Thursday, 22nd May 2025

आलेख : राजनीति को लोकनीति से बुनने वाले शिवराज - नरेंद्र सिंह तोमर

Fri, May 26, 2017 6:54 PM

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान के 11 वर्षीय कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने शासन, प्रशासन और जनता के बीच की दूरियां मिटा दीं। विकास का एकमात्र लक्ष्य सामने रख उन्होंने जो जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, उनके सुपरिणाम अब साफ दिखाई देते हैं। शिवराज सरकार के कार्यकाल में राजनीति लोकनीति से आबद्ध हुई और प्रशासन लोकोन्मुखी बना। लोक कल्याण के लिए अथक परिश्रम करने का उनका हौसला समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद इस विकास पर्व को और गति व ऊर्जा मिली है।

ऐसा कम ही होता है कि कोई प्रदेश उसके मुखिया के नाम व काम से जाना जाए। पहले भी कुछ मुख्यमंत्रियों को एक दशक का कार्यकाल मिला, लेकिन सुस्पष्ट विजन, गति और संकल्प के साथ राज्य को आगे ले जाने का जैसा जुनून शिवराजजी में है, वह दूसरों के लिए भी प्रेरणादायी बन गया है। शिवराज अपनी सत्ता का रथ लोगों को साथ लेकर और उनकी भावनाओं का ध्यान रखकर हांकते हैं। सद्भाव, संवाद और समन्वय उनकी कार्यशैली के सूत्र हैं।

किसी राज्य के विकास की तस्वीर का आकलन उसकी योजनाओं, उनके क्रियान्वयन और नतीजों से होता है। सत्ता संभालते ही शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें चुनौती के रूप में लिया और अपने कौशल से सिद्ध करके भी दिखाया। करीब एक दशक पहले तक पिछड़े, गरीब और भावनात्मक रूप से बिखरे मध्य प्रदेश को शिवराज जैसे जमीन से जुड़े नेता ने विकासशील और अग्रणी राज्य में बदल डाला। यह राजनीति विज्ञान व प्रबंधन के विद्यार्थियों के लिए अध्ययन का विषय है। एक तरफ उन्होंने विकास की चुनौतियों को स्वीकार किया तो दूसरी तरफ जनता में अपने राज्य के प्रति भावनात्मक लगाव पैदा किया।

मुख्यमंत्री के रूप में शिवराजजी के सामने राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर कई चुनौतियां थीं। उन्होंने इन्हीं के मद्देनजर अपने लक्ष्य तय किए। राजनीतिक स्तर उन्होंने विरोधियों को चुनावी मात देकर भी लोकतंत्र की भावना के अनुरूप विपक्ष की भूमिका में महत्व दिया। देश के आर्थिक नक्शे में मप्र को रेखांकित करने, किसानों की स्थिति में सुधार, खेती को लाभ का धंधा बनाने, भ्रष्टाचार से मुक्ति, अधोसंरचना का तेजी से विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में मप्र को अग्रिम पंक्ति में लाने को न केवल प्राथमिकता दी बल्कि उस पर अमल भी करके दिखाया। इसी का परिणाम है कि आज राज्य के सिंचाई क्षेत्र का विस्तार 40 लाख हेक्टेयर से भी अधिक होकर प्रदेश कृषि उत्पादन के क्षेत्र में देश के पांच श्रेष्ठ राज्यों में आ गया है। मप्र को केंद्र सरकार द्वारा चार बार 'कृषि कर्मण अवार्ड" से सम्मानित किया जाना इसका प्रमाण है। मुख्यमंत्री की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही मप्र में लोक सेवा गारंटी योजना जैसी पहल हुई, जो दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा का आधार बनी। सड़क, बिजली व पानी के बुनियादी मुद्दों पर सत्ता में आई सरकार ने विगत 11 वर्षों में इन्हीं मुद्दों पर काम कर प्रदेश को बीमारू की छवि से बाहर निकाला। आज प्रदेश में 24 घंटे बिजली दी जा रही है, सड़कों का जाल बिछा है, राज्य की विकास दर 10 प्रतिशत से ऊपर और कृषि दर 20 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है।

अब अगला कदम स्मार्ट सिटी व स्मार्ट विलेज का है। खेती में पानी की कमी दूर करने के लिए नदियों को जोड़ने का उपक्रम शुरू हो चुका है। नर्मदा शिप्रा से जुड़ चुकी है। प्रदेश उद्योग व रोजगार की दिशा में भी तेजी से बढ़ रहा है। इंवेस्टर्स समिट में हुए अरबों के करार व अधिकांश का जमीन पर आना इसका प्रमाण है। शिवराज सरकार ने सामाजिक क्षेत्र में भी खूब काम किया। बेटियों को बचाने की योजना जन अभियान में बदल दी। बेटी बचाओ, लाडली लक्ष्मी और मुख्यमंत्री कन्यादान योजनाएं इसी का आईना हैं। बुजुर्गों का ध्यान रख तीर्थ दर्शन योजना सफलता से लागू की।

एक मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने 'राजनीति को लोकनीति की आकांक्षाओं पर बुनने का सफल प्रयास किया है।" आगे भी इसी अविचल संकल्प के साथ विकास के पथ पर बढ़ते रहेंगे, ऐसा विश्वास है।

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