इंदौर। महू के कोदरिया गांव की 67 वर्षीय मंजुला नागरे तीन दिन से एमवाय अस्पताल के सर्जरी विभाग में भर्ती थी। महिला का पैर गैंगरिन के कारण घुटने तक सड़ चुका था। असहनीय दर्द के कारण उसकी जल्द से जल्द सर्जरी की जाना थी लेकिन ज्यादातर डॉक्टर छुट्टी पर होने से किसी ने ध्यान नहीं दिया।
जिम्मेदार एक दूसरे पर टालते रहे। आखिर मीडिया द्वारा मामला उठाने के बाद रात में ताबड़तोड़ सर्जरी के लिए ले गए। एमवायएच में ऐसी हालत कई मरीजों की है। ज्यादातर डॉक्टर ग्रीष्मकालीन अवकाश पर जा चुके हैं। इससे ओपीडी में तो मरीज परेशान हो ही रहे हैं, वार्ड में भर्ती मरीजों की हालत भी खराब हो रही है।
न तो उनके परिजन को बीमारी के बारे में ठीक से बताने वाला है, न ही परेशानी हल करने वाला। सर्जरी के मरीजों की तारीखें टलती जा रही है। कई मरीज तो डॉक्टर के नहीं होने से घर भी लौट गए। मंजुला का पैर इतना ज्यादा सड़ चुका था कि आसपास के मरीज भी देखकर घबरा रहे थे।
जूनियर डॉक्टर बहाना बनाकर सर्जरी टाल रहे थे। आखिर बुधवार को मीडिया में मामला उठा तो डॉक्टर रात को ही ताबड़तोड़ सर्जरी के लिए लेकर गए। इन दिनों अधीक्षक डॉ. वीएस पाल, सर्जन डॉ. सुमित शुक्ला, डॉ. अरविंद घनघोरिया, डॉ. ओरिया सहित ज्यादातर डॉक्टर अवकाश पर हैं।
हर साल की परेशानी
दरअसल यह समस्या हर साल की है। मेडिकल कॉलेज में मई-जून में टीचर्स के लिए दो महीने के अवकाश का प्रावधान है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में ज्यादातर मेडिकल टीचर्स कंसल्टेंट भी हैं। डॉक्टर एक महीना पूरी छुट्टी ले सकते हैं या दो महीने में 30 दिन की अलग-अलग छुट्टियां ले सकते हैं।
ज्यादातर डॉक्टर 1 मई से छुट्टी पर चले गए हैं। टीचर व कंसल्टेंट दोनों होने से पढ़ाई के साथ मरीजों का भी नुकसान हो रहा है जबकि प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग व कंसल्टेंट के पद अलग-अलग हैं।
व्यवस्था कर ही छुट्टी पर जाते हैं
मेडिकल कॉलेज में ग्रीष्मावकाश चल रहा है। इसके चलते डॉक्टर छुट्टी पर हैं। यह डॉक्टर का अधिकार है लेकिन सभी विभाग में विकल्प की पहले व्यवस्था कर ली जाती है। - डॉ. शरद थोरा, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
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