Thursday, 22nd May 2025

प्लास्टिक कचरा 300 टन, कैरी बैग्स सिर्फ 11 फीसदी

Mon, May 1, 2017 6:46 PM

जबलपुर, पंकज तिवारी। सरकार ने एक मई से पॉलीथिन बैग्स पर पाबंदी का ऐलान किया है, लेकिन अब तक आदेश जारी नहीं हुए हैं। सरकार के फैसले को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना बाकी है। आदेश नहीं जारी नहीं होने तक पॉलीथिन पर उपयोग पर पाबंदी नहीं होगी। जिस पॉलीथिन को प्रदूषण बड़ी वजह मानकर बंद कर रहे हैं उसकी प्लास्टिक कचरे में हिस्सेदारी महज 11 फीसदी ही है। प्रदेश में हर दिन 300 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है।

मप्र प्रदूषण बोर्ड के सर्वे में यह बात सामने आई। बोर्ड के अनुसार कुल प्लास्टिक कचरे में पॉलीथिन बैग्स की हिस्सेदारी कम है लेकिन सड़कों पर दिखाई ज्यादा देते हैं। यह समस्या पाबंदी के बाद कुछ कम होगी।

यहां इतना प्लास्टिक कचरा-

भोपाल- 28 मीट्रिक टन

इंदौर- 38 मीट्रिक टन

जबलपुर- 28 मीट्रिक टन

ग्वालियर- 14 मीट्रिक टन

(नोट-प्रतिदिन निकलने वाला प्लास्टिक का कुल कचरा)

पाबंदी पर क्या स्थिति-

एक मई से पॉलीथिन बैग्स में पाबंदी को लेकर कैबिनेट में फैसला हो चुका है। निर्णय पर राष्ट्रपति की मुहर लगनी बाकी है। इस संबंध में फाइल राष्ट्रपति के पास भेजी गई है। मंजूरी मिलते ही अधिसूचना प्रदेश में लागू कर दी जाएगी। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधीक्षण यंत्री एमएल पटेल ने बताया कि प्रदेश में प्लास्टिक कचरा का 11 फीसदी ही पॉलीथिन बैग्स का उत्पादन है।

कागज के लिफाफों की बढ़ी डिमांड-

पालीथिन बैन की खबर लगने के बाद कागज के लिफाफे बनाने वालों की डिमांड बढ़ गई है। उनके पास आर्डर इतने आ रहे हैं कि उसे समय पर देने की चुनौती है। रद्दी पेपर के लिफाफे बनाने वाले यूनूस अली ने बताया कि हजार लिफाफों में 25 रुपए की बचत होती है।

ये होगा नए कानून में-

मप्र सरकार ने कैरी बैग को प्रतिबंधित किया है। प्लास्टिक उत्पादन पर असर न पड़े इसलिए कैरी बैग यानि हैंडल वाला प्लास्टिक थैला। सब्जी, फल, किराना या कपड़ा खरीदने दुकानदार जो बैग देता है वह अब नहीं मिलेगा। इसके अलावा दूध पैकेट, खुल्ला दूध देने वाले पॉलीबैग, जिसमें हेंडल नहीं उस पॉलीथिन से बने बैग पर प्रतिबंध का असर नहीं होगा। 2013 में सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड ने सर्वे में 20.60 टन प्लास्टिक कचरा रोजाना जबलपुर से निकलना पाया। इसके बाद मप्र प्रदूषण बोर्ड के ताजा सर्वे में करीब 28 टन प्लास्टिक कचरा रोजाना निकल रहा है।

गाय को अब भी खतरा-

सरकार ने प्रतिबंध के पीछे प्रदूषण और गाय को नुकसान बताया। आमतौर पर लोग घरों का बचा खाना कैरी बैग्स में भरकर बाहर फेंक देते हैं। गाय इसे खाने के साथ खाती है पेट में जाकर पॉलीथिन जमा होती है जो गाय के लिए नुकसान साबित होती है। लेकिन सिर्फ कैरी बैग्स ही नहीं गाय पालीथिन के अंदर रखे रखे भोजन को खाकर भी मरती है। इसके अलावा नाले-नालियों को प्लास्टिक थैले फंसकर जाम करते हैं।

प्रदेश में कम, गुजरात से सप्लाई-

महाकोशल प्लास्टिक उद्योग संघ के शंकर नाग्देव ने कहा कि प्रदेश के अंदर कैरी बैग्स का उत्पादन कम है। अमानक स्तर की पॉलीथिन गुजरात से सप्लाई होती है। जबलपुर में चार फैक्टरी में कैरी बैग्स का उत्पादन होता है। इसमें से दो पहले बंद हो चुकी हैं। प्रदेश में 21 यूनिट प्रभावित हो रही है। ज्यादातर ने कैरी बैग्स की जगह प्लास्टिक के अन्य उत्पादन बनाना शुरु कर दिया है।

मानक 50 बिकती है 20 माइक्रोन मोटाई-

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पॉलीथिन की मोटाई 50 माइक्रोन तय की है। इससे कम मोटाई वाली पॉलीथिन अमानक है। जबकि मुनाफा कमाने के लिए 20 से 25 माइक्रोन मोटाई वाले कैरी बैग्स बाजार में दुकानदार देते हैं।

रंग है खतरनाक-

प्रदूषण बोर्ड के नियम में सफेद रंग या ऐसा रंग जो नुकसानदायक न हो उसका उपयोग हो सकता है, लेकिन बाजार में रंग-बिरंगी पालीथिन बिक रही हैं। वस्तु के इनके संपर्क में आते ही इनका रंग निकल जाता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक है।

पॉलीथिन में ये जरूरी-

- प्लास्टिक बैग में उत्पादक का नाम-पता, मोटाई और निर्माण तिथि का ब्योरा लिखा हो।

-कंपोस्ट योग्य प्लास्टिक से बने कैरी बैग में कंपोस्ट योग्य का लेबल लगा हो।

समझिए बंद का असर-

सवाल- क्या पॉलीथिन पर पूरी तरह पाबंदी होगी?

जवाब- नहीं, सिर्फ हैंडल वाले और पंचिंग बैग्स पर ही पाबंदी।

सवाल- दूध, पानी के पाऊच, स्नेक्स पैकिंग प्लास्टि बैग चलेंगे?

जवाब- इन पर कोई असर नहीं, सब कुछ वैसा ही रहेगा।

सवाल- क्या आदेश जारी हो चुके हैं?

जवाब- नहीं अभी आदेश जारी नहीं हुए है। शासन की ओर से मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास फाइल भेजी है।

(अच्युत मिश्रा, मेम्बर सेक्रेटी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल)

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