छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी पूरी हो गई। एक दिसम्बर से शुरू हुई खरीदी प्रक्रिया के अंतिम दिन 9187744 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है। यह धान 2052059 किसानों से हुई है। अभी भी करीब एक लाख पंजीकृत किसान सरकारी केंद्रों पर अपनी फसल नहीं बेच पाए हैं। संभावना जताई जा रही है कि सरकार ऐसे किसानों को एक और मौका दे सकती है।
धान खरीदी के लिए सरकार ने इस बार अगस्त से ही किसानों का पंजीयन शुरू कर दिया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 21 लाख 47 हजार किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था। एक दिसम्बर से धान की खरीदी शुरू हुई। सरकार ने इस बार 90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य तय किया था। 28 जनवरी की खरीदी पूरी होते-होते यह लक्ष्य पूरा हो गया। शुक्रवार को हुई खरीदी को मिलाकर प्रदेश में कुल 9187744 मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। यह पिछले 17 वर्षों में धान खरीदी के इतिहास का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
प्रदेश में धान की सरकारी खरीदी सोमवार से शुक्रवार तक होती है। सामान्य अवकाश और शनिवार-रविवार को खरीदी केंद्र बंद रहती हैं। इस दिन का उपयोग खरीदी केंद्र से संग्रहण केंद्र तक धान को पहुंचाने में किया जाता है। खरीदी के काम में लगे कर्मचारियाें-मजदूरों को भी सप्ताह में एक दिन की छुट्टी देनी होती है। 29 जनवरी को शुक्रवार था। इस मान से आज धान खरीदी का अंतिम दिन था। खाद्य विभाग के मुतािबक अभी तक 2052059 किसानों ने धान बेचा है। पंजीकृत किसानों की संख्या 21 लाख 47 हजार है। इस मान से अभी करीब एक लाख किसानों की फसल बाकी है।
संकटों में घिरी रही खरीदी, होते रहे विवाद
धान की सरकारी खरीदी पर इस बार संकट के बादल मंडराते रहे। काेरोना महामारी की वजह से सरकार को समय से बारदाना नहीं मिला। ऐसे में धान की खरीदी नवम्बर की जगह दिसम्बर से शुरू हुई। मध्य दिसम्बर आते-आते खरीदी केंद्रों में धान जाम होने की स्थिति आ गई। पता चला कि केंद्र सरकार ने अभी तक चावल लेने की अनुमति नहीं दी है। हंगामा मचा। सरकार ने केंद्र से बातचीत की, कांग्रेस ने आंदोलन किए। उसके बाद केंद्र ने 24 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की अनुमति दी। उसके बाद ही खरीदी का कार्यक्रम आगे बढ़ पाया।
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