EVM में छेड़छाड़ की बस शिकायतें मिलीं, सबूत नहीं: डेमो के बाद EC ने कहा
Sun, May 21, 2017 5:38 PM
नई दिल्ली.इलेक्शन कमीशन (EC) ने शनिवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का डेमॉन्स्ट्रेशन किया। इसके बाद चीफ इलेक्शन कमिश्नर नसीम जैदी ने कहा कि EVM से छेड़छाड़ मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा, "हाल ही में 5 राज्यों में हुए चुनाव के बाद कई लोगों ने शिकायतें कीं। आरोप लगाए कि EVM से छेड़छाड़ की गई। लेकिन किसी ने सबूत पेश नहीं किए।" बता दें कि 2009 में EC ने EVM पर सवाल उठाने वालों को डेमो दिया था। अब पहली बार कमीशन ने EVM हैक को करके दिखाने का ओपन चैलेंज राजनीतिक दलों को दिया। Q&A में समझें मामला...
EVM पर विवाद कब शुरू हुआ?
- इसी साल 5 राज्यों में वोटिंग के लिए EVM के इस्तेमाल पर मायावती, हरीश रावत, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने सवाल उठाए। इन राज्यों में से यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को भारी बहुमत मिला।
- EVM विवाद के बाद इलेक्शन कमीशन ने कहा था- मशीन को दो बार चेक किया जाता है। उसे कैंडिडेट के सामने जांचा और सील किया जाता है। काउंटिंग से पहले भी ईवीएम को कैंडिडेट्स के सामने खोला जाता है।
- बता दें कि 1980 में इलेक्शन कमीशन ने राजनीतिक दलों को EVM दिखाया था। लेकिन 24 साल बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में इसका पूरे देश में इस्तेमाल शुरू हो सका। आज तक कोई भी इलेक्शन कमीशन को EVM में हैकिंग के पुख्ता सबूत नहीं दे पाया।
क्या है VVPAT?
- यह वोटिंग के वक्त वोटर्स को फीडबैक देने का एक तरीका है। इसके तहत ईवीएम से प्रिंटर की तरह एक मशीन अटैच की जाती है। वोट डालने के 10 सेकंड बाद इसमें से एक पर्ची निकलती है, जिस पर सीरियल नंबर, नाम और उस कैंडिडेट का इलेक्शन सिम्बल होता है, जिसे आपने वोट डाला है। यह पर्ची मशीन से निकलने के बाद उसमें लगे एक बॉक्स में चली जाती है।
EC ने आरोपों पर क्या जवाब दिया?
1# VVPAT से बढ़ेगा वोटर का भरोसा
- नसीम जैदी ने कहा, "आने वाले इलेक्शन में VVPAT का इस्तेमाल होने से वोटर्स का भरोसा बढ़ेगा। इससे इलेक्शन प्रॉसेस में ट्रांस्पेरेंसी आएगी। ये लोगों के मन से हर उस शंका को मिटा देगा, जो इन भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक मशीनों को लेकर जाहिर की जा रही हैं। इलेक्शन में EVM का इस्तेमाल एक बड़ा पॉजिटिव सुधार है।'
2# VVPAT का 100% इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश
- "भारत पूरी दुनिया में पहला ऐसा देश होगा,जहां पर 100 फीसदी पेपर ऑडिट ट्रेल का इस्तेमाल किया जाएगा। कमीशन को 100 फीसदी VVPAT के इस्तेमाल के लिए बजट मिला है। अगस्त 2017 में प्रोडक्शन मिलेगा और 2018 तक ये VVPAT मिल जाएंगे।"
3# वोटर को पता चलेगा, किसे दिया वोट
- "इलेक्शन में VVPAT का इस्तेमाल होने से वोटर को ये पता चल जाएगा कि उसका वोट किसे गया है। वोट डालने के साथ ही, VVPAT के स्क्रीन पर जिस सिंबल पर वोट डाला है, वो फ्लैश होगा। इसके साथ ही पेपर स्लिप भी जेनरेट होगी, जो ऑडिट ट्रेल का काम करेगी। हम ये भी विचार कर रहे हैं कि वोटों की गिनती के दौरान एक तय परसेंटेज में पेपर ट्रेल का भी ऑडिट किया जाए।"
4# लोगों को मन में संदेह का एक कतरा भी नहीं रहने देंगे
- "इलेक्शन कमीशन EVM की अखंडता और उससे छेड़छाड़ की संभावना को लेकर लोगों के मन में संदेह का एक भी कतरा नहीं रहने देगा।"
5# चुनाव के बाद भ्रांतियां फैलाई गईं, हमने जांच कराई
- "5 राज्यों में चुनाव के बाद EVM को लेकर भ्रांतियां फैलाई गईं। कहा गया कि कोई भी बटन दबाने के बावजूद एक ही पार्टी को वोट जा रहा था। हमने इसकी जांच कराई है और EVM का डाटा भी निकाला। भिंड की जो घटना सामने आई है। उसकी भी जांच कराई गई। ये पता चला कि 31 मई को EVM का डेमॉन्स्ट्रेशन किया जा रहा था, ये एक्चुअल वोटिंग नहीं थी। इस दौरान अलग-अलग बटन दबाने पर अलग-अलग स्लिप प्रिंट हो रही थीं। भिंड और महाराष्ट्र के नासिक में EVM में गड़बड़ी होने की बात महज भ्रांति थी।'
सिक्युरिटी पर क्या कहा EC ने?
1# हैक नहीं हो सकती है EVM
- चीफ इलेक्शन कमिश्नर डॉ. जैदी ने कहा, "EVM किसी भी तरह से इंटरनेट या फिर नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होती है। हैक करना संभव नहीं है।"
2# नतीजों में हेरफेर मुमकिन नहीं
- "EVM के नतीजों में हेरफेर किए जाने की बात गलत है। ये जानकारी पहले से किसी के पास नहीं होती है। मैन्युफैक्चरिंग के वक्त भी रिजल्ट में हेरफेर के लिए ऐसी कोई कोशिश नहीं की जा सकती है। मैन्युफैक्चरिंग के दौरान EVM की सिक्युरिटी के कड़े इंतजाम होते हैं। EC इस बात को लेकर आश्वस्त है।"
3# छेड़छाड़ पर इनएक्टिव हो जाती है EVM
- डॉ. जैदी ने कहा, "जो प्रोग्राम EVM की चिप पर लिखा गया है, उसे ऑल्टर नहीं किया जा सकता है। उस प्रोग्राम को पढ़ा नहीं जा सकता है और लिखा नहीं जा सकता है। अगर कोई गलत तरीके से इस मशीन से छेड़छाड़ करता है तो EVM इन एक्टिव हो जाएगी।"
4# विदेश में नहीं, हमारे देश में बनती है EVM
- "कहा जा रहा था कि EVM विदेशों में बनाई जाती है। इलेक्शन कमीशन ये बताना चाहता है कि इसे भारतीय कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में इन मशीनों का प्रोडक्शन होता है। कंपनियां इन हाउस कोड लिखती हैं। हमारी टेक्निकल कमेटी की निगरानी में ये काम किया जाता है। इस प्रॉसेस में हर लेवल पर कड़ी सिक्युरिटी बरती जाती है।"
5# ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज के दौरान छेड़छाड़ संभव नहीं
- "ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज के दौरान भी EVM से छेड़छाड़ की संभावना नहीं है। हमारे सुरक्षा इंतजामों के रहते ऐसा संभव नहीं है। वोटिंग के वक्त इनका फिजिकल वेरिफिकेशन पोलिंग ऑफिसर्स करते हैं। सेफ्टी और सिक्युरिटी की प्रॉसेस भी ट्रांसपेरेंट है। फर्स्ट लेवल चेकिंग मशीन के कंपोनेंट की ओरिजनिलिटी को टेक्निकल और फिजिकल एग्जामिनेशन के जरिए होती है। पॉलिटिकल पार्टियों की मौजूदगी में ऐसा किया जाता है। किसी भी मशीन के खराब होने पर उन्हें सुधार के लिए भेजा जाता है। सुधार के दौरान कैमरा, मोबाइल तक ले जाने की इजाजत नहीं होती।"
6# पॉलिटिकल पार्टियों की मौजूदगी में होता है मॉक पोल
- "हम यहां बताना चाहेंगे कि पोलिंग से पहले EVM का मॉक पोल भी किया जाता है। इस दौरान सभी पार्टियों के रिप्रेंजेंटेटिव मौजूद रहते हैं। मॉक पोल के लिए EVMs को भी रेंडेमली सेलेक्ट किया जाता है।"
7# EVMs का डाटा पूरी तरह सेफ
- "पोलिंग के पहले और बाद में ट्रांसपोर्टेशन के दौरान EVMs की सिक्युरिटी के लिए कई लेयर की सिक्युरिटी होती है। वायरलेस, वाई-फाई जैसी किसी भी डिवाइस से इसका डाटा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। इसमें सोफेस्टीकेटेड प्रोग्राम्स हैं, जो छेड़छाड़ की स्थिति में EVMs को इन एक्टिव कर देते हैं।"
दूसरे देशों की EVMs की खामियों के बारे में क्या बताया?
- जर्मनी : यहां वोटिंग मशीनों के वेरिफिकेशन के लिए इंडिपेंडेंट अथॉरिटी नहीं है। इनकी फिजिकल हैंडलिंग के लिए भी प्रोटोकॉल्स तय नहीं हैं। इनके सिक्युरिटी प्रोटोकॉल्स को वेरिफाई नहीं किया जा सकता।
- नीदरलैंड्स : यहां वोटिंग मशीनों में जो वोट स्टोर होते हैं, उनके बाद में CDs पर ट्रांसफर कर गिना जाता है। वहां मशीनों के ऑडिट का सिस्टम नहीं है। एंड टु एंड वेरिफिकेशन सिस्टम नहीं है।
- अायरलैंड : यहां वोटिंग मशीनों के स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के प्रोटोकॉल तय नहीं हैं।
- यूएस : यहां सिर्फ 15 राज्यों में पेपर ऑडिट ट्रेल का सिस्टम है। सभी राज्यों में वोटिंग के बाद पर्ची नहीं निकलती। जबकि भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव समेत अगले सभी इलेक्शन VVPAT पर होंगे। 16.5 लाख VVPATs का प्रोडक्शन हो रहा है।
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