Thursday, 22nd May 2025

इंश्योरेंस लेने से पहले जानें अपने अधिकार

Sun, Apr 30, 2017 6:55 PM

सीओओ, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस

इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय ग्राहक के मन में कई प्रश्न रहते हैं। आज के इंटरनेट के दौर में काफी जानकारी बिना मांगे इंटरनेट पर उपलब्ध रहती है। कई इंश्योरेंस खरीदने वाले ग्राहक आधी-अधूरी जानकारी होने पर पॉलिसी खरीद लेते हैं और बाद में दिक्कत में फंस जाते हैं। अक्सर ग्राहकों को इंश्योरेंस पॉलिसी जुड़े अपने अधिकारों का भी पता नहीं होता। अगर आप पॉलिसी खरीद रहे हैं तो आपको अपने अधिकार पता होना चाहिए। बीमा ग्राहकों के अधिकारों को हम तीन भागों में बांट सकते हैं। इनमें पॉलिसी खरीदने से पहले, खरीदने के बाद और क्लेम करते वक्त।

खरीदने के पहले के अधिकार

इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने के लिए कंपनियों के अधिकारी और विक्रेता आपकी जरूरतों के मुताबिक पॉलिसी बेचने की कोशिश करते हैं। कई बार ग्राहक बिना समझें सिर्फ एजेंट के कहने या आयकर में छूट के लिए जल्दबाजी में इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद लेते हैं। यह इंश्योरेंस पॉलिसी लेने का सही तरीका नहीं है। यह ग्राहक का अधिकारी है कि वो पॉलिसी खरीदने से पहले ये समझ ले कि पॉलिसी उसकी कौन सी जरूरत को पूरा करने में मदद करेगी।

यह भी जरूरी है कि इंश्योरेंस पॉलिसी उसकी वित्तीय जोखिम लेने की क्षमता के मुताबिक ही हो। इंश्योरेंस कंपनी की पृष्ठभूमि उसके ग्राहक की शिकायतों और मृत्यु दावों के निवारण का पिछला रिकॉर्ड मांगने का ग्राहक को पूरा अधिकार है। ग्राहक को इंश्योरेंस एजेंट की पूरी जानकारी भी मांगनी चाहिए। जो भी एजेंट आपको पॉलिसी बेचने आए उसका पहचान पत्र देखकर ये सुनिश्चित कर लें कि वो अभी भी कंपनी में काम कर रहा है।

अगर कोई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का फैसला कर लेता है तो कंपनी को उसके प्रस्ताव की मंजूरी या रद्द होने की सूचना 15 दिन में देनी चाहिए। अगर पॉलिसी मंजूर हो गई है तो ग्राहक को ये 1 महीने के भीतर मिल जानी चाहिए। अगर किसी को लगता है कि एजेंट कोई पॉलिसी खरीदने के लिए दबाव डाल रहा है तो उनको कंपनी के इस व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। ग्राहकों को अपनी व्यक्तिगत सूचना की सुरक्षा का भी अधिकार है। नियमों के मुताबिक लाइफ इंश्योरेंस सर्विस प्रोवाइडर ग्राहकों से उतनी ही जानकारी जुटा सकता है जितनी उसको जरूरत है। वे ये जानकारी किसी और कंपनी को नहीं दे सकते।

 

खरीदने के बाद के अधिकार

जब ग्राहकों को एक निश्चित अवधि में इंश्योरेंस पॉलिसी के दस्तावेज मिल जाते हैं तो उन्हें पॉलिसी के लाभ पर विचार करने का अधिकार और विकल्प मिल जाता है। अगर किसी को लगता है कि ये इंश्योरेंस पॉलिसी उनके लिए फायदेमंद नहीं है तो वो इसको कंपनी को 15 दिन के भीतर वापस कर सकते हैं। इस हालत में उनको प्रीमियम का रिफंड लेने का हक मिल जाता है। कंपनी इसमें से मॉर्टेलिटी शुल्क और स्टाम्प शुल्क काटकर बची हुई रकम वापस कर देती है। यूलिप पॉलिसी के मामले में कंपनी पॉलिसी रद्द होने की तारीख के बाजार भाव पर उन यूनिट्स की कीमत के बराबर की रकम ऊपर दिए शुल्क काटने के बाद वापस कर देती हैं।

जिस बीमा योजना को आप ले रहे हैं पॉलिसी होल्डर के रूप में आपको उसमें निवेश की नीति जानने का हक है। यूलिप मार्केट लिंक है इसलिए पॉलिसी होल्डर कंपनी की वेबसाइट से एनएवी और अकाउंट का सालाना स्टेटमेंट भी हासिल कर सकता है। रिस्क फैक्टर और लाइफ स्टेज के आधार पर पॉलिसी होल्डर को फड को एक जगह से दूसरी जगह निवेश का हक है। अगर ग्राहक जीवन बीमा योजना या बीमा कंपनी की तरफ से दी जा रही सेवाओं से संतुष्ट नहीं है तो इंश्योरेंस कंपनी के नोडल ऑफिस या बीमा मामलों के प्रशासनिक जांच अधिकारी के ऑफिस में या उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करवा सकता है।

 

दावा पाने का अधिकार

जीवन बीमा सही मायनों में दावा भुगतान का व्यापार है। मृत्यु दावा फाइल करने के 15 दिन के भीतर कंपनी ग्राहक से उसकी पॉलिसी की जानकारी और पेपर मांगती है। 15 दिन से ज्यादा देरी की अनुमति नहीं है। अगर मामले में किसी तरह की जांच की जरूरत है तो कंपनी को 180 दिन में यह जांच पूरी करनी होती है और उसके बाद ग्राहक को क्लेम की गई राशि देनी होती है। अगर मामले में किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं है तो क्लेम 30 दिन में मिल जाता है। अगर इसमें देरी होती है तो इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी होल्डर को ब्याज भी देना पड़ सकता है।

कोई भी कंपनी ग्राहकों के अधिकारों को नकार नहीं सकती है। ये अधिकार समय-समय पर नियमों में बदलाव कर बनाए गए हैं। अगर आप इनके बारे में सजग हैं तो आपको पॉलिसी खरीदते समय ठगे नहीं जाएंगे।

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