Sunday, 13th July 2025

14 मैच करवाने के बाद भी फेल हुआ एमपीसीए का सिस्टम

Thu, Sep 21, 2017 6:05 PM

इंदौर. 24 सितंबर को होलकर स्टेडियम में होने वाले भारत-ऑस्ट्रेलिया वनडे क्रिकेट मैच के टिकटों की बिक्री को लेकर एमपीसीए की अव्यवस्था ने हजारों लोगों को फिर निराश किया। पहले ऑनलाइन सिस्टम क्रैश होने के कारण इंदौर के बाहर के क्रिकेट प्रेमी टिकट नहीं ले सके, फिर विंडो से खरीदी में यहां के लोग परेशान हो गए। इस बीच, ऐनवक्त पर शेड्यूल बदलकर एक दिन पहले ही सारे टिकट बेच दिए, जिससे क्रिकेटप्रेमी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

एमपीसीए के पदाधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि हमें मालूम नहीं था कि टिकट लेने के लिए इतनी भीड़ आएगी। यह बात लोगों के गले इसलिए नहीं उतर रही, क्योंकि एमपीसीए ने इंदौर में पहला इंटरनेशनल वनडे मैच 1983 में करवाया था। यानी, उसके पास मैच करवाने का 34 साल का अनुभव है। एमपीसीए इंदौर में 13 वनडे व एक टेस्ट मैच और ग्वालियर में 12 वनडे मैच करवा चुका है। वहीं, बीसीसीआई से एमपीसीए को इस बार 42 करोड़ का फंड मिला। वहीं, हर साल औसतन 20 से 25 करोड़ मिलते हैं। इतना फंड होने के बाद दर्शकों के लिए टिकट देने का सिस्टम बनाने में पदाधिकारियों ने कभी गंभीरता नहीं बरती।
 
10 मिनट में ही क्रैश हो गई थी वेबसाइट
पहली चूक यहीं हुई। एमपीसीए और टिकटजिनी वेबसाइट समझ ही नहीं पाए कि कितना ट्रैफिक आएगा। इस कारण सिस्टम 10 मिनट में ही क्रैश हो गया।

टिकट बिक्री खत्म करने पर परिवाद
मैच के टिकट की बिक्री एक दिन पहले ही खत्म करने पर एमपीसीए के खिलाफ जिला कार्ट में परिवाद दायर किया है। कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगी। एडवोकेट लालजी गौर ने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी अतुलराज भलावी की कोर्ट में लगाए परिवाद में एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित और सचिव मिलिंद कनमड़ीकर को पक्षकार बनाया है। इसमें कहा है कि 18 से 20 सितंबर तक टिकट बिक्री के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशन किया था, लेकिन 19 सितंबर को सारे टिकट बेच दिए। यह दर्शकों के साथ धोखा है। परिवाद में त्वरित सुनवाई कर एमपीसीए पदाधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है।
 
 
मिलिंद कनमड़ीकर, सचिव एमपीसीए से सीधी बात
 
 
टिकट के लिए इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही सिस्टम फेल क्यो हो गए?
ऑनलाइन में ट्रैफिक ज्यादा हो गया था। ऑफलाइन में हमें इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। 
पहले भी वनडे मैच में टिकट को लेकर मांग रही थी। फिर ऐसा क्यों?
हां, लेकिन इस बार ऑनलाइन नहीं होने से ऑफलाइन में उम्मीद से परे मांग आ गई। 
हजारों क्रिकेट प्रेमी परेशान हुए। टिकट वितरण की कोई पुख्ता व्यवस्था क्यो नहीं रही?
स्टेडियम छोटा है। टिकट तय संख्या में ही थे। जो पहले आया, उसे बेचे गए। अनुभव से ही सब सीखते हैं। अगले मैच में और बेहतर व्यवस्था करेंगे।

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