राजनीति छोड़ने की घोषणा कर चुके इंडो कैनेडियन मूल के नवदीप बैंस पर भारतीय मूल के ही सांसद रमेश संघा ने खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगाया। इसके बाद कैनेडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने संघा को पार्टी से निकाल दिया। इसकी वजह ट्रूडो और बैंस की नजदीकी है। संघा ने गुरुवार को कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया है। पीएम ने उनकी बात सुने बिना ही फैसला ले लिया। पूरे मामले में खालिस्तानियों का समर्थन फिर से कैनेडियन राजनीति में मुद्दा बन गया है।
संघा ने बैंस को लेकर कहा था कि क्या बैंस मंत्री बनने के काबिल थे? वे अलगाववादी विचार रखते थे और खालिस्तानियों को समर्थन देते थे। बैंस और संघा पंजाबी आबादी वाले मिसीसागा-ब्रैम्पटन एरिया की अलग-अलग सीटों से सांसद हैं। इस एरिया में लिबरल पार्टी काे मजबूत करने में इन दोनों का अहम योगदान था और अब दोनों की लड़ाई में एनडीपी और कंजर्वेटिव आधार तलाशने में जुट गई हैं।
ट्रूडो ने दबाव में लिया फैसला
बैंस के पिता हरमिंदर सिंह अलगाववादी संगठन वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख लीडर हैं और वे कनाडा में कई प्रभावशाली धार्मिक संगठनों के प्रबंधन को नियंत्रित करते हैं। वहीं बैंस के ससुर दर्शन सिंह सैनी भी ऐसे ही संगठनों से जुड़े हैं। इन सभी के दबाव में ट्रूडो ने संघा को पार्टी से निकाल दिया।
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