Friday, 23rd May 2025

शिवराज का नया दांव:सवर्ण आयोग का ऐलान; निकाय चुनाव से पहले CM की नजर सवर्ण वोटों पर; MP में इस वर्ग की 22% आबादी जो ज्यादातर बड़े शहरों में

Sun, Jan 31, 2021 7:22 PM

  • मध्य प्रदेश में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण का लाभ पहले से दिया जा रहा है
  • 26 जनवरी को रीवा के कार्यक्रम में कहा- सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक आयोग की तर्ज पर सवर्ण आयोग बनाएगी
 

मध्य प्रदेश में मार्च-अप्रैल में संभावित नगरीय निकाय चुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रहे हैं। अब उन्होंने सवर्ण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने रीवा में 26 जनवरी कार्यक्रम में कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक आयोग की तर्ज पर सवर्ण आयोग बनाएगी, जो सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए काम करेगा। दरअसल, मप्र में जातीय समीकरण देखें तो 22% प्रतिशत सवर्ण हैं। इनमें से अधिकतर बड़े शहरों में बसते हैं। वोट बैंक के नजरिए से देखें तो इनका झुकाव जिस राजनैतिक पार्टी की तरफ रहेगा, उसको चुनाव में फायदा होना स्वाभाविक है। यही वजह है कि तीन साल पहले प्रमोशन में आरक्षण की मुख्यमंत्री द्वारा की गई पैरवी के कारण सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था) अस्तित्व में आया था।

जब एट्रोसिटी एक्ट को लेकर बवाल हुआ तो इस संगठन ने 2018 में सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिए थे। बीजेपी ने अब सबको साध कर आगे बढ़ना का प्लान बनाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में आर्थिक, सामाजिक विषमता दूर करने के लिए सवर्ण आयोग बनाया जाएगा। आखिर इस वर्ग को भी सबके समान अधिकार पाने का हक है।

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत एरियर्स की एक-एक पाई भुगतान करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था चौपट हो गई थी। कई महीनों तक खजाने में कोई पैसा ही नहीं आया। मेरे पास प्रस्ताव आया था कि कर्मचारियों की तनख्वाह आधी कर दें। मैंने कहा- ये तो नहीं होगा। तनख्वाह में कटौती नहीं होगी। एरियर वगैरा जरूर रोकना पड़े, लेकिन वो भी परमानेंट नहीं रोकूंगा।
बता दें कि इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने दीवाली से पहले सरकारी कर्मचारियों का सातवें वेतन आयोग का बकाया एरियर देने की घोषणा की थी। इसमें मिलने वाली तीसरी किश्त का 25 फीसदी दिया जाना था। मप्र में सरकारी कर्मचारियों की संख्या(निगम-मंडल व अध्यापक व अन्य) करीब 11 लाख है। इनकी भूमिका भी चुनाव में अहम है।
विधायक त्रिपाठी ने उठाई थी मांग
विगत 29 सितम्बर 2020 को कैबिनेट की बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किए जाने का प्रस्ताव शिवराज सरकार ने स्वीकृत किया था। इस पर मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा था कि सरकार सवर्ण आयोग का गठन भी करे। उन्होंने कहा था कि जब सभी वर्गों के संरक्षण और संवर्धन हेतु आयोग गठित किए गए हैं तो फिर सवर्ण समाज के लिए आयोग का गठन किया जाना चाहिए।

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