Thursday, 22nd May 2025

छत्तीसगढ़ का 24 साल का हैकर:कश्मीर में सुरक्षाबलों को दिलाई बड़ी कामयाबी

Fri, Sep 22, 2017 6:31 PM

रायपुर।एक साधारण से शिक्षक का बेटा। नाम.. रोहित कुमार (बदला हुआ)। उम्र.. 24 साल। पेशा.. साइबर एक्सपर्ट/हैकर। इस नाम की चर्चा इसलिए, क्योंकि भारत समेत दुनियाभर में आईएस, हिजबुल, अलकायदा, जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के सोशल मीडिया नेटवर्क को इस युवा ने ध्वस्त करने का काम किया है।
 
 
 
 
- रोहित के दिए सूचनाओं से देशभर में खासकर कश्मीर में चल रहे आतंकी गतिविधियों को रोकने में सुरक्षाबलों को बड़ी मदद मिली है। भास्कर ने पर्दे के पीछे काम करने वाले देश के इस युवा हीरो से बातचीत की।
 

आप भी रोहित की जुबानी पढ़िए उन आतंकियों तक 24 साल का यह युवा कैसे पहुंचा…

- विदेशी नंबरों से कश्मीर के पत्थरबाजों और आतंकियों के वाट्सएप ग्रुप की जानकारी इकट्ठा की, सभी सूचनाएं खुफिया विभाग तक पहुंचाई बात लगभग एक साल पुरानी है। मैंने सीआईएसएसपी (सर्टिफाइड इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स सिक्योरिटी प्रोफेशनल) का कोर्स कर रखा है।
- दुनिया में 1.5 लाख से भी कम लोगों के पास ये सर्टिफिकेट है। मैं साइबर एक्सपर्ट होने के साथ ही हैकर भी हूं। इस तरह मेरा प्रोग्रामिंग रिसर्च चलता रहता है। सालभर पहले साइबर फ्रिक्वेंसी पर काम करते हुए प्रैक्टिकल के दौरान ही मैंने एक लीबियन नंबर (दक्षिण अफ्रीकी देश) जनरेट किया।
- यह नंबर संभवत: उस व्यक्ति का नंबर था, जो पहले भी आतंकी संगठनों के साथ जुड़ा था। नंबर प्रयोग में लाते ही मुझे कई ग्रुप में जोड़ा गया। मुझे आश्चर्य हुआ। यह सारी जानकारी मैंने लोकल पुलिस को दी। मैं खुफिया विभाग पहुंचा, अफसरों से बात की, तो उन्होंने मुझे लोकल टेरेरिस्ट मसलन सिमी या दूसरे संस्थाओं से जुड़े लोगों को ट्रैक करने को कहा।
- मुझे पाकिस्तान का नंबर जनरेट करना पड़ा। क्योंकि इसके लिए मेरा बेस पाकिस्तान का होना जरूरी था। मैंने नंबर जनरेट किया। इस नंबर के जरिए पहले मैं आतंकी संगठन जमात-उद-दावा की चैरिटी संस्था एफआईएफ से जुड़ा और यहीं से मुझे जमात के ऑफिशियल ग्रुप में जोड़ दिया गया।
- मैंने अपनी गलत जानकारी उन्हें दी। मैंने उन्हें बताया की पाकिस्तान का रहने वाला हूं और यूके में जॉब करता हूं। मैंने अपने पिता को पाकिस्तानी और मां को कश्मीरी होना बताया। जमात ने मुझे लश्कर का लिंक भेजा और लश्कर ने वीडियो कॉलिंग के जरिए मेरा वेरीफिकेशन किया। मसलन मुझसे उर्दू में बात की गई। 
- मुझे से कलमा पढ़वाया गया। मेरे पाकिस्तानी नंबर के कारण मुझे आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की जानकारी दी गई। यहीं से मुझे लश्कर-ए-तैयबा के दो ग्रुप में जोड़ दिया गया। मुझसे लगातार वीडियो कॉलिंग के जरिए बातचीत की जाती। मुझे कश्मीर में काम करने को कहा गया। मेरे पास ऑप्शन रखे गए कि मैं मुजाहिदिनों को खाना पहुंचाना चाहता हूं, या फिर पथराव करना।
- मैंने पथराव का ऑप्शन चुना। तब मुझे पथराव के ग्रुप में जोड़ा गया। कश्मीर में पथराव के बहुत छोटे-छोटे जिले के अनुसार ग्रुप हैं। इन ग्रुप में दूसरे ग्रुप के लिंक आते और मैं उन ग्रुप में जुड़ता चला गया। ऐसे मैं लगभग 3000 से ज्यादा ग्रुप में जुड़ चुका था। इनमें अलकायदा, आईएस, लश्कर, एचएम, आईएम, जैश ए मोहम्मद, सिमी समेत पथराव के कई छोटे ग्रुप्स थे।
- मैंने इस जानकारी को एनआईए को शेयर करने की ठानी। मार्च 2017 में ही मैंने यह जानकारी एनआईए को दे दी। इसके बाद सेना व पुलिस सक्रिय हो गई। वे हर स्थान में पहुंच जाते, जहां पथराव की तैयारी होती या फिर आतंकी छिपे होते थे।
- ऐसा होते देख कश्मीर के कुछ ग्रुप में यह मैसेज चलने लगा कि उनके ग्रुप में मुखबिर हो सकते हैं, जो जानकारी लीक कर रहे हैं। लोगों को एक-एक करके आईडेंटिफाई किया जाने लगा। मुझसे पूछताछ हुई, देश विरोधी बातें नहीं कर पाने के कारण मैं पहचान लिया गया था।
- मैंने तुरंत वह नंबर छोड़कर नया नंबर जनरेट किया। यह बात जुलाई की है। उस समय भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच होना था, तो मैंने ब्रिटेन का नंबर जनरेट कर लिया। यह काफी दिनों तक चला, लेकिन ग्रुप मेंबर्स को यह पसंद नहीं था कि थर्ड कंट्री के लोग ग्रुप में रहें।
- वे मेरे बताए गए फर्जी पते की फोटो भेजने कहते। बाद में मैंने कश्मीर का नंबर जनरेट किया। यह सब मेरे प्रैक्टिकल का हिस्सा था। यह सारी जानकारी मैंने एनआईए को सौंपी। एक महीने पहले ही एनआईए ने यह सारी जानकारी उजागर कीं और बताया कि उन्होंने आतंकी नेटवर्क को क्रैक करने में सफलता पाई। वह सारी जानकारी मैंने ही दी थी। देश के लिए मैंने अपना काम पूरा कर लिया था। मैं अब भी अपने काम में लगा हुआ हूं।

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