यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में हुई थी फूट
# जून 2016
- सपा में पिछले साल जून में उस वक्त विवाद शुरू हुआ, जब बाहुबली मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर अखिलेश राजी नहीं थे। इसके बावजूद शिवपाल और मुलायम सिंह ने अंसारी की पार्टी को सपा में विलय करा लिया।
# जुलाई 2016
- जुलाई में जब अखिलेश-शिवपाल के बीच तनातनी बढ़ने लगी तो मुलायम ने एक बयान में कहा- "इलेक्शन के बाद पार्टी विधायक तय करेंगे कि सीएम कौन बनेगा। शिवपाल ने कहा- मैं लिखकर देता हूं कि सीएम अखिलेश ही होंगे।"
- शिवपाल ने एक बयान में कहा- "कुछ लोगों को सत्ता विरासत में मिल जाती है, कुछ की जिंदगी सिर्फ मेहनत करते गुजर जारी है।"
- इसके बाद मुलायम ने कहा- "शिवपाल ने जो पार्टी के लिए किया है, वो कोई नहीं कर सकता।"
# अक्टूबर 2016
- अक्टूबर में अखिलेश ने शिवपाल और उनके समर्थक चार मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया। अमर सिंह का नाम लिए बिना उन पर दखलन्दाजी के आरोप लगाए। हालांकि, मुलायम के कहने पर इन सभी की कैबिनेट में वापसी हो गई।
# नवंबर 2016
- नवंबर में अखिलेश ने एक तरह से शिवपाल को चैलेंज दिया। कहा- 3 नवंबर से रथ यात्रा निकालूंगा।
- शिवपाल का बयान आया- कार्यकर्ता 5 नवंबर को होने वाले रजत जयंती समारोह पर फोकस करें।
- इसके बाद रजत जयंती समारोह में मुलायम के सामने अखिलेश-शिवपाल के समर्थक भिड़े। माइक की छीना-झपटी हुई।
# दिसंबर 2016
- शिवपाल ने दिसंबर के शुरू में सपा कैंडिडेट की एक लिस्ट जारी की। मर्डर के दोषी अमनमणि त्रिपाठी के बेटे अमरमणि को टिकट दिया गया।
- अखिलेश इससे राजी नहीं थे। इसी लिस्ट में अखिलेश के एक करीबी का भी टिकट काटा गया था।
- शिवपाल ने अखिलेश के करीबी छह नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया। इस बीच, अखिलेश ने 235 कैंडिडेट्स की अलग लिस्ट जारी कर दी। यहीं से विवाद शुरू हुआ।
- मामला इतना बढ़ा कि मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
# जनवरी 2017
- रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को लखनऊ में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया, जहां अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इस अधिवेशन में 3 प्रस्ताव पास हुए।
पहला प्रस्ताव- अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। रामगोपाल ने कहा अखिलेश को यह अधिकार है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और पार्टी के सभी संगठनों का जरूरत के मुताबिक फिर से गठन करें। इस प्रस्ताव की सूचना चुनाव आयोग को दी जाएगी।
दूसरा प्रस्ताव- मुलायम को समाजवादी पार्टी का संरक्षक बनाया गया।
तीसरा प्रस्ताव- शिवपाल यादव को पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटाया गया और अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया।
- इसके बाद 2 जनवरी को मुलायम, तो 3 जनवरी को रामगोपाल पार्टी के सिंबल के लिए इलेक्शन कमीशन पहुंचे थे।
- हालांकि, बाद में अखिलेश को ही साइकिल सिंबल मिला था।
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