जनरल और लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की निवेश सीमा अब 74% कर दी गई है। अभी तक यह 49% थी। इसका फायदा यह होगा कि ग्राहकों को इंश्योरेंस में ढेर सारे अलग-अलग किस्म के प्रोडक्ट मिलेंगे। साथ ही इससे देश में बीमा के प्रति जागरुकता बढ़ेगी।
यह फैसला क्यों किया गया
देश में बीमा सेक्टर को बढ़ाने, उसमें निवेश लाने की योजना के तहत यह फैसला है। इसके जरिए देश में FDI बढ़ेगी।
किसे मिलेगा और कैसे मिलेगा फायदा
जनरल और लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों को यह फायदा मिलेगा। विदेशी कंपनियां भारतीय बीमा कंपनियों में मेजोरिटी हिस्सेदारी की मालिक होंगी। यह निवेश कंपनियों के वैल्यूएशन पर किया जाएगा।
ग्राहक को क्या फायदा होगा
ग्राहक को ढेर सारे प्रोडक्ट मिलेंगे। वे अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट चुन सकेंगे। चाहे जीवन बीमा हो या जनरल बीमा, दोनों में उनको अवसर मिलेगा। खासकर जनरल में हेल्थ इंश्योरेंस और गाड़ियों के बीमा में बड़े बदलाव इस वजह से हो सकते हैं। लाइफ इंश्योरेंस में ग्राहक को निवेश जैसा बीमा मिल सकता है। अभी लाइफ में ज्यादातर प्रोडक्ट रिस्क को कवर करने वाले हैं।
कंपनी को क्या फायदा होगा
कंपनियों के पास जब पैसा आएगा तो वह अपना निवेश बढ़ाएंगी। ज्यादा आफिस खोलेंगी। इससे ज्यादा लोगों को काम पर रख कर अपने कारोबार को देश के दूर दराज इलाके में बढ़ा सकेंगी। इससे गांवों और छोटे शहरों तक कई बीमा कंपनियों की पहुंच से ग्राहकों को में जागरुकता बढ़ेगी।
सरकार को क्या फायदा होगा
सरकार को FDI मिलेगा। ज्यादा निवेश होगा तो टैक्स मिलेगा। सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी पर सरकार को अच्छा वैल्यूएशन मिलेगा। सरकार जनरल इंश्योरेंस और एकमात्र लाइफ इंश्योरेंस एलआईसी में हिस्सेदारी बेचना चाहती है।
बीमा की पहुंच काफी कम है
बीमा रेगुलेटर IRDAI के पूर्व मेंबर (लाइफ) निलेश साठे कहते हैं कि यह बहुत ही अच्छा कदम है। भारत जैसे विशाल देश में अभी भी बीमा की पहुंच काफी कम है। विदेशी निवेश से कंपनियां देश में बीमा की पहुंच बढ़ाएंगी। वे कहते हैं कि जब देश के बैंकिंग सेक्टर में 74% की FDI की सीमा है तो बीमा को इससे अलग नहीं रखा जा सकता है क्योंकि दोनों फाइनेंशियल सेक्टर के प्रमुख पार्ट हैं। उनका मानना है कि इससे 20 हजार करोड़ रुपए की विदेशी पूंजी बीमा सेक्टर में आएगी। इसके लिए इंश्योरेंस एक्ट में सुधार करना होगा।
कंट्रोल भारतीय व्यक्ति के पास होगा
हालांकि सरकार ने इसके साथ ही एक शर्त भी रखी है कि भले ही विदेशी कंपनी का निवेश 74% होगा, पर प्रमुख मैनेजमेंट और बोर्ड भारतीय व्यक्ति होगा। जिन कंपनियों की पहले से ही विदेशी पार्टनर के साथ भागीदारी है उनके लिए यह काफी आसान है। वे तुरंत इसे पूरा कर लेंगी। पर नई कंपनियों के लिए थोड़ा समय लगेगा।
बीमा के प्रति जागरुकता केवल 3.7 पर्सेंट है
भारत में बीमा के प्रति जागरुकता केवल 3.7 पर्सेंट है। इसमें लाइफ इंश्योरेंस की पहुंच 2.74 पर्सेंट की जागरुकता है। नॉन लाइफ में 0.97 पर्सेंट की जागरुकता है। बीमा के बिचौलियों जैसे ब्रोकर्स, कंसलटेंट्स और थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन, सर्वेयर्स की कंपनियों में 100 पर्सेंट एफडीआई की मंजूरी है। चीन में एक जनवरी 2020 से 100 पर्सेंट एफडीआई की मंजूरी है।
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