भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज का कमांडो बनना बेहद मुश्किल कार्य है। सैकड़ों में से केवल कुछेक को यह अवसर मिल पाता है। इसके लिए अपने घर-परिवार को छोड़ अपनी ट्रेनिंग को प्राथमिकता देनी पड़ती है। जोधपुर में गुरुवार को तखत सागर में लापता हुए कैप्टन अंकित गुप्ता की प्राथमिकताओं से समझा जा सकता है कि कोई यूं ही स्पेशल फोर्स का कमांडो नहीं बन जाता है।
गुरुग्राम निवासी 28 साल के अंकित की डेढ़ माह पहले ही 23 नवम्बर को शादी हुई थी। सेना में अपनी ड्यूटी के प्रति उनमें कितना जज्बा था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शादी के बाद वे अपनी पत्नी के साथ बहुत कम ठहर पाए और अपनी स्पेशल ट्रेनिंग पूरी करने निकल पड़े। और इसके कुछ दिन के भीतर ही उनके साथ हादसा हो गया।
सेना की 10 पैरा स्पेशल फोर्स के कमांडो कैप्टन अंकित गुरुवार को अभ्यास के दौरान कैप्टन अंकित अपने 3 कमांडो साथियों के साथ हेलिकॉप्टर से जलाशय में कूदे थे। 3 कमांडो तो बाहर निकल आए, लेकिन अंकित बाहर नहीं आए। जलाशय में लापता कैप्टन की तलाश के लिए सेना ने बड़े स्तर पर अभियान छेड़ रखा है। लेकिन, शुक्रवार दोपहर तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया है। दूसरे दिन भी अंकित का कुछ पता न लगने से उनके परिवार और दोस्तों की उम्मीदें टूटती जा रही हैं।
सोशल मीडिया पर अंकित के दोस्त व रिश्तेदार उन्हें जांबाज बताते हुए नम आंखों से याद करने लग गए हैं। वहीं उनके परिजनों को इस हादसे की सूचना मिलने के बाद से वे बदहवास हैं। उनके परिजनों के आज जोधपुर पहुंचने की संभावना है।
रिश्ते में अंकित के भाई लगने वाले दीपक अग्रवाल ने सोशल मीडिया में लिखा है- भाई से 10 दिसम्बर को आखिरी बार बात हुई थी। हाल ही विवाह के बंधन में बंधे अंकित ने दिल खोलकर अगले 25 साल की योजनाओं के बारे में मुझे बताया था, लेकिन उस समय नहीं पता था कि सारी योजनाएं धरी रह जाएगी। तुम सदा हमारे दिल में रहोगे कैप्टन अंकित।
वहीं शालिनी सिंह सेंगर ने लिखा है-कुछ अरसा पहले शादी करने वाले अंकित का यह बिछोह वास्तव में दर्दनाक है। हमने एक बेहद काबिल प्रशिक्षित ऑफिसर गंवा दिया। एक अन्य ने लिखा है कि कायलाना व तखतसागर में हमेशा कई लोग डूबते रहे हैं। इसके पानी के अंदर बहुत गहरी झाड़िया हैं। ऐसे स्थान पर अभ्यास से पहले सेना की तरफ से विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए था। (शव नहीं मिलने से दैनिक भास्कर कैप्टन की मृत्यु की पुष्टि नहीं करता है)
वहीं सेना में शहीद होने वाले परिवारों की कुशलक्षेम जानने के लिए हमेशा सबसे पहले पहुंचने वाले विकास मन्हास ने लिखा कि युद्ध के समान ही सैन्य अभ्यास भी आसान नहीं होते हैं। ये कई बार जानलेवा साबित हो जाते हैं
Comment Now