प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में वनोपजों, उद्यानिकी और कृषि फसलों के प्रसंस्करण से तैयार किए जा रहे उत्पादों की ब्रांडिंग और उनका डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिला कलेक्टरों और वन विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों की एक ब्रांड के रूप में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की सुदृढ़ व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य के विभिन्न जिलों में अनेक वनोपजों, हार्टीकल्चर एवं कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण का काम किया जा रहा है। जिलों में भ्रमण के दौरान यह जानकारी मिली कि जिले स्तर पर विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन तथा प्रसंस्करण तो हो रहा है किन्तु ब्रांडिंग एवं डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क न होने के कारण इन प्रयासों का समुचित लाभ ग्रामीणों को नहीं हो रहा है। राज्य के आदिवासी और ग्रामीण भाईयों को कच्चे माल के संग्रहण और प्रसंस्करण का अधिकतम लाभ मिले इसके लिए जरूरी है कि विभिन्न जिलों में उत्पादित होने वाले उपयोगी उत्पादों की ब्रांडिंग एवं वितरण का कार्य लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित संजीवनी दुकानों एवं निजी क्षेत्र की मदद से किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न जिलों में उत्पादित विभिन्न सामग्रियों के उत्पादन केन्द्र को यदि वन धन केन्द्र के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए, तो प्रति केन्द्र 15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता केन्द्र सरकार से तत्काल प्राप्त हो जाएगी। बघेल ने इसके लिए भी आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
20 साल में सबसे ज्यादा खरीदी इस साल सरकार ने खरीदा 92 लाख टन धान
राज्य बनने के बाद पहली बार राज्य में सरकार ने रिकार्ड धान की खरीदी की है। इस साल सरकार ने अब तक का सर्वाधिक 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी की है। धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी इस साल सबसे अधिक है। पंजीकृत 21 लाख 52 हजार 475 किसानों में से 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने अपना धान बेचा है, जो कुल पंजीकृत किसानों को 95.38 प्रतिशत है। बता दें कि इस साल समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या, कुल पंजीकृत रकबा, बेचे गए धान के रकबे, धान बेचने वाले किसानों के प्रतिशत के साथ- साथ कुल उपार्जित धान की मात्रा में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में बीते दो सालों में खेती-किसानी के रकबे और किसानों की संख्या बढ़ी है। धान की खेती के पंजीयन का रकबा 27 लाख हेक्टेयर से अधिक और पंजीकृत किसानों की संख्या 21 लाख 52 हजार तक जा पहुंची है। पिछले 6 सालों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए पंजीकृत रकबे और कुल उपार्जित धान की मात्रा में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2015-16 में 21 लाख 26 हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीयन हुआ था और 59 लाख मीट्रिक टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई थी।
जबकि 2019-20 में पंजीकृत रकबा 26 लाख 88 हजार हेक्टेयर था और 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी।
2500 रुपए में खरीदी और कर्ज माफी का भी असर
राज्य सरकार ने किसानों की कर्जमाफी लेकर सिंचाई कर माफी और 2500 रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी का निर्णय। इसके अलावा किसान न्याय योजना के अंतर्गत प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की कृषि आदान सहायता राशि देने का भी निर्णय लिया गया। इससे किसानों का उत्साह बढ़ा। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 5750 करोड़ रूपए की सीधी मदद दी जा रही है। तीन किश्तों की राशि किसानों के खातों में अंतरित भी कर दी गई है और चौथी भी किश्त की राशि मार्च तक अंतरित की जाएगी।
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