कमरतोड़ महंगाई से जूझ रही जनता को एक और झटका लगने वाला है। जल्द ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में फिर से उछाल दिख रहा है। ब्रेंट क्रूड ऑयल ( Brent Crude Oil) की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल के पार जा पहुंची है, जो 28 मार्च के बाद सबसे ज्यादा है। माना जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात पर बैन का समर्थन करने की वजह से कच्चे तेल की कीमतें 7 हफ्ते के उच्चतम स्तर पर जा पहुंची हैं। इससे पहले यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 2008 के बाद पहली बार 139 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा था। माना जा रहा है कि चीन के लॉकडाउन में ढील देने से कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी और कीमतें और बढ़ सकती हैं।
भारत को कितना नुकसान?
आपको बता दें कि भारत कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। यह अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल अन्य देशों से खरीदता है। इनमें से ज्यादातर कच्चा तेल पश्चिम एशियाई देशों और अमेरिका से आता है और रूस से महज 2 फीसदी कच्चे तेल का आयात होता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के बढ़ने से देश में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढेंगी। आंकड़ों की मानें, तो मौजूदा कीमत पर तेल बेचने वाली सरकारी कंपनियों को डीजल के मामले में प्रति लीटर 25-30 रुपये का और पेट्रोल के मामले में 9-10 रुपये का नुकसान हो रहा है। देश की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने मंगलवार को बताया कि चौथी तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट, पिछले साल के मुकाबले 31.4% गिर गया है।
फिर से बढ़ेंगी कीमतें
देश में पांच राज्यों के चुनाव संपन्न होने के कुछ ही दिनों बाद से डीजल-पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ाए जाने लगे। 22 मार्च से 06 अप्रैल के दौरान डीजल और पेट्रोल के दामों में 14 बार बढ़ोतरी की गई। भारत में 22 मार्च से 6 अप्रैल 2022 के बीच लीटर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है। इसके बाद से पिछले 40 दिन से इनके दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। लेकिन ये राहत जल्द ही खत्म होनेवाली है। कच्चे तेल के कीमतों में तेजी बरकरार रही, तो फिर से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का सिलसिला शुरू हो सकता है और उसके साथ ही सभी जरुरी चीजों की कीमतें बढ़ जाएंगी।
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