Thursday, 22nd May 2025

धोखाधड़ी का नया तरीका:कार्ड छात्रा के पर्स में फिर भी खाते में सेंध, ठगों ने एटीएम का क्लोन बनाकर निकाले 19 हजार

Mon, Mar 8, 2021 5:18 PM

टिकरापारा लालपुर की छात्रा के एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर ठगों ने उसके खाते से 19 हजार निकाल लिए। रविवार को छात्रा जब थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुंची तब इसका खुलासा हुआ। छात्रा का एटीएम उसके पास है। उसने किसी भी वेबसाइट का लिंक नहीं खोला। बैंक खाते से संबंधित जानकारी के लिए उसे कोई फोन भी नहीं आया। शुक्रवार को फुंडहर के होटल कर्मी के साथ भी ऐसा ही हुआ था। एक के बाद दूसरी घटना से पुलिस चौकन्नी हो गई है। पुलिस अफसरों को शक है शहर में एटीएम का क्लोन बनाकर ठगी करने वाला गिरोह घुस आया है। पुलिस को नाइजीरियन और रशियन गिराेह पर शक है। मुंबई के भी कुछ गिरोह इसी फार्मूले से ठगी कर रहे हैं। पुलिस ने हर एंगल से जांच शुरू कर दी है। छात्रा के साथ होटल कर्मी पूनाराम साहू ने जिस तरह से ठगी होना बताया है, उससे पुलिस को पूरा यकीन है कि उनके एटीएम का क्लोन बनाकर ही खाते से पैसे निकाले गए हैं। पुलिस अफसरों के अनुसार एटीएम और इसी तरह के दूसरे चिप वाले कार्ड का डेटा चुराने वाले डिवाइस ऑन लाइन शॉपिंग साइट में उपलब्ध हैं।

ठग गिरोह ऑन लाइन आर्डर देकर ऐसे डिवाइस मंगवाकर उसकी मदद से एटीएम का क्लोन बनाकर ठगी कर रहे हैं। पुलिस उन एटीएम सेंटर से सीसीटीवी कैमरे के फुटेज निकलवा रही है, जहां से पैसे निकाले गए हैं।
विदेश में बैठकर डुप्लीकेट कार्ड बना रहे गिरोह : साइबर सेल प्रभारी रमाकांत साहू ने बताया चिप वाले एटीएम कार्ड की भी क्लोनिंग हो रही है। इस तरह से ठगी नाइजीरियन और रशियन गिरोह करते है। विदेश में बैठकर वे स्थानीय युवकों से संपर्क करते हैं। उन्हें मोटे कमीशन का झांसा देकर जाल में फंसाते हैं। उन्हें कार्ड रीडर डिवाइस उपलब्ध करवाते हैं। उसी डिवाइस को एटीएम में लगाया जाता है।

पासवर्ड देखने के लिए वे बड़ी चालाकी से एटीएम में स्पाई कैमरा लगाते हैं, जिसमें पासवर्ड रिकॉर्ड होता है। पूरा डेटा साइट के माध्यम से विदेश में बैठे ठगों को भेज दिया जाता है। उसके बाद वे चिप की कोडिंग तोड़कर वापस डेटा भेज देते हैं। उसी डेटा से यहां उनके साथी डुप्लीकेट कार्ड बनाते हैं। मुंबई और दिल्ली में बैठे ठग इस तरह की ठगी कर रहे हैं।
केस-1
फुंडहर के होटल कर्मी ने 27 फरवरी को घड़ी चौक के एटीएम से पैसे निकाले। दूसरे दिन उनके खाते से 80 हजार निकाल लिया गया। जबकि कार्ड उनके पास है और उन्होंने किसी को खाते की जानकारी नहीं दी है।
केस-2
लालपुर की 24 साल की छात्रा के खाते से 25 फरवरी को 19 हजार निकाल लिया गया। उन्होंने एक दिन पहले कार्ड का उपयोग किया था। कार्ड उनका पर्स में रखा हुआ है। उन्होंने भी किसी को खाते की जानकारी नहीं दी है।

केवल 21 हजार तक में मिल रही कार्ड रीडर डिवाइस
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने बताया ऑन लाइन शॉपिंग साइट में कई तरह की मैग्नेटिक कार्ड रीडर मशीन उपलब्ध है। यह ऑनलाइन साइट में अधिकतम 10 से 21 हजार रुपए में बिक रही है। कार्ड रीडर में किसी भी चिप वाले या सादे कार्ड का डुप्लीकेट कार्ड बनाने का विकल्प रहता है। ऑनलाइन साइट में ऑर्डर करने पर डिवाइस सीधे घर आ जाता है। इसे आसानी से उपयोग किया जा सकता है। यह बैटरी से चलता है। इसलिए इसे कहीं भी लगाया जा सकता है। ज्यादातर एटीएम क्लोनिंग करने वाले गिरोह इसी मशीन का उपयोग कर रहे हैं। इसमें छोटा चिप लगा होता है, जिसे एटीएम के उस प्लास्टिक के खांचे में लगाया जाता है, जहां एटीएम कार्ड को पैसा निकालने के लिए मशीन में फिट किया जाता है।

कार्ड स्वाइप करने पर उसका डेटा वहीं अलग से लगे चिप में कॉपी हो जाता है। पैसे निकालने वाले अपना कार्ड लेकर चले जाते हैं, उसके बाद ठग अपनी चिप में कॉपी हो चुके एटीएम के डिटेल से डुप्लीकेट कार्ड बनाकर पैसा निकालते हैं। इसी वजह से कार्ड चाहे आपके पर्स में हो, ठग खाते से पैसे निकाल लेते हैं।

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