वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदार आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला के पत्र की बातें सामने आने से टेलीकाम सेक्टर में जो खलबली मची है, उसका अंत नजर नहीं आ रहा है। अगर वोडाफोन आइडिया बंद हो जाती है तो उसके 27 करोड़ से अधिक ग्राहकों को बड़ी दिक्कत होगी। बुधवार को भी दूरसंचार विभाग (डीओटी) के भीतर टेलीकाम सेक्टर के लिए एक बड़े राहत पैकेज को लेकर विमर्श का दौर जारी रहा। दैनिक जागरण को यह जानकारी मिली है कि पिछले एक महीने के दौरान इस बारे में डीओटी के अधिकारियों की वित्त मंत्रालय के साथ भी बैठक हो चुकी है।
इस पैकेज के तहत कंपनियों के उपयोग में नहीं आने वाला स्पेक्ट्रम वापस लेने, बैंक गारंटी घटाने व दूसरे शुल्कों में कमी जैसे कुछ फैसलों की उम्मीद है जो वोडाफोन को काफी राहत दे सकती है। इसके साथ ही आरबीआइ के साथ भी एक विमर्श चल रहा है ताकि टेलीकाम सेक्टर पर 1.6 लाख करोड़ रुपये बकाया बैं¨कग कर्ज के भुगतान में राहत दी जाए। पूर्व में केंद्रीय बैंक इस तरह की राहत कुछ दूसरे संकटग्रस्त उद्योगों को दे चुका है।भारत में चल रहे इन घटनाक्रमों के बीच वोडाफोन आइडिया की लंदन स्थित मूल प्रमोटर कंपनी वोडाफोन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। कंपनी भारतीय कारोबार में नया निवेश करने की संभावना से पहले ही इन्कार कर चुकी है।
डीओटी के अधिकारियों का कहना है कि वोडाफोन को बचाना बहुत जरूरी है। अधिकारी यह भी मान रहे हैं कि भारत जैसे विशाल देश में कम से कम तीन बड़ी दूरसंचार कंपनियां होनी चाहिए। सरकार जानती है कि वोडाफोन आइडिया के बंद होने की स्थिति में विपक्ष इसे केंद्र की आर्थिक नीतियों की नाकामी के तौर पर प्रचारित कर सकता है।
ग्राहकों को ऐसे होगी दिक्कत
माना जाता है कि भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के पास इतनी व्यापक ढांचागत व्यवस्था नहीं है कि वे वोडाफोन आइडिया के सभी ग्राहकों को समाहित कर सकें। मौजूदा नियम के मुताबिक किसी भी सर्किल में किसी एक टेलीकाम कंपनी के पास 50 फीसद से ज्यादा ग्राहक नहीं रह सकते। ऐसे में वोडाफोन अगर बंद होती है तो यह सुनिश्चित करना मुश्किल होगा कि इन दोनो कंपनियों में किसी एक के पास 50 फीसद से कम ग्राहक हों।
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