भोपाल। प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 15 नवंबर से 15 जनवरी तक होगी। इस बार आधी धान भरने के लिए पुराने बोरों का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्र सरकार के निर्देश के मद्देनजर सरकार सोसायटियों से आधे बोरे वापस लेगी। इसके लिए सरकार बाकायदा समितियों को राशि का भुगतान भी करेगी। इस बार मक्का समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा।
प्रदेश सरकार ने खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की नीति जारी कर दी है। इसके मुताबिक हर एक किसान के रकबे का सत्यापन करने के बाद उससे फसल खरीदी जाएगी। खरीदी का काम उपार्जन केंद्रों पर सप्ताह में पांच दिन चलेगा। बाकी दो दिन स्टॉक की जांच और उसे गोदाम में पहुंचाने का काम होगा।
किसान को फसल बेचने के लिए ई-उपार्जन सॉफ्टवेयर में पंजीयन कराना होगा। जिन किसानों का पहले से पंजीयन है, उन्हें ये काम नहीं करना होगा। यदि रकबे में कोई बदलाव हुआ है तो उसे अपडेट करना कराना पड़ेगा। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कृषि विभाग ने 20 लाख टन धान और करीब पांच हजार टन ज्वार व बाजरा समर्थन मूल्य पर बिकने की संभावना जताई है।
इस हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं। धान रखने के लिए 50 प्रतिशत पुराने बोरों का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए समितियों से बोरे वापस लिए जाएंगे। केंद्र ने एक बार इस्तेमाल किए हुए बोरे की कीमत 10 रुपए रखी है। अब सरकार को तय करना है कि वो समितियों से किस कीमत में बोरे वापस लेती है।
मूंग और प्याज खरीदी जैसी स्थिति धान के उपार्जन में न हो, इसके लिए पटवारी 100 फीसदी में किसानों के रकबे का मैदानी सत्यापन करेंगे। नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम, जिला, संभाग व राज्य स्तरीय अधिकारियों के लिए भी सत्यापन के लक्ष्य तय किए गए हैं। ऐसी किसी भी समिति को खरीदी केंद्र नहीं बनाया जाएगा, जहां पिछले तीन साल में कोई भी गड़बड़ी हुई हो।
दूसरे राज्यों का अनाज रोकने बनेंगे उड़नदस्ते
सरकार ने ये भी तय किया है कि खरीदी के दौरान दूसरे राज्यों का अनाज केंद्रों में न बिक पाए, इसके लिए उड़नदस्ते बनाए जाएंगे। ये दस्ते सीमावर्ती इलाकों पर लगातार नजर रखेंगे और इनकी रिपोर्ट की कलेक्टर प्रति सप्ताह समीक्षा करेंगे।
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