Sunday, 13th July 2025

माधवराव सिंधिया की मूर्ति का विरोध:अनावरण रोका, हाईकोर्ट जाने की तैयारी; जानिए- MP के चर्चित मूर्ति विवाद

Thu, Nov 17, 2022 5:23 PM

टीकमगढ़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की मूर्ति स्थापित होने के बाद स्थानीय लोग इसके अनावरण का विरोध कर रहे हैं। लोग इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

विरोध की वजह क्या है? इससे पहले ये भी जान लीजिए...

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने चौक-चौराहों पर लगी नेताओं और दिवंगत विशिष्ट जनों की मूर्तियां हटाने का आदेश इसी साल मार्च में दिया है। हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2013 के बाद लगाई गई मूर्तियों को हटाने को कहा है। यह भी हिदायत दी कि भविष्य में मध्यप्रदेश की सड़कों या सार्वजनिक महत्व की भूमि पर कोई मूर्ति न लगाई जाए। इस आदेश के बाद राजधानी भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मूर्ति का अनावरण खतरे में पड़ गया। टीटी नगर स्थित नानके पेट्रोल पंप से अर्जुन सिंह की मूर्ति हटाकर व्यापमं चौराहे पर शिफ्ट कर दिया। मूर्ति शिफ्ट होने के बाद भी अर्जुन सिंह की मूर्ति का अनावरण नहीं हो पाया। कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने की मांग कर रहे हैं।

अब खबर पर आते हैं...

टीकमगढ़ के समाजसेवी और क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने माधवराव सिंधिया की मूर्ति अनावरण के विरोध की वजह बताते हुए कहा...

टीकमगढ़ शहर के सर्किट हाउस की ऐतिहासिक इमारत महाराजा वीर सिंह जू देव ने बनवाई थी। जो भी अतिथि आते हैं, सबसे पहले सर्किट हाउस में ही रुकते हैं। सर्किट हाउस कैम्पस में चोरी-छिपे माधवराव सिंधिया की मूर्ति लगा दी गई। ग्वालियर में उनकी कई मूर्तियां लगी हैं। टीकमगढ़ में भी सिंधिया जी की प्रतिमा किसी और स्थान पर लगा दें, कोई दिक्कत नहीं। टीकमगढ़ का वैभवशाली इतिहास रहा है। इस शहर के विकास और वैभव को आगे बढ़ाने में जिनका योगदान रहा है, उनकी मूर्तियां लगाई जानी चाहिए।

टीकमगढ़ में कई महापुरुष रहे हैं। भगवान राम को अयोध्या से ओरछा लाने वाली रानी कुंवर गणेश, जनकपुरी में जानकी जी का नौलखा मंदिर, अयोध्या में कनक भवन बनवाने वाली रानी वृषभानु कुंवर टीकमगढ़ से आती हैं। जल संरक्षण के क्षेत्र में शहर को समृद्ध बनाने वाले महाराजा प्रताप सिंह जू देव हों या बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल। जिनका टीकमगढ़ से लगाव, जुड़ाव और जन्म स्थान रहा है, उनकी प्रतिमाएं यहां लगनी चाहिए।

माधवराव सिंधिया जी का शहर के विकास में कोई रोल नहीं रहा है। उनके नाम का एक शिलालेख भी यहां नहीं है। इसलिए यहां के नागरिकों की मांग है कि यहां की स्थानीय विभूतियों की प्रतिमाएं लगाई जाएं।

पुष्पेंद्र सिंह चौहान का यह भी कहना है टीकमगढ़ के सर्किट हाउस में लगाई गई माधवराव सिंधिया की प्रतिमा को लेकर स्थानीय लोग हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का मन बना रहे हैं।

कांग्रेस बोली- महापुरुष किसी पार्टी के नहीं होते
कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने कहा, भाजपा ने जो बीज बोया है, उसके दुष्परिणाम आज सामने दिख रहे हैं। कांग्रेस ने कभी भी महापुरुषों को लेकर भेदभाव नहीं किया। हमारे समय में कुशाभाऊ ठाकरे, उद्धवदास मेहता की मूर्ति लगी रही।

टीकमगढ़ में माधवराव सिंधिया की प्रतिमा के अनावरण का विरोध हो रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जैसे ही दल-बदल किया, लोग बडे़ महाराज की प्रतिमा का विरोध कर रहे हैं। सरकार को महापुरुषों की प्रतिमाओं का जल्द अनावरण कराना चाहिए। दस महीने का समय बचा है, यदि भाजपा नहीं करेगी, तो सरकार बदलने के बाद कांग्रेस पार्टी सभी महापुरुषों की मूर्तियों का सम्मानपूर्वक अनावरण कराएगी।

पूर्व मंत्री बोले- सरकार बदलेगी तो ढंक देंगे भाजपा-आरएसएस नेताओं की मूर्तियां
बीते दिनों अर्जुन सिंह की जन्मजयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा- स्वर्गीय अर्जुन सिंह की प्रतिमा का जो लोग अनावरण नहीं करने दे रहे हैं, वो ये जान लें कि कल इनकी फोटो भी ऐसे ही ढंकी रहेगी। दाऊ साहब मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे, भारत के मानव संसाधन मंत्री, राज्यपाल से लेकर कई अहम पदों पर रहे। वे देश की धरोहर हैं, किसी दल विशेष की बात नहीं है। भाजपा सरकार के नेताओं को यह सोचने की जरूरत है। यहां कई ऐसे लोगों की प्रतिमाएं लग गई हैं, जिनका देश को आगे ले जाने में एक प्रतिशत रोल नहीं रहा। आरएसएस के कई लोगों की मूर्तियां लगा दी गईं, भवन बना दिए गए। सरकार बदलने के बाद ये सब बदला जा सकता है। सरकार में बैठे मंत्रियों, नेताओं को इस बात को सोचना चाहिए, जितनी जल्दी हो सके सरकार को उनकी मूर्ति का अनावरण करना चाहिए।

भोपाल में ये मामले भी रहे सुर्खियों में

  • करीब 5 साल पहले रेतघाट तिराहे से डॉ. शंकरदयाल शर्मा की प्रतिमा शिफ्ट की गई थी। इसे लेकर राजनीति काफी तेज रही। कांग्रेस ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी। काफी समय तक प्रतिमा कमला पार्क में पड़ी रही थी।
  • 23 जनवरी 2022 को भोपाल के सुभाषचंद्र चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का लोकार्पण किया गया। यह लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। दो साल पहले भी चौराहे पर प्रतिमा लगी हुई थी। इसे शिफ्ट करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता आमने-सामने आ गए थे।
  • करीब दो साल पहले आर्च ब्रिज के पास रानी कमलापति की प्रतिमा लगाई गई थी। प्रतिमा को लेकर भाजपा और कांग्रेस में विवाद भी सामने आया था।

साल में एक ही बार फूल मालाएं सजाई जाती है
एमपी नगर, लिंक रोड नंबर-1 समेत कई सड़कों के बीच चौराहों पर प्रतिमाएं 2013 से पहले स्थापित की गई थी। शौर्य स्मारक के सामने चौराहे पर 25 दिसंबर 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी की कांसे से बनी 12 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया था। अधिकांश प्रतिमाएं धूल से पटी नजर आती है। साल में एक बार ही जयंती या पुण्यतिथि के दिन प्रतिमाएं फूल मालाओं से सजाई जाती हैं।

इंदौर में इन मूर्तियों के हटाने पर रहा विवाद

  • मालवा मिल चौराहे पर संत बालीनाथ जी की मूर्ति को लेकर समाजजनों और राजनीतिक दलों के बीच 15 साल से स्थान को लेकर विवाद चल रहा था। 2021 में सरकार से सहमति के बाद प्रतिमा स्थापित हुई।
  • गीता भवन पर 2016 में ट्रक की टक्कर से अंबेडकर प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो गई थी। तब विधायक रमेश मेंदोला ने इसे ठीक करवाया था।
  • राजबाड़ा के सामने की सड़क को बगीचे में मर्ज कर दिया गया था। उस समय शंकर लालवानी निगम सभापति थे। बाद में क्षेत्रीय विधायक अश्विन जोशी के विरोध और यातायात बाधित होने के चलते इस रास्ते को फिर से खेल दिया गया था।
  • लेंटर्न चौराहे पर गोविंदराम सेकसरिया की प्रतिमा को चौराहे पर लगाने को लेकर प्रशासन और छात्रों के बीच विवाद हुआ था। हालांकि बाद में इसे एसजीएसआईटीएस कॉलेज के कॉर्नर पर ही लगा दिया गया।
  • आसाराम बापू चौराहा जो वर्तमान में आईटी पार्क सर्कल कहलाता है, वहां आसाराम बापू की प्रतिमा लगनी थी, लेकिन 2013 में उनके जेल जाने के बाद समीकरण बदल गए।
  • पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मणसिंह गौड़ की महू नाके पर लगी प्रतिमा के चेहरे को लेकर असहमति की स्थिति बनी थी। बाद में इसे बदलकर नई प्रतिमा लगाई गई।

ग्वालियर में इन मूर्तियों को हटाने पर मचा था बवाल

  • ग्वालियर में 8 सितंबर 2021 को चिरवाई नाका पर नगर निगम द्वारा सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई गई थी। प्रतिमा पर गुर्जर सम्राट लिखने पर बवाल मचा था। इसका असर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के कई शहरों में देखने को मिला था। अभी भी कोर्ट के आदेश पर मूर्ति ढकी हुई रखी गई है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
  • शहर में गुर्जर समुदाय और क्षत्रिय समुदाय के बीच में उपद्रव भी हुआ। इतिहासकारों की कमेटी मिहिर भोज की जाति का पता लगाने के लिए बैठाई गई। यह शहर का सबसे चर्चित मामला है। 7 दिन पहले मुरार हुरावली में कारगिल में शहीद नरेन्द्र सिंह राणा की मूर्ति स्थापित की गई है।
  • फूलबाग पर पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति की स्थापना के समय भी काफी विवाद हुआ था। फूलबाग चौराहा पर पहले इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्थापित होनी थी। भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगाना चाहती थी। कोई पीछे नहीं हट रहा था। इसके बाद प्रस्ताव लाया गया कि फूलबाग चौराहे पर किसी की मूर्ति नहीं लगेगी।
  • इसके बाद इंदिरा गांधी की मूर्ति जनकगंज लेडीज पार्क में लगाई गई। वहीं श्याम प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति फूलबाग के एक कोने पर लगाई गई है। उस पर भी विवाद हुआ। कॉर्नर पर मूर्ति स्थापना के लिए वहां वर्षों से चाय का स्टॉल चला रहे बाथम पान सेंटर को हटाया गया था। जिस पर काफी बवाल मचा था।

चौराहों से मूर्तियां हटाने में जबलपुर मॉडल रहा चर्चा में

  • जबलपुर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 600 से अधिक धार्मिक स्थल हटाए जा चुके हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट के 18 जनवरी 2013 के आदेश के बाद पूरे देश में चौराहों से धार्मिक स्थल और मूर्तियों को हटाने का सबसे बेहतर काम जबलपुर में हुआ।
  • हाईकोर्ट की मुख्यपीठ होने के चलते यहां मॉनिटरिंग भी होती रही। तत्कालीन कलेक्टर रहे गुलशन बामरा, नगर निगम के अतिक्रमण प्रभारी रहे राकेश अयाची, एसपी रहे संतोष सिंह व एचएन मिश्रा ने 643 धार्मिक स्थल चौराहे-तिराहे से अलग कराए थे।
  • इस कार्रवाई में विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थल, मूर्तियां आदि शामिल थी। लेकिन लोगों ने बिना किसी दबाव के हटा लिया। पूरे देश में धार्मिक स्थलों को सार्वजनिक स्थानों और रोड से हटाने में जबलपुर मॉडल बनकर उभरा है। कई राज्यों का प्रशासनिक अमला इसका अध्ययन करने यहां आ चुका है।

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