अमेरिका या यूके सहित अन्य देशों में जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए अहम खबर है। अब युद्ध या ऐसी ही कोई आपदा आई तो भी पढ़ाई बीच में नहीं रुकेगी। यूजीसी ने विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई काे लेकर बड़ा बदलाव किया है। इस निर्णय को रूस-यूक्रेन युद्ध से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
अब छात्र पढ़ाई का सिर्फ 30 फीसदी काेर्स विदेशी यूनिवर्सिटी से करते हैं और बाकी देश में रहकर ही पढ़ते हैं ताे भी उन्हें डिग्री विदेशी यूनिवर्सिटी की ही मिलेगी। पहले विदेशी यूनिवर्सिटी के डिग्री प्रोग्राम के लिए पढ़ाई वहीं जाकर करना पड़ती थी। यूजीसी के इस नए नियम के बाद यह बाध्यता खत्म हाे गई है।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 से भारतीय और विदेशी संस्थान एक साथ संयुक्त डिग्री, ड्यूल डिग्री और ट्विन प्रोग्राम में पढ़ाई करवा सकेंगे। सरकार ने यूजीसी विनियमन-2022 को लागू कर दिया है। जाे शर्त है, उसमें देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी भी पात्र है। उसके पास नैक की ए प्लस ग्रेड है और उसका स्काेर 3.01 से ज्यादा है।
नई पॉलिसी से पहले यह होता था
पहले किसी भी देश की यूनिवर्सिटी से एमबीए या अन्य डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई के लिए छात्र को दाे साल वहीं रहकर काेर्स करना हाेता था। किसी भी तरह ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम और डिस्टेंस मोड से चलने वाले डिग्री प्रोग्राम में यह नया नियम लागू नहीं होगा। इसमें छात्र को प्रोग्राम के आधार पर विदेशी यूनिवर्सिटी में पहुंचकर पढ़ाई का मौका मिलेगा। हालांकि इनमें मेडिकल, लॉ और एग्रीकल्चर डिग्री प्रोग्राम शामिल नहीं किए जाएंगे।
तीनों तरह के प्रोग्राम का ऐसा होगा डिजाइन
1. जॉइंट डिग्री
इसमें एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय मिलकर डिग्री प्रोग्राम चलाएंगे। इसमें डिग्री भारतीय यूनिवर्सिटी की होगी। दाेनाें यूनिवर्सिटी का नाम व लोगो होगा। इसमें कम से कम 30-30 फीसदी क्रेडिट दोनों यूनिवर्सिटी से प्राप्त करना अनिवार्य रहेगा। इस काेर्स के बाद छात्राें काे एक कॉमन सर्टिफिकेट (डिग्री) जारी हाेगा। इसमें दाेनाें यूनिवर्सिटी के नाम व सील रहेगी।
2. ट्विन प्रोग्राम
छात्र को एक, दो या तीन सेमेस्टर की पढ़ाई विदेशी यूनिवर्सिटी में जाकर करना होगी। यह एक तरह का स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम होगा। इसमें अधिक से अधिक 30 फीसदी कोर्स या क्रेडिट उस यूनिवर्सिटी से प्राप्त करना होगा। काेलाब्रेशन करना हाेगा।
3. ड्यूल डिग्री
एक भारतीय और दूसरी विदेशी यूनिवर्सिटी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करवाएंगे। दोनों अलग-अलग डिग्री जारी करेंगे। इसमें भी दोनों प्रोग्राम में 30 या उससे अधिक क्रेडिट स्कोर हासिल करने होंगे। इसमें दाे अलग-अलग सर्टिफिकेट जारी हाेंगे।
यह हाेगा : देशी-विदेशी संस्थानों के बीच एमओयू हो सकेगा
युगल उपाधि और संयुक्त उपाधि कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए भारतीय और विदेशी शिक्षण संस्थानों के बीच एमओयू हाे सकेगा। इसके तहत अब काेई भी छात्र विदेशी यूनिवर्सिटी में मनपसंद डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई कर सकेगा।
यह है नई याेजना
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने भास्कर से कहा कि इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके लिए सबसे अहम नियम यह है कि संस्थानाें के पास नैक द्वारा 3.01 स्कोर हो। नेशनल इंस्टिट्यूशंस रैंकिंग फ्रेम वर्क (एनआईआरएफ) की यूनिवर्सिटी श्रेणी में टॉप 100 में शामिल हो या फिर उसे उत्कृष्ट का दर्जा मिला हो।
ऐसे काेई भी संस्थान किसी भी विदेशी संस्थान काे इस प्राेग्राम में सहयोग कर सकते हैं। वहीं इसमें शामिल हाेने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी के पास टाइम्स उच्च शिक्षा या क्यूएस वर्ल्ड ग्लाेबल रैंकिंग टॉप 1000 में शामिल होना जरूरी होगा। जो विश्वविद्यालय इन नियमों को पूरा करते होंगे, उन्हें इन प्रोग्राम को शुरू करवाने के लिए यूजीसी से पूर्व मंजूरी नहीं लेना होगी।
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