विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू-कश्मीर के मैदानी हालात का जायजा लेने के लिए यहां पहुंच रहा है। इसमें यूरोपीय यूनियन के डिप्लोमैट्स भी शामिल होंगे। ये स्थानीय लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत करेंगे। भारत की इस कवायद से पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान के विदेश विभाग का आरोप है कि विदेशी राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर ले जाकर भारत दुनिया को गुमराह करना चाहता है।
भारत ने साजिश रची
पाकिस्तान के विदेश विभाग द्वारा सोमवार रात जारी बयान में फॉरेन डिप्लोमैट्स के कश्मीर दौरे को प्रायोजित बताया गया है। विदेश विभाग ने कहा- यह पूरी तरह से प्रायोजित दौरा है। हम इसकी निंदा करते हैं। भारत दुनिया को इस कोशिश के जरिए गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। वहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।
जमीनी हकीकत अलग
पाकिस्तान के विदेश विभाग द्वारा जारी बयान को गौर से देखें तो साफ नजर आता है कि वो फॉरेन डिप्लोमैट्स के दौरे से खुश नहीं है। इसमें कहा गया- कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं। वहां 18 महीने से फौज का शासन का है। कश्मीर को बाकी दुनिया से अलग कर दिया गया है। लोगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया जा रहा है। हम दुनिया के देशों से अपील करते हैं कि वो भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए कहे ताकि इसे शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जा सके।
पिछले महीने भी विदेशी राजनयिक कश्मीर गए थे
पिछले महीने ही अमेरिकी राजदूत के नेतृत्व में 15 सदस्यीय डेलिगेशन ने कश्मीर का दौरा किया था। इस बार डेलिगेशन में यूरोपियन यूनियन और खाड़ी देशों के राजनयिक शामिल रहेंगे।
पिछले दौरे में यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर दौरे पर जाने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि वह ‘गाइडेड टूर’ के पक्ष में नहीं हैं और बाद में वहां जाएंगे। इसके चलते पिछले दौरे में में अमेरिकी राजदूत कैनेथ जस्टर समेत बांग्लादेश, वियतनाम, नॉर्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाइजीरिया और अन्य देशों के राजनयिक कश्मीर गए थे। ईयू के राजनयिकों ने कहा था कि वे अपनी मर्जी से चुने गए नेताओं से मिलना चाहते थे।
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