कश्मीर की आजादी मांगने वालाें से बात नहीं कर सकते: SC से केंद्र ने कहा
Sat, Apr 29, 2017 4:57 PM
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में हालात सुधारने के लिए ऐसे अलगाववादियों से बात नहीं करेगी, जो भारत से आजाद होने की मांग करते हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से घाटी में पत्थरबाजी रोकने के सुझाव मांगे हैं। कोर्ट ने कहा कि एसोसिएशन यह कहकर बच नहीं सकती कि वो कश्मीर में हर किसी को रिप्रेजेंट नहीं करती। बता देंं कि एसोसिएशन ने पैलेट गन पर रोक लगाने की अपील की है और सुप्रीम कोर्ट उसकी पिटीशन पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने एसोसिएशन से एफिडेविट दाखिल करने को कहा था...
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, "अगर राज्य की मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां बातचीत करने को तैयार हैं तो केंद्र सरकार इसके लिए राजी है, लेकिन आजादी की मांग करने वाले अलगाववादियों से कोई बातचीत नहीं हो सकती।"
- इससे पहले, चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच के सामने बार एसोसिएशन ने दावा किया कि केंद्र सरकार संकट खत्म करने के लिए बातचीत करने को तैयार नहीं है।
- इस पर रोहतगी ने कहा, "हाल ही में पीएम और राज्य की सीएम ने एक मीटिंग कर राज्य के हालात पर चर्चा की थी।"
बेंच ने बार एसोसिएशन से कहा- सुझाव दें, आप बच नहीं सकते
- बेंच ने बार एसोसिएशन से कहा, "आप सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद सुझाव पेश करें, आप यह कहकर नहीं बच सकते कि हम कश्मीर में हर किसी को रिप्रेजेंट नहीं करते। इस मामले में एक सकारात्मक शुरुआत करने की जरूरत है और योजना बनाने में बार एसोसिएशन का अहम रोल होगा।" बेंच ने केंद्र सरकार से यह साफतौर पर कहा कि कोर्ट मामले में तभी शामिल होगा जब उसके दिशा-निर्देश की जरूरत होगी।
- इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान बार एसोसिएशन से कहा था कि वह केंद्र सरकार द्वारा उठाए मुद्दों पर ठीक से सोचकर 2 हफ्ते में एफिडेविट दाखिल करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि बार को न तो प्रदर्शनकारियों के साथ होना चाहिए, न ही सिक्युरिटी फोर्सेज के साथ।
पैलेट गन आखिरी रास्ता, इसका मकसद जान लेना नहीं: सरकार
- केंद्र सरकार की तरफ से 10 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था, "पैलेट गन के इस्तेमाल का मकसद किसी की जान लेना नहीं है, पैलेट गन प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने का आखिरी रास्ता है।"
- रोहतगी ने कहा था, "भीड़ को काबू करने के लिए पैलेट गन की जगह रबर बुलेट के इस्तेमाल जैसे अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। रबर बुलेट पैलेट गन की तरह घातक नहीं है। सिक्युरिटी फोर्सेज किसी की जान और प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं रखती हैं। पैलेट गन और अन्य हथियार आखिरी वक्त में उस वक्त ही इस्तेमाल किए जाते हैं, जब भीड़ भागने के बजाय सिक्युरिटी फोर्सेज से तुरंत निपटने पर उतारू दिखती है।"
- बता दें कि 27 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने केंद्र सरकार को पैलेट गन का विकल्प ढूंढने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा था कि जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन के बजाय गंदा बदबूदार पानी, केमिकलयुक्त पानी या ऐसा कोई अन्य विकल्प आजमा सकते हैं। इससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
ये तरीके कारगर नहीं
- रोहतगी ने इस मामले में एक एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी और कहा था, "पानी की बौछार, लेजर रोशनी का इस्तेमाल करके लोगों की आंखें चकाचौंध करना, मिर्च भरे पावा शेल्स और बेहद तेज शोर पैदा करने वाले इक्विपमेंट्स और रबर गन का इस्तेमाल पैलेट गन के मुकाबले कामयाब होता नहीं दिख रहा है।"
- उन्होंने एक नए सीक्रेट ऑप्शन का भी जिक्र किया, लेकिन कहा कि वे इसे पब्लिक नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि यह रबर बुलेट्स की तरह है, लेकिन पैलेट गन जितना घातक नहीं। उन्होंने कहा कि पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल 300 मीटर तक ही असरदार हो सकता है। लेकिन अगर प्रदर्शनकारी सिक्युरिटी फोर्सेज की तरफ बढ़ रहे हैं और उनसे 10 मीटर ही दूर हैं जिससे जवानों की जिंदगी खतरे में है तो आखिरी रास्ता पैलेट गन ही बचता है।
सामान और कैम्प की सुरक्षा सबसे अहम
- 27 मार्च को चीफ जस्टिस जेएस खेहर के यह पूछने पर कि क्या पथराव करने वालों में बच्चे भी शामिल होते हैं, रोहतगी ने कहा था, "हां, बच्चे और महिलाएं भी भीड़ में होते हैं। भीड़ के हमले में सुरक्षा बल यह तय नहीं कर सकते कि बचाव में किस पर पैलेट चलाएं और किस पर नहीं। तब जान, माल और कैम्प की सुरक्षा ही सबसे अहम रहती है।"
कोर्ट में बैठकर कश्मीर का अंदाजा लगाना मुश्किल
- पिटीशनर के वकील आरके मिश्रा ने कहा था, "पैलेट से बहुत ज्यादा चोट लगती है। कई बच्चों की आंख फूट गई। कई बेकसूर भी इसका शिकार हुए।" इस पर रोहतगी बोले, "जम्मू-कश्मीर के हालात का अंदाजा वही लगा सकता है, जो उन हालात को झेल रहा है। मौजूदा स्थिति में सुरक्षा बलों की रक्षा के लिए पैलेट गन ही सही विकल्प है।"
- चीफ जस्टिस खेहर ने कहा था, "यहां बैठकर हम कश्मीर के हालात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। इस मांग पर विचार के साथ ही सुरक्षा बलों और जनता को कोई हानि भी नहीं होनी चाहिए।सरकार पैलेट के बजाय गंदा बदबूदार पानी जैसे अन्य विकल्पों पर विचार कर जवाब दे।"
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