जबलपुर। फैमली कोर्ट की प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायधीश श्रीमती कनकलता सोनकर की अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि कमाऊ महिला अंतरिम भरण-पोषण की हकदार नहीं है। इसी के साथ जबलपुर निवासी सुमित घोष ने राहत की सांस ली, जबकि महिला श्रीमती निवेदिता घोष को झटका लगा।
मामले की सुनवाई के दौरान सुमित घोष की ओर से अधिवक्ता मनीष मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायदृष्टांतों की रोशनी में आय अर्जित करने वाली महिला को अंतरिम भरण-पोषण पाने का हक नहीं है। इसके बावजूद इस मामले में महिला ने ऐसी ही मांग की है। चूंकि उसकी मांग वैधानिक दृष्टि से स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है, अतः उसका अंतरिम भरण-पोषण की मांग संबंधी आवेदन खारिज किए जाने योग्य है।
श्रीमती निवेदिता घोष नामक महिला ने धारा-24 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत 45000 रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण दिलाए जाने की बेमानी मांग की है। महिला का सुमित घोष से विवाह 10 मार्च 2010 को हुआ था। विवाद के चलते विवाह विच्छेद का प्रकरण अदालत में लंबित है।
अदालत ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद पाया कि धारा-24 हिन्दू विवाह अधिनियम में साफतौर पर उपबंधित किया गया है कि पत्नी या पति की स्वतंत्र आय नहीं है। इस मामले में महिला निवेदिता घोष उच्च शिक्षित है और आईसीआईसीआई बैंक में डिप्टी मैनेजर के पद पर पदस्थ है। वह इतनी आय अर्जित कर रही है, जिससे प्रतिमाह अपना भरण-पोषण बिना किसी की सहायता के कर सके।
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