इंदौर। घनी बस्ती। खाना बनाने की भट्टी की तपिश। 20 फीट पर वेल्डिंग मशीन की चिंगारियां। मल्टीप्लेक्स, कार शोरूम और पेट्रोल पंप से घिरे घरेलू गैस के एक दर्जन से ज्यादा असुरक्षित गोदाम। एक में 1500 सिलेंडर, मतलब अगर एक गैस गोदाम में दुर्घटना हुई तो रानीपुरा का पटाखा कांड नहीं, भोपाल की गैस त्रासदी से भी ज्यादा बड़ी दुर्घटना हो सकती है। एक गोदाम की दुर्घटना कम से कम पांच किलोमीटर के गोलाकर क्षेत्र को चपेट में ले सकती है। कई गोदाम दो-दो किलोमीटर के दायरे में हैं। ऐसे में एक गोदाम की दुर्घटना दूसरे गोदाम को भी चपेट में ले लेगी। सुरक्षा के इंतजाम या नियम की बात करें तो एक भी गोदाम ऐसा नहीं है जो सुरक्षा के मापदंडों पर खरा उतरे।
रानीपुरा अग्निकांड के बाद प्रशासन ने पटाखों की दुकानें बंद करवा दीं, लेकिन शहर अब भी बारूद के ढेर पर है। गैस गोदामों का सालाना निरीक्षण होता है। कलेक्टर की अनुमति भी लेना होती है। शहर के बीचो-बीच एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनभर गैस गोदाम हैं। भले ही ये गोदाम किसी समय में शहर के बाहर रहे हों, लेकिन अब हर ओर बसाहट हो चुकी है। इनका संचालन उसी तरह किया जा रहा, जैसा 20-25 साल पहले होता था। न ही इनके आसपास आबादी बसने से रोकी गई और न ही इन्हें बाहर किया गया।
नईदुनिया के आग्रह पर दिल्ली से जाने-माने फायर विशेषज्ञ बीएस टोंगर ने इंदौर आकर इन गोदामों का निरीक्षण किया। उनका कहना था कि बारूद के ढेर पर बैठा है शहर, अगर एक गोदाम में दुर्घटना हुई तो उसकी चपेट में दूसरा गैस गोदाम आ जाएगा। इस तरह पूरा शहर मलबे में तब्दील हो जाएगा। कलेक्टर के पास अधिकार है कि वह दुर्घटना का इंतजार न करते हुए तत्काल इनकी अनुमति निरस्त करे और आबादी से दूर भेजे।
सामान्य आग से 25 गुना तेज होती है गैस की आग
सामान्य आग से अगर व्यक्ति चार फीसदी जलेगा तो गैस की आग से 100 फीसदी जल जाएगा। आम आग से गैस की आग 25 गुना ज्यादा तेजी से जलाती है। ऐसे में पटाखा गोदाम से भी ज्यादा घातक गैस गोदाम होते हैं।
कैसे होता है गैस गोदामों में विस्फोट
फायर विशेषज्ञ टोंगर के मुताबिक, शॉर्ट-सर्किट या किसी भी मामूली सी चिंगारी या सिलेंडर लीक होने पर सिलेंडर के रबर का वॉल्व पिघल जाता है। इसमें आग लगते ही दूसरे सिलेंडर के वॉल्व पिघलते हैं। इनकी चेन बन जाती है। इसके बाद सिलेंडर का फटना शुरू होता है। सिलेंडर और उनके अवशेष फटने के साथ गोली की गति से बिखरते हैं और विध्वंस मचा देते हैं।
कहीं कारखाने तो कहीं रहवासी इमारतों के बीच गोदाम
शहरभर में कई गोदाम ऐसी जगह चल रहे हैं, जहां या तो आसपास कारखाने हैं या फिर घनी आबादी। पत्थर मुंडला, पालदा, एमजी रोड, धार रोड, चंदन नगर, स्कीम 71 सहित कई ऐसी जगह गोदाम हैं, जहां पूरी तरह बसाहट हो चुकी है। यहां न सिर्फ लोग रह रहे, बल्कि हजारों की संख्या में वाहनों का आना-जाना भी रहता है।
कई के पास कुछ मीटर की दूरी पर ही पेट्रोल पंप हैं, जबकि कई पास-पास बने हुए हैं, अगर इनमें से एक में भी हादसा हुआ तो दूसरा गोदाम भी धमाके की जद में आ जाएगा और वह तीसरे गोदाम, पेट्रोल पंप या फिर ज्वलनशील पदार्थ के गोदामों को शिकार बनाएगा। धमाके पर धमाका होगा और शहर आग का गोला बन जाएगा।
क्या है नियम
गैस गोदाम के 200 मीटर तक खुला क्षेत्र होना, आसपास रहवासी क्षेत्र न होना, बिजली के तार या ट्रांसफार्मर की दूरी 200 मीटर होना, 500 मीटर तक पेट्रोल पंप की सीमा न हो, किसी भी तरह की वर्कशॉप जैसे कारखाना, कार शोरूम, वेल्डिंग आदि के कारखाने न हों।
जारी किए हैं नोटिस
गैस गोदाम स्थापित करने के शुरुआत में ही प्रशासन द्वारा एनओसी दी जाती है। शहर के अंदर आबादी क्षेत्र में आ चुके गैस गोदाम को हटाने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं। गैस एजेंसी संचालक खुद नई जगह की तलाश करेंगे। इसके लिए उन्हें एक-दो महीने का समय दिया गया है। - पी. नरहरि, कलेक्टर
सत्यम गैस एजेंसी, भमोरी - इस एजेंसी गोदाम के पास घनी आबादी और व्यावसायिक संस्थान शुरू हो चुके हैं। गोदाम की बाउंड्रीवॉल के पास ही लोहे को पिघलाकर बर्तन, तवे और कड़ाही बनाने का काम होता है। पास ही लकड़ी और प्लाइवुड का गोदाम है। सामने की ओर ऑटोगैरेज हैं। इस तरह की ज्वलनशील वस्तुओं के बीच गोदाम में सैकड़ों किलो गैस भरी होती है और बड़ी संख्या में गैस वाहन लाए-ले जाए जाते हैं।
इंदौर हाउसहोल्ड एजेंसी, भमोरी - एजेंसी की दीवार से लगकर शादी हॉल है। जहां बराती रुकते हैं और तमाम आयोजन होते हैं। दीवार से लगकर ही खाना बनाने की भट्टी जलती हैं। एजेंसी गोदाम से कुछ ही कदमों की दूरी भर बसों, ट्रकों की बॉडी बनाने के कारखाने हैं। गैस कटर, वेल्डिंग का उपयोग होने से कई बार यहां चिंगारियां निकलती हैं। गोदाम के पास में ही मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल है। जहां रोज बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पड़ोस में ही दूसरे व्यावसायिक संस्थान भी हैं।
गैस ओ इंडेन, एमजी रोड - व्यस्ततम क्षेत्र एमजी रोड पर संचालित हो रहे इस गोदाम के आसपास घना आबादी क्षेत्र है। जहां एक ओर दो रहवासी इमारतें हैं, वहीं एक ओर होटल का पिछला हिस्सा है। इस तरह कई परिवारों के घरों के बीच इसका संचालन किया जा रहा है। कुछ साल पहले तक यहां पेट्रोल पंप का संचालन किया जा रहा था। पंप बंद किया जा चुका है, लेकिन एजेंसी गोदाम यथावत है।
अरिहंत एजेंसी, पालदा - इस गोदाम के आसपास कोई बड़ा आबादी क्षेत्र नहीं है, लेकिन उद्योग क्षेत्र होने के कारण यहां भी आसपास कारखाने, गोदाम हैं। कुछ में लकड़ी, पतरे बड़ी मात्रा में हैं तो कुछ में बोरे भी रखे हुए हैं।
आशान्वित गैस एजेंसी, चंदन नगर - चंदन नगर चौराहे के पास रिंग रोड के पीछे की तरफ यह गोदाम बना है। इसके ठीक पास में कोई बड़ा कारखाना या गोदाम नहीं है, लेकिन कुछ दूरी पर उद्योग चल रहे हैं।
महेश एंटरप्राइजेस गैस एजेंसी, स्कीम 71 - यह गोदाम चंदन नगर में चल रहे उद्योगों से कुछ दूरी पर स्कीम 71 में है। इसके पड़ोस में मसाला उद्योग है, दूसरी ओर फर्नीचर कारखाना है। ज्वलनशील पदार्थों का भंडारण इस क्षेत्र में नहीं है, लेकिन इस ओर वाहनों का आना-जाना लगा रहता है।
गैस पॉइंट, भमोरी - यह गोदाम भी ऐसे खतरनाक संस्थानों से चंद कदमों की दूरी पर है। इसके तीनों ओर बड़े व्यावसायिक संस्थान हैं। ठीक सामने ऑटो गैरेज हैं। साथ ही कमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी हैं। कई बार यहां गैस सिलेंडर लाने वाले वाहन मेन रोड पर खड़े होते हैं और पड़ोस की एजेंसी के वाहन भी सड़क पर ही खड़े करना पड़ते हैं। सड़क पर ही हजारों किलो गैस का स्टॉक हो जाता है।
मंगलश्री एजेंसी, पालदा - उद्योग क्षेत्र में इस एजेंसी के पास घनी आबादी नहीं है, लेकिन आसपास कई उद्योग चलाए जा रहे हैं। गोदाम की बाउंड्री वॉल से लगे कारखाने में पशु आहार बनाने का काम हो रहा है। दूसरी फैक्टरियां भी हैं, जिनमें अलग तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं।
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