उत्तर प्रदेश के नोएडा में साल 2006 में हुए निठारी कांड के मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम को जांच पड़ताल के दौरान मानव अंगों से भरे कई थैले मिले थे। सुनवाई के बाद गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने युवती से दुष्कर्म और हत्या के 12वें मामले में दोषी करार दिए गए नौकर सुरेंद्र कोली को शनिवार को फांसी की सजा सुना दी।
एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया
दोषी पर 1 लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। सजा के ऐलान के बाद सुरेंद्र कोली को वापस जेल ले जाया जा रहा था। इस बीच उसने कहा, 'मेरे नसीब में तो फांसी ही है।' निठारी मामले में कुल 17 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 12 मामलों में फैसला सुनाया गया। इन सभी में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा दी गई है।
क्या है 12वां मामला?
12 नवंबर 2006 को निठारी में रहने वाली एक युवती पंढेर की कोठी की सफाई के लिए घर से निकली थी। इसके बाद वापस नहीं लौटी। परिजन ने तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। परिवार वालों ने पुलिस से शिकायत की। लेकिन, पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बाद जब पंढेर की कोठी के पीछे नाले की सफाई हुई तो कई नरकंकाल मिले। तब यह मामला सामने आया। परिवार को मौके से युवती का पायल मिली। यही 12वां केस था। निठारी कांड में कुल 19 केस दर्ज किए गए थे।
पहला केस जिसमें एक दोषी को 11 बार फांसी की सजा सुनाई
CBI के वकील जेपी शर्मा ने बताया कि देश के इतिहास में यह पहला केस है जिसमें दोषी को अब तक 11 बार फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। एक मामले में कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए थे
29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी में मनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। चार्जशीट के मुताबिक पंढेर की कोठी में 16 लोगों की हत्या की गई। इस मामले में पुलिस ने पंढेर के साथ उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। कोली कोठी के पास से गुजरने वाली लड़कियों और बच्चों को पकड़ कर उनसे कुकर्म करता और फिर हत्या कर देता था।
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