9 से 12 फरवरी तक मकर राशि में 6 ग्रह रहेंगे। माघ महीने की अमावस्या पर सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि के एक ही राशि में होने से अशुभ षडग्रही योग बनेगा। काशी के ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इन ग्रहों के कारण देश-दुनिया में तनाव, प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाएं होने की आशंका बन रही है। क्योंकि जब भी 6 या उससे ज्यादा ग्रह एक ही राशि में आ जाते हैं तो कुछ न कुछ अशुभ जरूर होता है। विद्वानों का कहना है कि 1962 के बाद फिर से ये ग्रह मकर राशि में आ रहे हैं। इस षड्ग्रही योग का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
4 फरवरी से सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि मकर राशि में है। 9 फरवरी को तकरीबन साढ़े 8 बजे के बाद चंद्रमा भी धनु से मकर राशि में आ जाएगा। जिससे 10 और 11 तारीख को पूरे दिन षडग्रही योग बना रहेगा। ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रह-नक्षत्रों की ये स्थिति अनचाही घटनाओं की ओर इशारा कर रही है। सितारों की इस स्थिति का अशुभ असर देश-दुनिया पर पड़ सकता है।
सालों में बनती है ऐसी स्थिति
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि कई सालों में एक बार ऐसा होता है जब 6 ग्रह एक ही राशि में आ जाए। ऐसी ग्रह स्थिति को षड्ग्रही योग कहा जाता है। ज्योतिष ग्रंथों में इस योग को अशुभ फल देने वाला माना जाता है। मयूरचित्रकम सहित कुछ संहिता ग्रंथों में कहा गया है कि जब 6 या उससे ज्यादा ग्रह एक ही राशि में आ जाए तो दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। प्राकृतिक आपदाएं और मौसम में अचानक बदलाव होने लगता है। इन ग्रहों के कारण राजा यानी बड़े पद पर मौजूद लोग, बड़े नेता और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए तनाव और बदलाव का समय होता है।
ज्योतिषियों का मत
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र: ये बताते हैं कि सितारों की वजह से किसी राज्य के प्रधान नेता का पद छूट सकता है या किसी खास इंसान का निधन होने की आशंका भी बनी हुई है। बारिश और बर्फबारी हो सकती है। उपद्रव, भूकंप, तूफान या प्राकृतिक आपदा से देश में परेशानी बढ़ सकती है। मौसम में अचानक बदलाव होगा।
काशी विद्वत परिषद् के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी: इनका कहना है कि सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि के मकर राशि में आने से प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। साथ ही महंगाई भी बढ़ती है। भूकंप, बाढ़, अग्निकांड, तूफान आमलोगों में डर और अविश्वास बढ़ता है। शासन में अस्थिरता और असमंजस के हालात बनते हैं। दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। तकनीकी अपराध भी बढ़ते हैं।
केंद्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय तिरुपति के ज्योतिषाचार्य प्रो. कृष्ण कुमार भार्गव: इन्होंने बताया कि जब-जब छह या इससे ज्यादा ग्रह एक राशि में आ जाते हैं तो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में दुख का कारण बनते हैं। राष्ट्र नायकों का युद्धोन्माद, तानाशाही, भयंकर मारकाट एवं युद्ध का उद्घोष आदि होने की आशंका बनती है। प्राकृतिक प्रकोप, महामारी, भूकंप, बम विस्फोट, रेल दुर्घटना की ओर इंगित करता है, जनधन की हानि का भी योग बनता है।
केंद्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. वी. धर्मदासन: इनका मत है कि मकर राशि में मौजूद शनि, सूर्य, शुक्र और नीच राशि का गुरु होने से राजनेताओं के लिए संघर्षपूर्ण स्थिति बनाएगा। प्रधान नेताओं को देश की धार्मिक एवं सांप्रदायिक समस्याओं से निपटने के लिए कड़े फैसले लेने पड़ेंगे। बाजार में विशेष उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। तेल, तिलहन, गुड़, चीनी, दाल, मोटे अनाज के दाम भी कम हो सकते हैं। कीमती धातुओं के बाजार में भी मंदी आएगी।
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