3 जून से EVM हैकिंग का ओपन चैलेंज: EC; हिस्सा लेने के लिए ये हैं शर्तें
Sun, May 21, 2017 12:23 AM
नई दिल्ली.चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) में हैकिंग के आरोपों को साबित करने के लिए 3 जून से ओपन चैलेंज रख दिया है। चीफ इलेक्शन कमिश्नर डॉ. नसीम जैदी ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सभी नेशनल या स्टेट पॉलिटिकल पार्टीज 26 मई तक इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं। वे तीन लोगों को नॉमिनेट कर सकती हैं। किसी भी पोलिंग स्टेशन में इस्तेमाल 4 EVMs को चुन सकती हैं। ये चैलेंज चुनाव आयोग के हेडक्वार्टर्स में ही होगा। पॉलिटिकल पार्टीज दो कंडीशंस में चैलेंज में हिस्सा ले सकती हैं। ये हैं दो कंडीशंस...
1) जिन मशीनों में रिजल्ट पहले से स्टोर है
- चैलेंज किसके लिए:उन पार्टीज के लिए जिन्होंने इसी साल हुए पांच राज्यों के चुनाव में हिस्सा लिया था। इनमें यूपी, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड शामिल हैं।
- किन EVMs का इस्तेमाल कर सकेंगे :ऐसी 4 मशीनें जाे हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनाव में किसी भी पोलिंग स्टेशन पर इस्तेमाल हुई थीं। ये मशीनें किसी एक असेंबली सेगमेंट की हो सकती हैं या अलग-अलग सेगमेंट की हो सकती हैं। जो मशीनें किसी अदालत के आदेश पर सील हो गई हैं, उनका इस्तेमाल नहीं हो सकेगा।
क्या साबित करना होगा?
- मान लीजिए कि वोटिंग हो चुकी है और वोटर्स ने अपना फैसला दे दिया है। लेकिन चैलेंज मंजूर करने वाले दलों को साबित करना होगा कि वे वोटिंग होने के बाद भी किसी एक कैंडिडेट या पॉलिटिकल पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए पहले से स्टोर वोट को कंट्रोल यूनिट्स में जाकर बदल सकते हैं।
- ये साबित करना होगा कि नतीजों को तब बदला जा सकता है जब EVM स्ट्रॉन्ग रूम में है या वोटों की काउंटिंग चल रही है।
2) जिन मशीनों का इस्तेमाल वोटिंग के लिए होने वाला हो
- चैलेंज किसके लिए:सभी राजनीतिक दलों के लिए।
- किन EVMs का इस्तेमाल कर सकेंगे :जो EC के पास हैं और जिनका इस्तेमाल वोटिंग में होने वाला हो।
क्या साबित करना होगा?
- किसी पार्टी या कैंडिडेट के फेवर में अपना वोट एक्चुअल मतदान होने से पहले स्टोर कर देना होगा। ये तब करना होगा जब EVMs चुनाव आयोग के टेक्निकल या एडमिनिस्ट्रेटिव सेफगार्ड में हों। ये साबित करना होगा कि बाद में कैसे भी वोटिंग हो लेकिन वही वोट काउंट होगा जो एक्चुअल मतदान से पहले छेड़छाड़ के जरिए स्टोर किया जा चुका था।
दोनों तरह के चैलेंज में हैकिंग को किस तरह साबित करना होगा?
- ऐसा साबित करने के लिए चैलेंजर EVM में एक साथ कई बटनों का कॉम्बिनेशन दबा सकता है (जैसा भिंड में हुए मामले में था या AAP ने दावा किया था)। या वह EVM की कंट्रोल यूनिट को एक्सटर्नल वायरलेस, ब्लूटूथ या मोबाइल फोन से कंट्राेल करके दिखा सकता है।
दोनों स्थितियों में चैलेंजर को कब नाकाम माना जाएगा?
- जब चैलेंजर की कोशिशों के बाद EVMs नॉन-फंक्शनल हो जाएं।
- जब EVMs फंक्शनल रहे और छेड़छाड़ की कोशिशों के बावजूद उसमें ठीक तरह से वोटिंग हो रही हो।
- अगर चैलेंजर चुनाव आयोग की गाइडलाइन का उल्लंघन कर दे।
- अगर चैलेंजर अपना नाम वापस ले ले।
किस तरह की मशीनों का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी?
- चीफ इलेक्शन कमिश्नर डॉ. जैदी ने बताया कि हम इस चैलेंज के दौरान EVM के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में बदलाव की इजाजत नहीं देंगे। क्योंकि जिस भी EVM के बुनियादी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में बदलाव कर दिया जाएगा, उसे नॉन-EC EVM कहा जाएगा। यानी वह जायज EVM नहीं कहलाएगी।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
इलेक्शन कमीशन ने 8 साल बाद शनिवार को EVM और VVPAT का शनिवार को लाइव डेमो दिया। इससे पहले 2009 में भी EC ने EVM पर सवाल उठाने वालों के सामने डिमॉन्स्ट्रेशन किया था।
EVM पर विवाद कब शुरू हुआ?
- इसी साल 5 राज्यों में आए चुनावी नतीजों के बाद EVM के इस्तेमाल पर मायावती, हरीश रावत, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने सवाल उठाए। इन राज्यों में से यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को भारी बहुमत मिला। खासकर केजरीवाल और मायावती ने आरोप लगाया कि यूपी में इस्तेमाल हुई EVM में भारी गड़बड़ी हुई थी। इसी वजह से नतीजे बीजेपी के फेवर में आए थे।
क्या है VVPAT?
- यह वोटिंग के वक्त वोटर्स को फीडबैक देने का एक तरीका है। इसके तहत ईवीएम से प्रिंटर की तरह एक मशीन अटैच की जाती है। वोट डालने के 10 सेकंड बाद इसमें से एक पर्ची निकलती है, जिस पर सीरियल नंबर, नाम और उस कैंडिडेट का इलेक्शन सिम्बल होता है, जिसे आपने वोट डाला है। यह पर्ची मशीन से निकलने के बाद उसमें लगे एक बॉक्स में चली जाती है।
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