चंडीगढ़। पत्रकार छत्रपति और डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या मामलों में पंचकूला सीबीआई कोर्ट में गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ सुनवाई जारी है। मामले के सीबीआई वकील अच पी अस वर्मा और बचाव पक्ष के वकील अस के गर्ग नरवाना केके बीच बहस चली।
डेरा प्रमुख राम रहीम की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई कोर्ट में पेशी। इस दौरान दोनो हत्या मामलों के बाकी सभी 7 आरोपी भी सीबीआई कोर्ट में पेश गए। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या आरोप में निर्मल सिंह, कृष्ण लाल और कुलदीप को पेश किया गया वहीं डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या आरोप में कृष्ण लाल, अवतार सिंह, जसबीर, सबदिल और इन्द्रसेन को पेश किया गया।
इस बीच, मामले में डेरे का पूर्व सेवादार खट्टा सिंह फिर से राम रहीम के खिलाफ गवाही देने को तैयार हो गया है। खट्टा सिंह ने गवाही देने के लिए कोर्ट में अपील दायर की है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 22 सितंबर तक टाल दी है। उसी दिन कोर्ट तय करेगा कि खट्टा सिंह को गवाही देनी है या नहीं।
खट्टा सिंह ने बताया कि आज सुनवाई के दौरान राम रहीम हाथ जोड़े खड़ा रहा। वह काफी हताश और निराश था। खट्टा के मुताबिक पहले और अब में राम रहीम में बहुत फर्क नजर आया। जो राम रहीम पहले नाचता था वह अब सहमा नजर आया।
राम रहीम की पेशी के चलते पंचकूला और अन्य शहरों में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं। पिछली घटना को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई है।
गुरमीत को पंचकूला कोर्ट में ले जाने की बजाय वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही उसकी पेशी होगी। बता दें कि पत्रकार छत्रपति और डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या मामलों में शनिवार से फाइनल बहस शुरू होगी।
उधर, कानून व्यवस्था को लेकर गृह सचिव व डीजीपी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए कदमों की जानकारी दी। राज्य में अभी 33 कंपनियां अर्द्धसैनिक बलों की तैनात हैं।
रणजीत व छत्रपति मर्डर केस भी 15 साल पुराने
10 जुलाई 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत का मर्डर हुआ था। डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी।
पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की।
वहीं 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक 'पूरा सच' के संपादक रामचंद्र छत्रपति को पांच गोलियां मारी गई थी, जिसके बाद 21 नवंबर 2002 को रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मृत्यु हो गई।
आरोप है कि अपने अखबार में साध्वी यौन शोषण मामले को उठाने पर ही रामचंद्र छत्रपति की हत्या की गई। जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की।
इसके बाद हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्याकांड की सुनवाई एक साथ करते हुए 10 नवंबर 2003 को सीबीआइ को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए।
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