Thursday, 22nd May 2025

शिवपाल यादव ने किया नई पार्टी बनाने का एलान, मुलायम सिंह होंगे मुखिया

Fri, May 5, 2017 11:21 PM

लखनऊ/इटावा.उत्तर प्रदेश असेंबली इलेक्शन के पहले समाजवादी पार्टी में चल रहा विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। अखिलेश से अलग मुलायम-शिवपाल ने नई पार्टी बनाने का एलान किया है। शुक्रवार को शिवपाल यादव ने कहा वे समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नाम से नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। इस पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह होंगे। शिवपाल ने कहा- नेताजी ने मंजूरी दे दी है...
 
-जब श‍िवपाल से पूछा गया क‍ि नेताजी ने नई पार्टी के लिए हां कर दी, तब उन्होंने कहा, ''क्या ये नेताजी की राय लिए बिना ही हो गया? उनकी मंजूरी ली गई।'' श‍िवपाल ने कहा क‍ि सामाजिक न्याय के लिए सेक्युलर मोर्चा बनाएंगे।
- शिवपाल ने द‍ाे द‍िन पहले इटावा में इस बात के संकेत द‍िए थे। उन्होंने बताया था, "मैंने अखिलेश से कहा था कि वह सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ दें। मुलायम सिंह पार्टी के नए चीफ होंगे, वरना हम सेक्युलर मोर्चा बना लेंगे।''
- इटावा में उन्होंने रामगोपाल यादव पर भी न‍िशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ''लाखों-लाख लोगों के दुख-सुख में नेताजी भागीदार बने थे। मेहनत की, कुर्बानियां दीं, तब ये समाजवादी पार्टी बनी। लेकिन आज पार्टी के संविधान रचयिता को हमारी सलाह है कि उन शकुनि को अब गीता पढ़नी चाहिए।''
 
रामगोपाल ने कहा था- शिवपाल यादव बेकार की बातें करते हैं
- प‍िछले दिनों रामगोपाल यादव से जब पूछा गया कि शिवपाल का कहना है कि वादे के मुताबिक अखिलेश को अब नेताजी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ देना चाहिए, रामगोपाल ने जवाब दिया कि शिवपाल बेकार की बातें करते हैं।
- "उन्होंने पार्टी का संविधान नहीं पढ़ा है। पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा है। शिवपाल तो अभी सदस्य तक भी नहीं बने हैं।"
 
क्या बोले अखिलेश?
- अखिलेश यादव ने कहा, "सेक्युलर पॉलिटिक्स को बढ़ावा देना चाहिए। अब किस तरह से सेक्युलर मोर्चा बन रहा है, उसकी मुझे जानकारी नही है। हम समाजवादी हैं, परीक्षा देते रहे हैं। नंबर सही आने चाहिए। जितनी परीक्षाएं होंगी, देते रहेंगे।"
 
कब बनी थी समाजवादी पार्टी?
- मुलायम सिंह ने 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई थी। इसके बाद वे तीन बार क्रमशः 5 दिसंबर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसंबर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक यूपी के सीएम रहे।
- इसके अलावा, केंद्र की संयुक्त मोर्चा सरकार में वे रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। यूपी में उन्हें यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में जाना जाता है।
 
 
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में हुई थी फूट
 
# जून 2016
- सपा में पिछले साल जून में उस वक्त विवाद शुरू हुआ, जब बाहुबली मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर अखिलेश राजी नहीं थे। इसके बावजूद शिवपाल और मुलायम सिंह ने अंसारी की पार्टी को सपा में विलय करा लिया।
 
# जुलाई 2016
- जुलाई में जब अखिलेश-शिवपाल के बीच तनातनी बढ़ने लगी तो मुलायम ने एक बयान में कहा- "इलेक्शन के बाद पार्टी विधायक तय करेंगे कि सीएम कौन बनेगा। शिवपाल ने कहा- मैं लिखकर देता हूं कि सीएम अखिलेश ही होंगे।"
- शिवपाल ने एक बयान में कहा- "कुछ लोगों को सत्ता विरासत में मिल जाती है, कुछ की जिंदगी सिर्फ मेहनत करते गुजर जारी है।" 
- इसके बाद मुलायम ने कहा- "शिवपाल ने जो पार्टी के लिए किया है, वो कोई नहीं कर सकता।"
 
# अक्टूबर 2016
- अक्टूबर में अखिलेश ने शिवपाल और उनके समर्थक चार मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया। अमर सिंह का नाम लिए बिना उन पर दखलन्दाजी के आरोप लगाए। हालांकि, मुलायम के कहने पर इन सभी की कैबिनेट में वापसी हो गई।
 
# नवंबर 2016
- नवंबर में अखिलेश ने एक तरह से शिवपाल को चैलेंज दिया। कहा- 3 नवंबर से रथ यात्रा निकालूंगा। 
- शिवपाल का बयान आया- कार्यकर्ता 5 नवंबर को होने वाले रजत जयंती समारोह पर फोकस करें। 
- इसके बाद रजत जयंती समारोह में मुलायम के सामने अखिलेश-शिवपाल के समर्थक भिड़े। माइक की छीना-झपटी हुई।
 
# दिसंबर 2016
- शिवपाल ने दिसंबर के शुरू में सपा कैंडिडेट की एक लिस्ट जारी की। मर्डर के दोषी अमनमणि त्रिपाठी के बेटे अमरमणि को टिकट दिया गया। 
- अखिलेश इससे राजी नहीं थे। इसी लिस्ट में अखिलेश के एक करीबी का भी टिकट काटा गया था।
- शिवपाल ने अखिलेश के करीबी छह नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया। इस बीच, अखिलेश ने 235 कैंडिडेट्स की अलग लिस्ट जारी कर दी। यहीं से विवाद शुरू हुआ।
- मामला इतना बढ़ा कि मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
 
# जनवरी 2017
- रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को लखनऊ में सपा का राष्‍ट्रीय अधिवेशन बुलाया, जहां अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इस अधिवेशन में 3 प्रस्ताव पास हुए।
पहला प्रस्‍ताव- अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। रामगोपाल ने कहा अखिलेश को यह अधिकार है कि राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और पार्टी के सभी संगठनों का जरूरत के मुताबिक फिर से गठन करें। इस प्रस्‍ताव की सूचना चुनाव आयोग को दी जाएगी।
दूसरा प्रस्‍ताव- मुलायम को समाजवादी पार्टी का संरक्षक बनाया गया।
तीसरा प्रस्‍ताव- शिवपाल यादव को पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटाया गया और अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया।
- इसके बाद 2 जनवरी को मुलायम, तो 3 जनवरी को रामगोपाल पार्टी के सिंबल के लिए इलेक्शन कमीशन पहुंचे थे। 
- हालांकि, बाद में अखिलेश को ही साइकिल सिंबल मिला था।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery