का असर इकोनॉमी पर साफ देखा जा सकता सकता है।"- "नोटबंदी सबसे बड़ा इकोनॉमिक डिजास्टर साबित हुई। जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया। इसका बिजनेस पर काफी बुरा असर पड़ा। लाखों लोग बेरोजगार हो गए। बाजार में नौकरियों के नए मौके नहीं हैं।"
- "बीती दो तिमाही में ग्रोथ रेट गिर रही है। मौजूदा वक्त में ग्रोथ रेट 5.7 तक पहुंच गई है। ये बीते 3 साल में सबसे कम है। सरकार के स्पोक्सपर्सन का कहना है कि इकोनॉमी में गिरावट की वजह नोटबंदी नहीं है। वे सही बोल रहे हैं। गिरावट तो पहले ही आनी शुरू हो गई थी। नोटबंदी ने तो केवल आग में घी काम किया है।"
जेटली को सरकार में सबसे बेहतर माना जाता है
- सिन्हा ने कहा, "अरुण जेटली को तो सरकार में सबसे बेहतर माना जाता है। 2014 में चुनाव के पहले ही ये तय हो गया था कि वे नई सरकार के वित्त मंत्री होंगे।"
- "जब वे अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार चुके थे, उस लिहाज से तो उन्हें मंत्री बनाया जाना ही नहीं था। अगर मैं पुरानी बातें याद करूं तो 1998 में
अटल बिहारी वाजपेयी ने
जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को मंत्री बनाए जाने से मना कर दिया था।"
- "मोदी ने जेटली के हारने के बाद न केवल उन्हें फाइनेंस मिनिस्टर बनाया बल्कि डिसइन्वेस्टमेंट डिपार्टमेंट, डिफेंस और कॉर्पोरेट अफेयर्स की भी जिम्मेदारी दे दी। मैं फाइनेंस मिनिस्टर रहा हूं, जानता हूं कि वहां कितना काम होता है। वहां कोई भी शख्स एक ही काम देख सकता है। बदलते दौर में वहां 24 घंटे काम की दरकार होती है। जेटली जैसे सुपरमैन ताकत वाले भी उसके साथ न्याय नहीं कर सकते।"
एक आदमी से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें
- सिन्हा ने कहा, "इकोनॉमी में गिरावट एकदम से नहीं आ गई। इससे निपटा भी जा सकता है लेकिन इसके लिए हमें मुद्दे की समझ होनी चाहिए और दिमाग में गेम प्लान तैयार करना होगा। ये सब इसलिए भी हो रहा है कि एक शख्स जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियों का बोझ उठाए हुए है। नतीजा हम सबके सामने है।"
- "प्रधानमंत्री को चिंता है। वे फाइनेंस मिनिस्टर और उनके अफसरों के साथ मीटिंग कर चुके हैं। जेटली ने उन्हें ग्रोथ रेट बढ़ाने के लिए पैकेज देने का वादा किया है। हालांकि वो अब तक सामने नहीं आया है। नई बात केवल ये है कि प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल का दोबारा से गठन किया गया है। यानी 5 पांडव हमारे लिए नया महाभारत का युद्ध जीतेंगे।"
क्या बोले राहुल?
- सिन्हा के आर्टिकल का जिक्र करते हुए राहुल ने ट्वीट किया, "लेडीज एंड जेंटलमैन, आपके सहयोगी और पूर्व वित्त मंत्री ही बोल रहे हैं। जल्दी से अपने सीट बेल्ट्स बांध लीजिए और पोजिशन ले लीजिए। हमारे प्लेन के पंख टूटने वाले हैं।"
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