कोरोना काल में यानी पिछले एक साल में अफसरों का ध्यान दफ्तर और जमीन से क्या हटा सरकारी जमीनों पर कब्जे होने लगे। शहर के साथ-साथ आउटर के प्राइम लोकेशन की जमीन तक अवैध कब्जा करने वालों ने नहीं छोड़ी। किसी ने कंटीले तार से जमीन को घेर दिया तो किसी ने अपना बिल्डिंग मटेरियल डंप करवा दिया। कुछ ने तो कमरा बनाकर चौकीदार तक रख लिया था ताकि कोई और कब्जा न कर सके। प्रशासन ने पिछले 10 दिनों में ताबड़तोड़ अभियान चलाकर 50 करोड़ की जमीन से कब्जे हटाकर वहां सरकारी लाल झंडा और बोर्ड लगा दिया है। जानकारों के अनुसार कब्जा करने वालों में कई राजनेता और रसूखदार शामिल हैं। कुछ बिल्डरों के नाम भी सामने आ रहे हैं। उनके नाम पता लगवाए जा रहे हैं। अफसरों ने संकेत दिए हैं कि कब्जा करने वालों का पता लगने के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज करवाया जाएगा। अभी प्रारंभिक चरण में 60 एकड़ से कब्जा हटाया गया है। बाकी सरकारी खाली पड़ी जमीनों की जांच की जा रही है। रायपुर में ही 100 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। पटवारियों और आरआई से एक-एक सरकारी जमीन की रिपोर्ट मंगवायी जा रही है। उनसे फोटो और वीडियो मंगवाए जा रहे हैं, ताकि अफसर खुद देख सकें कि जमीन किस स्थिति में है। अब तक अवैध कब्जा हटाओ मुहिम के जो नतीजे सामने आए हैं, उसके मुताबिक पुरैना, बोरियाखुर्द, फुंडहर, रायपुरा, दतरेंगा, धरमपुरा, भाटागांव में सबसे ज्यादा कब्जे किए गए। धरमपुरा में आईएएस और आईपीएस कालोनी बसने के कारण यहां की जमीन महंगी हो गई है। कब्जाधारियों ने यहां खाली पड़ी जमीन पर कब्जा कर लिया। इसी तरह रायपुरा और भाटागांव व पुरैना में भी प्राइम लोकेशन की जमीनों पर कब्जे किए गए। फिलहाल कब्जों को हटा दिया गया है।
मकान बनाने की थी तैयारी
शहर में जब प्रशासनिक अफसरों की टीम कब्जा तोड़ने पहुंची तो हर जगह अलग-अलग तरह की स्थिति सामने आई। किसी जगह पर बिल्डरों ने मटेरियल गिरा दिया था, तो कहीं छोटे छोटे कमरे बना लिए गए थे। रायपुरा व धरमपुरा में एक जगह पर तो मकान बनाने की तैयारी कर ली गई थी। प्रशासनिक टीम ने जेसीबी से कब्जे तोड़े। शहर की ही सरकारी जमीन पर कई जगह बड़े-बड़े पेड़ लगे हैं, उन्हें काटने की कोशिश की जा रही थी।
आउटर में खेती
रायपुर से लगे आरंग में एक ही जगह पर स्थित 40 एकड़ सरकारी जमीन से कब्जा हटाया गया है। आरंग के वार्ड नंबर 14 में कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर वहां खेती शुरू कर दी थी। आरंग के तहसीलदार और उनकी टीम ने अवैध कब्जे को हटाया। जमीन पर फसल उगी होने के कारण पहले फसल कटवाई गई और उसके बाद पूरे इलाके पर सरकारी कब्जा किया गया।
मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद जागा अमला
शहर और आउटर में अवैध कब्जे की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंची। वहां से जब जिला प्रशासन को सूचित किया गया। उसके बाद कलेक्टर ने जानकारी मंगवायी। प्रारंभिक जांच में कब्जे की शिकायत सही पाए जाने से वे अफसरों पर जमकर बरसे। उसके बाद उन्होंने एसडीएम और तहसीलदार को टॉस्क दिया कि नए साल की शुरुआत में वे अपने-अपने क्षेत्र की सरकारी जमीन की पहचान करें और उस पर किसी भी तरह का कब्जा हो तो तत्काल खाली कराएं। एक महीने से भी कम समय में 60 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन पर कब्जे खाली करा ली गई है। इनमें से 10 एकड़ से ज्यादा जमीन रायपुर शहर की ही है।
हटा लें अवैध कब्जा
"अफसरों से कहा गया है कि वे अपने-अपने इलाके की सरकारी जमीन से हर तरह का अवैध कब्जा हटवा लें। एक फीट जमीन पर भी कब्जा नहीं होना चाहिए। खाली सरकारी जमीन पर लाल झंडे और बोर्ड लगाए जा रहे हैं। कब्जे जिन्होंने करवाया है, उनका पता लगवाकर उनके खिलाफ एफआईआर भी कराई जाएगी।"
-डॉ. एस भारतीदासन, कलेक्टर
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