Thursday, 22nd May 2025

चित्रकूट गैंगरेप केस:पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत 3 दोषी करार; MP-MLA कोर्ट 12 नवंबर को सुनाएगी सजा; 4 आरोपी बरी

Thu, Nov 11, 2021 4:57 PM

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चित्रकूट गैंगरेप मामले में बुधवार को फैसला आ गया। MP-MLA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने प्रजापति समेत 3 अभियुक्तों को दोषी करार दिया। 12 नवंबर को सजा सुनाई जाएगी। वहीं, मामले के 4 अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को दोषी पाया गया है।

चार आरोपियों चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर और अमरेन्द्र सिंह पिंटू को कोर्ट ने निर्दोष माना। इनके वकील प्रांशु अग्रवाल ने बहस के दौरान दलील दी कि अभियोजन रूपेश्वर या चंद्रपाल के खिलाफ एक भी साक्ष्य पेश नहीं कर सका। जांच में भी उनके खिलाफ सबूत नहीं। इस मामले में 7 साल बाद कोर्ट फैसला सुनाने जा रहा है।

बयान बदलने पर पीड़िता के खिलाफ जांच के आदेश
मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है। पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि किस वजह से, किसके प्रभाव में बार-बार बयान बदले गए? इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराएंगे।
18 फरवरी, 2017 को लिखी गई थी गैंगरेप की FIR

पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति समेत 7 अभियुक्तों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2014 में गायत्री के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। 18 फरवरी, 2017 को थाना गौतमपल्ली (लखनऊ) में गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।

इस दौरान गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। गायत्री 15 मार्च, 2017 से जेल में बंद हैं। 18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए थे। बाद में, सुनवाई MP-MLA की विशेष अदालत को सौंप दी गई।

उम्रकैद या फांसी भी संभव
दोषी पाए जाने के बाद गायत्री प्रजापति समेत तीनों अभियुक्तों को अधिकतम उम्रकैद या मृत्युदंड हो सकता है। IPC की धारा 376-D के तहत अधिकतम सजा के लिए उम्रकैद का प्रावधान है। पॉक्सो एक्ट की धारा 6 में भी अधिकतम सजा के लिए उम्रकैद या मृत्युदंड का प्रावधान है। कम से कम 20 साल सजा हो सकती है।

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