दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने के बाद MLA या MLC बचे हुए कार्यकाल तक मंत्री पद पर नहीं रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक के भाजपा विधायक एएच विश्वनाथ के मामले में ये आदेश दिया है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एएच विश्वनाथ की अयोग्यता मई 2021 तक जारी रखने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के उसी फैसले को बरकरार रखा है।
दलबदल से कर्नाटक और मध्यप्रदेश में गिरीं सरकारें
कर्नाटक और मध्यप्रदेश में विधायकों के दल बदलने के कारण वहां की सरकारें गिर चुकी हैं। कर्नाटक में तब कांग्रेस और JDS की मिली-जुली सरकार थी। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार विधायकों के भाजपा में जाने के कारण गिरी। दोनों राज्यों में अभी भाजपा की सरकार है। झारखंड में इसी कानून के तहत भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ मामला चल रहा है। उन्हें अब तक वहां की सरकार ने विपक्ष के नेता की मान्यता नहीं दी है।
दल-बदल विरोधी कानून क्या है?
साल 1967 में हरियाणा के एक विधायक गया लाल ने एक दिन में तीन बार पार्टी बदली। इस प्रथा को बंद करने के लिए 1985 में 52वां संविधान संशोधन किया गया। संविधान में 10वीं अनुसूची जोड़ी गई। इस अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून को शामिल किया गया।
इन परिस्थितियों में जनप्रतिनिधि अयोग्य घोषित हो सकते हैं...
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