केंद्र ने इस साल दिसंबर तक 225 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्धता का खाका दिया था। इसमें बताया था कि किस महीने किस वैक्सीन की कितनी डोज मिलेंगी। वहीं, सरकार ने 14 मई को सुप्रीम कोर्ट को बताया, जुलाई में कोवैक्सीन का उत्पादन 2 करोड़ से बढ़कर 7.5 करोड़ डोज हो जाएगा। कोविशील्ड के 7.5 करोड़ और स्पूतनिक के 2.08 करोड़ डोज मिलेंगे। यानी कुल 17.08 करोड़ डोज। हालांकि 26 जून को सुप्रीम कोर्ट में ही सौंपे पूरक हलफनामे में सरकार ने बताया कि जुलाई में कोवैक्सीन की 2 करोड़ डोज ही मिल सकेंगी। मई के आकलन से 5.5 करोड़ डोज कम।
कोविशील्ड की 2.5 करोड़ डोज ज्यादा यानी कुल 10 करोड़ डोज मिलेंगी। वही, स्पूतिनक की उपलब्धता नए हलफनामे में स्पष्ट नहीं की गई। इस बीच, नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि जुलाई में राज्यों को 13.5 करोड़ डोज दी जाएंगी। इसका शेड्यूल 19 जून को ही राज्यों को दिया जा चुका है।
मंत्री बदलते ही टीके की उपलब्धता के आंकड़े भी बदल गए
30 दिन का गणित
देश में रोज लगने वाले टीकों का औसत 26 जून के बाद 41.4% घट चुका है, इस महीने भी इसके बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
देश में 21 जून को 85 लाख से ज्यादा टीके लगे तो टीकाकरण के रफ्तार की उम्मीद बंधी। हालांकि 26 जून को रोज टीकों का औसत (7 दिनी) 64.80 लाख हो गया, जो सर्वाधिक था। उसके बाद से लगातार गिरावट शुरू है। 13 जुलाई को रोजाना औसत 37.68 लाख रह गया, जो अपने उच्चतम स्तर से 41.4% कम है। अब क्योंकि, जुलाई में कुल 13.5 करोड़ टीके मिलने का दावा किया गया है। ऐसे में रोजाना औसत अधिकतम 44 लाख से ज्यादा नहीं रह पाएगा।
राज्यों को पहले बता ही दिया जाता है कि कब कितनी डोज मिलेंगी
महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान समेत कुछ राज्यों में टीका केंद्रों पर भीड़ जुट रही है। राज्योंं का कहना है कि टीके उपलब्ध नहीं हैं, लोगों को बिना टीका लगवाए लौटना पड़ रहा है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा- वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में कुछ राज्य सरकारों के बयान तथ्यों से परे हैं। दरअसल, राज्यों को पहले ही बता दिया जाता है कि उन्हें कब-कब कितनी वैक्सीन दी जाएंगी। इसलिए राज्यों को पहले से पता होता है कि उन्हें कब और कितनी डोज मिलेंगी।
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