मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हरदा जिले के याचिकाकर्ता शिक्षकों को द्वितीय व तृतीय क्रमोन्नति का लाभ देने के निर्देश दिए। न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने जिला शिक्षा अधिकारी हरदा को निर्देश दिए कि आवेदकों के इस सम्बंध में दिए गए अभ्यावेदन का निराकरण किया जाए। इसके लिए दो महीने का समय दिया गया है।
याचिकाकर्ता हरदा निवासी रघुवीर प्रसाद लोहाना व रामकृष्ण बघेल की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र ज्योतिषी व सौरभ सोनी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति 1989 में उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर हुई थी। आवेदक गण वर्तमान में डा. बीआर आंबेडकर शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदा में कार्यरत हैं। उनकी 12 वर्ष, 24 वर्ष व 30 वर्ष की सेवाएं पूरी होने पर भी उन्हें क्रमोन्नति का लाभ प्राप्त नहीं हुआ। जबकि आवेदकगण प्रथम, द्वितीय व तृतीय क्रमोन्नति की पात्रता रखते हैं। आवेदकों ने इसके पहले शासन के समक्ष कई बार आवेदन पत्र प्रस्तुत किए, परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस पर आवेदकों ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की।हाई कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद राहत दे दी।
संभागायुक्त ने जांच प्रक्रिया का पालन किए बिना ग्राम रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति संबंधी कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी। कमिश्नर कोर्ट ने निचली अदालत का मूल रिकार्ड पेश करने के निर्देश भी दिए हैं। मंडला जिलांतर्गत ग्राम पंचायत औरई में पदस्थ ग्राम रोजगार सहायक पवन कुमार ठाकुर को आर्थिक अनियमितता के चलते सीईओ जिला पंचायत ने सेवामुक्त कर दिया था। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा। आवेदक की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्हाेंने दलील दी कि सीईओ ने अधिकारविहीन आदेश पारित किया है। नियमानुसार ये अधिकार कलेक्टर को प्रदत्त है। हाई कोर्ट ने मामला कलेक्टर मंडला को रिमांड किया। कलेक्टर ने केवल एक नोटिस जारी किया। जवाब आने पर पुन: सेवा समाप्ति का आदेश बहाल कर दिया। अधिवक्ता मिश्रा ने कमिश्नर कोर्ट को बताया कि नियमानुसार न तो प्रकरण पंजीबद्ध किया गया और न ही आवेदक को आरोप पत्र दिया गया। इसके अलावा प्रक्रिया के तहत गवाही, अंतिम तर्क और आवेदक को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया। दलीलों को सुनने के बाद कमिश्नर कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी।
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