Thursday, 22nd May 2025

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश ने 11 महीनों में किया 1950 जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण

Fri, Nov 4, 2022 12:24 AM

 मध्य प्रदेश सरकार जल संरक्षण और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार काम कर रही है। 11 महीने (एक अप्रैल 2021 से 28 फरवरी 2022) में सरकार ने 1950 जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया है, तो वर्ष 2019 में शुरू जल जीवन मिशन में अब तक 53 लाख ग्रामीण परिवारों तक नल से जल पहुंचाया गया है। 19 हजार से अधिक नलजल योजनाएं और पांच लाख से अधिक हैंडपंप पहले से संचालित हैं।

ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिले, इसके लिए साढ़े चार लाख महिलाओं को जल की जांच का प्रशिक्षण दिया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जनवरी 2022 में प्रदेश के 36 जिलों के लिए 82 नई वाटरशेड विकास परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। 1088.274 करोड़ की लागत से आकार लेने वाली इन परियोजनाओं से 94670 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी और इन्हें अगले पांच साल में पूरा किया जाएगा।

प्रदेश ने 14 साल में 23.85 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ाई है। वर्तमान में 31.70 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है। जिसे दिसंबर 2027 तक 53 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने 52 जिलों में 5200 से अधिक तालाब निर्माण का खाका तैयार किया है।

मनरेगा योजना में छोटे-छोटे तालाब बनाकर पानी रोककर भूजल स्तर बढ़ाया जा रहा है। 11 महीने में 109.99 करोड़ रुपये से 45 चेकडैम, 1070 फार्मपांड, 60 परकोलेशन टेंक, 104 नाला बंधान, 261 तालाब एवं भूजल 410 रिचार्ज शाफ्ट सहित 1950 जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया है। इनसे नौ हजार 432 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। जिससे 10 हजार 879 किसानों को लाभ होगा।

राज्य सरकार जनभागीदारी से जल संरक्षण की गतिविधियां संचालित कर रही है। जल का अनावश्यक व्यय न हो, इसके लिए कृषि में नहर के स्थान पर स्प्रिंक्लर एवं ड्रिप से सिंचाई को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पानी बचाने की इन गतिविधियों के लिए लोगों को जागरूक और जल संरचनाओं का निर्माण कर नदियों को पुनर्जीवित करने का अभियान जल्द शुरू करने की तैयारी है।

प्राधिकरण संभाल रहे जल संरक्षण का जिम्मा

 

 

प्रदेश में तालाबों के संरक्षण के लिए झील संरक्षण प्राधिकरण बनाया गया है। सरोवर प्राधिकरण भी बनाया जा रहा है, जो प्रदेश में बनाए जा रहे पांच हजार 12 सरोवरों की निगरानी करेगा। इनमें से दो हजार पूर्ण हो चुके हैं। 'कैच द रैन" अभियान चलाकर वर्षा का पानी इकठ्ठा करने का आव्हान किया गया है। पौधारोपण के माध्यम से तालाबों के कैचमेंट एरिया का ट्रीटमेंट करने की तैयारी है। सभी सरकारी भवनों में 'रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग" की व्यवस्था के निर्देश हैं।

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