महुआ लहान से बनी देसी शराब भले ही सेहत बिगाड़ दे, लेकिन भोपाल से महज 60 किमी दूर नर्मदा किनारे बसे गांवों के किसानों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। इस क्षेत्र के किसानों ने लॉकडाउन के दौरान मूंग की फसल पर महुआ से बनी देसी शराब का छिड़काव किया तो अन्य किसानों की अपेक्षा हमारी फसल बेहतर हुई। जहां कीटनाशक के छिड़काव से नुकसान होता है तो वहीं महुआ शराब से मूंग फली बगर जाती है यानी बहुत भरी हुई होती हैं।
इल्लियों के लिए किसान थोड़ा बहुत कीटनाशक का छिड़काव भी करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह कम होता जा रहा है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों में महुआ शराब के छिड़काव को लेकर मतभेद है। इन दिनों मूंग बोने वाले किसान महुआ शराब बनाने वालों से संपर्क कर रहे हैं, क्याेंकि अगले महीने ही मूंग की फसल बोई जानी है। जानकारी के अनुसार अकेले सीहोर जिले में 35 हजार हेक्टेयर पर मूंग की पैदावार हुई है और एक बार फिर इससे भी अधिक रकबे में मूंग बोने की तैयारी की जा रही है।
कीमत कम, फायदा अधिक
महुआ लहान की शराब 50 से 100 रुपए प्रति लीटर कीमत पर किसानों को बहुत आसानी से मिल जाती है। इससे आदिवासियों की भी अच्छी खासी कमाई होती है। एक लीटर शराब से पांच एकड़ जमीन में छिड़काव हो जाता है। यानि 10 से 20 रुपए प्रति एकड़। जबकि कीटनाशक का खर्च प्रति एकड़ 100 से 150 रुपए तक आता है। महुआ छिड़कने के बाद केवल इल्लियों के लिए थोड़ा बहुत कीटनाशक छिड़कना पड़ता है।
ऐसे हुई शुरुआत : लाॅकडाउन में कीटनाशक नहीं मिल रहा था, यू-ट्यूब पर देखा फसल पर शराब छिड़कने का फाॅर्मूला
आखिर शराब का छिड़काव क्याें करते हैं? इसकी वजह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने क्षेत्र के कुछ किसानों से बात की तो उन्होंने नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध पर बताया (बातचीत की रिकार्डिंग मौजूद) कि बीते साल जब मूंग बोई गई तब लॉकडाउन शुरू हो गया। चूंकि फसल का समय वही होता है। किसानों काे कीटनाशक नहीं मिल रहा था। कहीं आ जा नहीं सकते थे। ऐसे में यू ट्यूब पर देखा कि हरियाणा के किसान मूंग में शराब का छिड़काव कर रहे हैं। यह देखकर कुछ युवा किसानों ने जंगल में महुआ शराब बनाने वाले आदिवासियों से शराब खरीदकर छिड़काव शुरू कर दिया।
यह छिड़काव फसल बोने के 40 दिन बाद किया जाता है। यह बात नसरुल्लागंज के सालारोंड, आमाकदीम, छापरी, पलाशी, निमोटा, सातदेव, सीलकंठ, मंडीबाजार, खड़गांव, बावरी, मझली, खात्याखेड़ी, गूलरपुरा, धन्नास, गिल्लौर, सेमलपानी, कुंआपानी, होता हुआ सीहोर से हरदा तक फैल गई। बात फैली जो सभी किसानों ने मूंग में महुआ से बनी शराब का छिड़काव शुरू कर दिया। किसानेां का कहना था कि इससे परिणाम अच्छे आए। मूंग की फली में दाने भरे हुए आए। किसानों ने बताया कि जिन्होंने शराब का छिड़काव किया, उनकी फसल कीटनाशक छिड़कने वालों से अधिक बेहतर हुई।
यह पुरानी पद्धति है, लेकिन क्षेत्र विशेष में ही फायदेमंद
महुआ शराब एक सल्फ्युरिक एसिड है। इसको लेकर स्पष्ट नहीं है कि कितनी फायदेमंद है, लेकिन फल जल्दी और अच्छा तैयार होता है। पपीते में इसका प्रयोग किया जाता है। यह पुरानी पद्धति है, लेकिन क्षेत्र विशेष में ही यह काम कर सकती है, सब जगह नहीं। निश्वित तौर पर जब कोरोना में सब बंद था तो किसानों ने इसे विकल्प के रूप में अपनाया और एक की देखा-देख दूसरे ने भी शुरू कर दिया। इसीलिए उस तरफ ऐसा किया जाता है।
- डॉ. एमएस परिहार, प्रमुख वैज्ञानिक, फल अनुसंधान केंद्र कृषि, ईंटखेड़ी
Comment Now