भेडिय़ों के प्राकृतिक आवास के लिए पहचाना जाने वाला सागर जिले का नौरादेही अभयारण्य में अब बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है। यहां 3 सालों में बाघों का कुनबा बढ़ा है। नौरादेही अभयारण्य में सवा 2 साल के तीनों शावक अपनी मां बाघिन राधा के साथ अक्सर देखे जाते हैं। बाघ किशन भी राधा और शावकों के साथ देखा जाता है। जानिए मध्य प्रदेश के उभरते बाघों के नए बसेरे के बारे में
सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले के 1192 वर्ग किमी भू-भाग पर फैले नौरादेही वन्य प्राणी अभयारण्य का जंगली क्षेत्र भेडिय़ों का प्राकृतिक आवास है। लेकिन इसे एक बाघ सेंक्चुरी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। 19 अप्रैल 2018 को यहां कान्हा से बाघिन एन-1 को लाया गया। जिसे राधा नाम दिया गया। राधा के रमने के बाद अभयारण्य में बांधवगढ़ से एन-2 बाघ लाया गया, जिसका नाम किशन रखा गया।
एक वर्ष में ही अभयारण्य में खुशियां आईं और मई 2019 में राधा ने 3 शावकों को जन्म दिया। इसमें दो मादा और एक नर है। इस तरह तीन वर्ष में अभयारण्य में बाघों में का कुनबा बढ़कर 5 पर पहुंच गया।
राधा-किशन के साथ अठखेलियां करते दिखते हैं शावक
नौरादेही अभायरण्य में सवा 2 साल के तीनों शावक अपनी मां राधा के साथ अक्सर देखे जाते हैं। किशन भी राधा और शावकों के साथ देखा जाता है। बाघों का यह परिवार अभयारण्य की व्यारमा और बमनेर नदी की तराई में सर्रा, नौरादेही, सिंगपुर रेंज के जंगल में अठखेलियां करते नजर आता है। कभी कभार यह मुहली रेंज के जंगल में भी पहुंच जाते हैं।
विभाग द्वारा बाघों की सुरक्षा के लिए अभयारण्य में एक्स आर्मी मैन तैनात किए गए हैं। साथ ही विभाग का अमला हाथी की मदद से शावकों की गतिविधियों पर नजर रखता है।
यह भी अभयारण्य की शान
बाघों के अलावा अभयारण्य में भालू, तेंदुआ, भेडिय़ा, नीलगाय, बंदर, बारहसिंगा, हिरण, काले हिरण आदि जंगली जानवर हैं।
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