भोपाल। एमबीबीएस की सीटों में दाखिले को लेकर हुई गड़बड़ी के संबंध में दो निजी मेडिकल कॉलेजों ने जो सफाई दी है, वो किसी के गले नहीं उतर रही। कॉलेज संचालकों ने संचालनालय चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) को बताया है कि मेरिट वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे, इसलिए मजबूरी में दूसरे उम्मीदवारों को दाखिला देना पड़ा।
इन दाखिलों को डीएमई ने अमान्य कर दिया है। प्रवेश निरस्त करने के बाद खाली सीटों को भरने के लिए राज्य शासन सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांग सकता है।
बता दें कि लेफ्ट आउट राउंड के बाद देवास के अमलतास मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 18 सीटें खाली थीं। कॉलेज प्रबंधन ने तीन सीटें डीएमई द्वारा दी गई मेरिट से भरी, जबकि 15 सीटें अपनी मर्जी से भर लीं। इनमें कई छात्रों के अंक मेरिट में आए उम्मीदवारों के अंक से आधे से भी कम हैं।
इसी तरह से इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर में लेफ्ट आउट राउंड के बाद 18 सीटें खाली थीं। कॉलेज प्रबंधन ने सभी सीटें अपनी मर्जी से भर लीं। डीएमई ने जो मेरिट लिस्ट जारी की थी, उसमें नीट यूजी में उम्मीदवारों के अंक 422 से ज्यादा थे, जबकि इंडेक्स मेडिकल कॉलेज ने जिन छात्रों को एडमिशन दिए हैं, उनके अंक 358 से कम हैं। 8 छात्रों के अंक 200 से भी कम हैं।
पिछले साल हुए थे ज्यादा दाखिले
2016-17 सत्र में एमबीबीएस में दाखिले के दौरान आखिरी दिन ऑफ लाइन काउंसलिंग में अमलतास मेडिकल कॉलेज में 28 एडमिशन समेत तीन कॉलेजों में तय क्षमता से 37 एडमिशन अधिक हुए थे। डीएमई ने ये प्रवेश निरस्त कर दिए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इन दाखिलों को वैध करार दे दिया था। इसके बदले मौजूदा सत्र में सीटें समायोजित करने को कहा गया था।
इतनी सीटें कॉलेजों ने भरी
अमलतास मेडिकल कॉलेज- 18
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज- 18
एलएन मेडिकल कॉलेज- 23
आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज- 24
चिरायु मेडिकल कॉलेज- 3
अरविंदो मेडिकल कॉलेज- 1
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज- 5
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज- 2
कुल-94
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