महाकाव्य और धर्मग्रंथ भारतीयों को हमेशा प्रेरित करते रहे हैं। आर्थिक सर्वे के अनुसार, कोरोना के समय मौजूदा सरकार ने भी इनसे प्रेरणा ली है। पिछले साल मार्च में जब कोरोना तेजी से फैलने लगा, तो पॉलिसी बनाने वालों के सामने जीवन और अर्थव्यवस्था, दोनों में से किसी एक को बचाने का सवाल था। तब उन्होंने महाभारत में बताए गए धर्म को निभाया।
सर्वे के अनुसार, महाभारत में कहा गया है कि संकट में पड़े जीवन को बचाना ही मूल धर्म है। महामारी के समय इसी धर्म का पालन किया गया। अर्थव्यवस्था के गिरने की परवाह न करते हुए लोगों का जीवन बचाने का फैसला किया गया। महामारी के टेंपररी झटके से GDP ग्रोथ तो उबर जाएगी, लेकिन महामारी जिनकी जान लेगी, उन्हें वापस नहीं लाया जा सकेगा।
लॉकडाउन का फैसला अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के मुताबिक
महामारी को फैलने से रोकने के लिए पिछले साल मार्च में पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था। सर्वे के मुताबिक, यह रणनीति नोबेल पुरस्कार पाने वाले अर्थशास्त्री लार्स पीटर हैनसेन के सिद्धांतों के अनुसार भी है। सिद्धांत यह है कि जब अनिश्चितता बहुत ज्यादा हो, परिस्थितियां बहुत खराब हों, तब इस बात पर फोकस किया जाना चाहिए कि नुकसान कम से कम हो। कोरोना के समय सरकार ने ऐसा ही किया। लॉकडाउन का फैसला भारत की परिस्थितियों के मुताबिक भी था। कोरोना महामारी छूने से फैलती है। इसलिए जहां लोग ज्यादा होंगे, वहां इसके फैलने का खतरा भी ज्यादा होगा। यहां बुजुर्गों की संख्या भी काफी है। इसलिए महामारी को फैलने से रोकना बहुत जरूरी था।
सरकार राजा-महाराजाओं की तरह खर्च करे
अभी इकोनॉमी में रिकवरी तेजी से हो रही है। इसे बनाए रखने के लिए सर्वे में कहा गया है कि सरकार को अपना खर्च बढ़ाना चाहिए। इसके लिए राजा-महाराजाओं के समय का उदाहरण दिया गया है। तब सूखा, अकाल जैसे संकट के समय राजा लोगों को रोजगार देने के लिए महल-किले आदि बनवाते थे।
सरकार की स्ट्रैटजी से एक लाख लोगों को बचाया जा सका
सर्वे तैयार करने वाले चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. के. सुब्रमण्यम ने बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। उन्होंने कहा कि महामारी को रोकने के लिए जो स्ट्रैटजी अपनाई गई, उससे इन्फेक्शन के 37 लाख मामलों और एक लाख लोगों को मौत से बचाया जा सका। इन्फेक्शन और मौत, दोनों मामलों में महाराष्ट्र का प्रदर्शन खराब रहा। इन्फेक्शन के मामले में उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार ने अच्छा प्रदर्शन किया। मौत के मामलों में केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने बेहतर परफॉर्म किया।
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