Thursday, 22nd May 2025

8 साल बाद फिर EVM का लाइव डेमो देगा EC, अपोजिशन ने उठाए थे सवाल

Sat, May 20, 2017 6:10 PM

नई दिल्ली.इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी के आरोपों के बाद इलेक्शन कमीशन आज EVM और VVPAT का लाइव डेमो देगा। साथ ही, ईवीएम में टेम्परिंग के ओपन चैलेंज को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेगा। इससे पहले 2009 में भी EC ने EVM पर सवाल उठाने वालों के सामने डिमॉन्स्ट्रेशन किया था। बता दें कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस, सपा, बसपा और आप समेत 16 राजनीतिक पार्टियों ने मशीनों पर सवाल उठाए थे। आरोप था कि वोटिंग मशीनें हैक करके बीजेपी ने चुनाव जीते हैं। दिल्ली असेंबली में ईवीएम जैसी मशीन का डेमो हुआ...
 
- 9 मई को दिल्ली असेंबली में केजरीवाल सरकार ने EVM जैसी एक मशीन को हैक करने का डेमो दिया था। विधायक सौरभ भारद्वाज मशीन लेकर आए थे। उन्होंने कोड के जरिए बीजेपी को वोट ट्रांसफर करके दिखाए। दावा किया कि असली EVM भी ऐसे ही हैक होती हैं। भारद्वाज का दावा है कि 90 सेकंड में मदरबोर्ड बदलकर ईवीएम से छेड़छाड़ मुमकिन है।
- आप ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) पास करने के लिए असेंबली का स्पेशल सेशन बुलाया था, लेकिन उसका इस्तेमाल EVM का डेमो दिखाने के लिए किया।
- इलेक्शन कमीशन (EC) ने EVM हैक करने के आप के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। कहा कि EVM का मदरबोर्ड आम आदमी खोल नहीं सकता। जिस मशीन का डेमो दिखाया, वह प्रोग्राम्ड थी। ऐसे नकली गैजेट पर किए कथित डेमो के बहाने लोगों को ईवीएम के खिलाफ नहीं बहका सकते।
- ईसी पिछले दिनों ईवीएम विवाद को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग कर चुका है। मई के आखिर में मशीनों से छेड़छाड़ का ओपन चैलेंज (हैकाथन) भी कराया जा सकता है। ईसी ने करीब 15 लाख VVPAT मशीनों का ऑर्डर दिया है। 2019 का इलेक्शन इन्हीं मशीनों से कराने की उम्मीद है।
 
चुनाव आयोग ने बुलाई थी ऑल पार्टी मीटिंग
- चुनाव आयोग ने ईवीएम में गड़बड़ियों की शिकायत पर 12 मई को सभी पॉलिटिकिल पार्टियों की मीटिंग बुलाई थी।
- मीटिंग में आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर सभी पॉलिटिकिल पार्टियों को ईवीएम से छेड़छाड़ करके दिखाने की खुली चुनौती दी।
- ऑल पार्टी मीटिंग में चीफ इलेक्शन कमिश्नर नसीम जैदी ने पार्टियों को चुनौती दी, लेकिन इसके लिए उन्होंने किसी तारीख की घोषणा नहीं की।
- उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल पार्टियां यह साबित करके दिखाएं कि सख्त तकनीकी और एडमिनिस्ट्रेटिव सिक्युरिटी इंतजाम के बावजूद ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।
 
EVM पर विवाद कब शुरू हुआ?
- इसी साल 5 राज्यों में वोटिंग के लिए EVM के इस्तेमाल पर मायावती, हरीश रावत, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने सवाल उठाए। इन राज्यों में से यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को भारी बहुमत मिला।
- EVM विवाद के बाद इलेक्शन कमीशन ने कहा था- मशीन को दो बार चेक किया जाता है। उसे कैंडिडेट के सामने जांचा और सील किया जाता है। काउंटिंग से पहले भी ईवीएम को कैंडिडेट्स के सामने खोला जाता है।
- बता दें कि 1980 में इलेक्शन कमीशन ने राजनीतिक दलों को EVM दिखाया था। लेकिन 24 साल बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में इसका पूरे देश में इस्तेमाल शुरू हो सका। आज तक कोई भी इलेक्शन कमीशन को EVM में हैकिंग के पुख्ता सबूत नहीं दे पाया।
 
मशीनों की चेकिंग में आई थी गड़बड़ी
- इसके बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में बाई इलेक्शन से पहले VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की चेकिंग के दौरान ईवीएम के दो अलग-अलग बटन दबाने पर कथित तौर पर कमल का फूल प्रिंट हुआ। केजरीवाल ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और एमसीडी चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग की थी।
- पिछले महीने दिल्ली नगर निगमों के चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद आप और कांग्रेस ने मशीनों पर फिर से सवाल उठाए। AAP के नेताओं ने कहा था कि ये मोदी नहीं, ईवीएम लहर है।
 
क्या है VVPAT?
- यह वोटिंग के वक्त वोटर्स को फीडबैक देने का एक तरीका है। इसके तहत ईवीएम से प्रिंटर की तरह एक मशीन अटैच की जाती है।
- वोट डालने के 10 सेकंड बाद इसमें से एक पर्ची निकलती है, जिस पर सीरियल नंबर, नाम और उस कैंडिडेट का इलेक्शन सिम्बल होता है, जिसे आपने वोट डाला है।
- यह पर्ची मशीन से निकलने के बाद उसमें लगे एक बॉक्स में चली जाती है।
 
पहली बार कब EVM के इस्तेमाल पर उठा सवाल?
- 1982 में केरल असेंबली इलेक्शन में EC ने पैरावूर विधानसभा के 84 में से 50 पोलिंग स्टेशन पर ईवीएम का ट्रायल रन किया। 
- इलेक्शन से पहले सीपीएम के सिवान पिल्लई ने हाईकोर्ट में ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ पिटीशन दायर की थी।
- EC ने हाईकोर्ट के सामने ईवीएम का डिमॉन्स्ट्रेशन किया, जिसके बाद कोर्ट ने मामले में दखल से इनकार कर दिया।
- इलेक्शन में पिल्लई ने कांग्रेस के एसी जोस को 123 वोट से हरा दिया। फिर जोस ने हाईकोर्ट में अपील कर दी। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इसके बाद बैलेट पेपर से ही चुनाव करवाए गए। इसमें जोस को जीत मिली।
 
इस्तेमाल शुरू होने के बाद कब-कब उठे EVM पर सवाल?
- 2004 में इस्तेमाल शुरू होते ही ईवीएम पर सवाल उठने लगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2009 में खुद बीजेपी ने ही ईवीएम को लेकर धांधली का आरोप लगाया। 2009 में ही हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम पर सवाल उठा। तमिलनाडु में AIADMK ने ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव की मांग की। 2014 में भी अपोजिशन ने ईवीएम के जरिए धांधली होने का मसला उठाया।
 
रियलिटी टेस्ट कब हुआ?
- अगस्त 2009 में इलेक्शन कमीशन ने उन लोगों के सामने ईवीएम को डिमॉन्स्ट्रेट किया, जो उस पर सवाल उठाते थे।
- 10 राज्यों में इस्तेमाल की गई 100 ईवीएम को डिमॉन्स्ट्रेशन के लिए रखा गया। सवाल उठाने वाला कोई भी शख्स उसमें गड़बड़ी नहीं निकाल पाया। कुछ ने तो इस डिमॉन्स्ट्रेशन से ही इनकार कर दिया।
- इसके बाद EC ने कहा, "ईवीएम को रिप्रोग्राम्ड नहीं किया जा सकता और ना उसे किसी बाहरी डिवाइस से कंट्रोल किया जा सकता है। ये वोटर को केवल एक बार वोट डालने के लिए डिजाइन की गई है।"

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