सहारनपुर के गांवों में गश्त कर रहे जवान; पर लोगों में दहशत इतनी कि सोते भी नहीं
Fri, May 26, 2017 5:55 PM
सहारनपुर.यूपी का सहारनपुर जिला 10 दिन से जातीय हिंसा में जल रहा है। दो लोग मारे जा चुके हैं और 6 से ज्यादा घायल हैं। हिंसा वाले गांवों में दहशत इस कदर हावी है कि पुलिस के जवानों की गश्ती के बावजूद रात में कोई ठीक से सो भी नहीं पा रहा है। ज्यादातर लोग तो काम पर भी नहीं निकल रहे हैं। जो लोग काम पर निकलते हैं, उन्हें घर की चिंता रहती है। वैसे यह चिंता अब केंद्र तक भी पहुंच गई है। सेंट्रल होम मिनिस्ट्री ने योगी सरकार से मामले की डिटेल रिपोर्ट मांगी है। पूछा है कि आखिर यह हिंसा रुक क्यों नहीं रही है। अफवाह न फैले, इसलिए इंटरनेट सर्विस पर भी रोक लगी है।
- डीएम प्रमोद कुमार बताते हैं कि मौजूदा विवाद की शुरुआत शब्बीरपुर गांव में अंबेडकर की मूर्ति लगाए जाने से हुई। तब गांव के ठाकुरों ने यह कहते हुए विरोध किया कि इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन से इजाजत नहीं ली गई। 5 मई को पास के गांव शिमलाना में महाराणा प्रताप जयंती कार्यक्रम का जुलूस जब बाजे-गाजे के साथ निकला तो दलित युवकों ने विरोध किया। यहां से पूरा मामला जातीय हिंसा में बदल गया।
- ठाकुर बिरादरी के लोगों ने दलितों के यहां तोड़फोड की। धीरे-धीरे हिंसा की आग मिर्जापुर और बड़गांव में भी पहुंच गई। भीम आर्मी ने एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ ठाकुरों का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। 23 मई को मायावती भी दलितों से जाकर मिलीं। उन्होंने शांति की अपील की। पर ठाकुर बिरादरी के अमरपाल कहते हैं कि उसी वक्त दलित बिरादरी के युवक ठाकुरों के घरों में तोड़फोड़ कर रहे थे।
गांव में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा: बुजुर्ग
- दलित बिरादरी के शौराज और 102 साल की सुंदर देवी का कहना है कि गांव में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा। सब मिल-जुलकर रहते थे। नफरत फैलाने वाले को सजा मिलनी चाहिए। दोनों ही पक्षों का कहना है कि इस हिंसा में शामिल लोग दूसरे गांवों से आए थे। दलित बिरादरी के लोगों ने यह भी कहा कि जबसे बीजेपी की योगी सरकार आई है, तब से दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं।
- जबकि ठाकुर बिरादरी के ब्रहमसिंह कहते हैं कि प्रदेश सरकार दलितों का पक्ष ले रही है। दलित बिरादरी की महिला ओमवती और नीता ने कहा कि उपद्रवियों ने उनके जेवर तक लूट लिए। वैसे तो गांव में 24 घंटे पुलिस के जवान तैनात हैं। पर लोग सहमे हुए हैं। रात में सो भी नहीं पा रहे हैं।
भीम आर्मी के नक्सलियों से जुड़े होने का शक: पुलिस अफसर
- सहारनपुर में हिंसा के बाद सस्पेंड किए गए एसएसपी सुभाष चंद दूबे ने कहा, ''भीम आर्मी गैरकानूनी संगठन है। इसके मेंबर पर्सनल बैंक खातों में चंदा जमा करते हैं। इसके तीन पर्सनल बैंक खाते मिले हैं। संगठन से जुड़े लोग अराजकता फैला रहे हैं। संगठन की एक्टिविटीज को देखते हुए इनके नक्सलवाद से भी जुड़े होने के संकेत मिल रहे हैं। जांच चल रही है।''
क्या है भीम आर्मी?
- यह संगठन सहारनपुर के 700 गांवों में एक्टिव है। 2013 में बनी भीम आर्मी दलितों को लीड करती है। इसका चीफ एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद है। फिलहाल फरार है। दावा है कि हर गांव में भीम आर्मी के 8 से 10 युवा मेंबर हैं। ये सभी अपने सिर पर नीला कपड़ा बांधते हैं। इस बीच, मायावती ने आरोप लगाया है कि भीम आर्मी बीजेपी की टीम है।
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